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जदयू नेतृत्व को लाख कोस लें उपेंद्र कुशवाहा, लेकिन पार्टी उन्‍हें नहीं करेगी 'शहीद', जानि‍ए क्‍या है कारण

JDU Internal Discord जदयू संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष ने लंबे समय से पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस पर पार्टी के दिग्‍गज नेताओं की प्रत‍िक्रिया भी सामने आती रहती हैं। इसके बावजूद पार्टी उन पर क्‍यों कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जानिए पूरा मामला। (फाइल फोटो)

By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Prateek JainPublished: Mon, 06 Feb 2023 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 01:35 PM (IST)
जदयू नेतृत्व को लाख कोस लें उपेंद्र कुशवाहा, लेकिन पार्टी उन्‍हें नहीं करेगी 'शहीद', जानि‍ए क्‍या है कारण
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष ने लंबे समय से पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

पटना, राज्य ब्यूरोजदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पार्टी नेतृत्व को लाख कोस लें, ले‍किन पार्टी नेतृत्व उन्हें शहीद नहीं करेगी। यानी उन्हें अभी न तो पार्टी से निकाला जाएगा और न ही किसी तरह की कार्रवाई होगी। वैसे यह भी तय है कि उपेंद्र कुशवाहा के वक्तव्य व कृत्य पर पार्टी की ओर से कुछ न कुछ काउंटर अटैक जरूर होता रहेगा।

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जदयू नेतृत्व की सोच है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के कामकाज को लेकर आपत्ति है तो वह खुद दल छोड़कर चले जाएं। वहीं, उपेंद्र इस तकनीक पर काम कर रहे हैं कि पार्टी उन्हें दल से बाहर कर दे। यही वजह है कि उपेंद्र कुशवाहा सीधे-सीधे मुख्यमंत्री के अंदाज पर कड़वी टिप्पणी कर उन्हें नसीहत दे रहे हैं।

उपेंद्र के खिलाफ बोल रहे जदयू नेता, लेकिन नहीं कर रहे कार्रवाई 

जदयू नेतृत्व ने अभी भले इस मसले पर कोई वक्तव्य नहीं दिया है कि पार्टी के लोगों के साथ जदयू दफ्तर के बाहर स्वंयभू अंदाज में बैठक बुलाना अनुशासन के खिलाफ है, लेकिन इसे दल के अनुशासन के विरुद्ध माना जा रहा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने तो साफ कह दिया है कि उपेंद्र कुशवाहा जिस तरह की बातें कर रहे है, वे दिग्भ्रमित करने वाली हैं।

वहीं, उनसे आगे बढ़कर जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी को कमजोर करने की डील कर रहे हैं। जदयू के कई सांसदों ने भी पिछले दिनों कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा से सतर्क रहने की जरूरत है। इस सब के बीच दिलचस्प बात यह है कि जदयू अगर उपेंद्र कुशवाहा पर कार्रवाई कर उन्हें दल से निष्कासित करता है तो उनकी विधान परिषद की सदस्यता बरकरार रहेगी। वहीं, अगर वे खुद जदयू को छोड़कर निकल लेते हैं तो उनकी विधान परिषद की सदस्यता खत्म हो जाएगी।

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