Move to Jagran APP

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था: राजनीति में आएं सुशील मोदी

अटल बिहारी वाजपेयी बिहार के उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी के विवाह समारोह में आए थे। समारोह में उन्‍होंने लोगोें को संबोधित भी किया था। प्रस्‍तुत है वो अविस्‍मरणीय भाषण।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 10:27 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 11:47 PM (IST)
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था: राजनीति में आएं सुशील मोदी
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था: राजनीति में आएं सुशील मोदी

पटना [जेएनएन]। 13 अप्रैल 1986 को उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी के विवाह के अवसर पर वर-वधू को आशीर्वाद देने अटल बिहारी वाजपेयी पटना आए थे। उस समय उन्होंने विवाहोत्सव में सम्मिलित स्वजनों और पारिवारिक मित्रों के बीच आत्मीयतापूर्ण भाषण किया था। इसमें उन्‍होंने सुशील मोदी को मुख्यधारा की राजनीति में आने का औपचारिक आमंत्रण दिया था। नजर डालते हैं अटल के उस भाषण पर...

loksabha election banner

''देवियों और सज्जनों,

आशीर्वाद देने के लिए पहले ऐसे लोग बुलाए जा रहे हैं, जो कभी विवाह के बंधन में बंधे ही नहीं। इसलिए मैं आशीर्वाद देने की औपचारिकता नहीं करूंगा, मैं इस अवसर पर अपना आनंद प्रकट कर रहा हूं।

यह एक अनूठा प्रसंग बन गया है। उत्तर और दक्षिण का मिलन हो रहा है। अंतरप्रातीय, अंतरभाषीय, अंतर उपासना पद्धतीय इस विवाह में वधू केरल की है। केरल के निकट ही कुमारी कन्या सदियों से साधना करती रही है। पाटलिपुत्र हिमालय से जुड़ा हुआ है, हिमालय के सिर पर कन्याकुमारी की दृष्टि रही है। यह प्रेम पहले हुआ है, विवाह बाद में हुआ है।

पंडितजी ने ठीक कहा था कि विवाह के बाद प्रेम हो जाए वो भी ठीक है, लेकिन अगर प्रेम की परिणति विवाह में हो जाए तो बहुत अच्छा है। मैं बधाई देना चाहता हूं, विशेष कर ऐसे परिवारों को, जिसमें लड़के-लड़की इकट्ठा होकर विवाह कर लेते हैं।

सुशील जी ने अंततोगत्वा विवाह का फैसला किया ही, यह अपने में ही एक महत्वपूर्ण बात है। वो अभी तक संघर्ष करते रहे, लेकिन इस विवाह को परिवारों ने माना, इसमें शामिल हैं, आनंदित हैं, आज इतने बड़े समारोह में हम सब आनंदपूर्वक भाग लेने के लिए इकट्ठा हुए, यह अपने में एक बड़ी बात है।

समाज कुरीतियों में जकड़ा हुआ है, प्रेमियों के बीच भी दीवारें खड़ी कर दी जाती है। जो उन दीवारों को तोड़कर विवाह करते हैं, उन्हें परिवारों की मान्यता नहीं मिलती, समाज का आशीर्वाद नहीं मिलता है, लेकिन इस विवाह को समाज का पूरा आशीर्वाद प्राप्त है। इस दृष्टि से यह विवाह आगे के लिए पथ-प्रदर्शक बनेगा, यह मैं कामना करता हूं।

मैं एक और स्वार्थ से आया हूं। अब सुशीलजी विद्यार्थी नहीं रहे और श्रीमती मोदी ...वो तो पढ़ाती हैं। मैं उन्हें निमंत्रण दे रहा हूं कि वो हमेशा कर्मक्षेत्र में रहे हैं, सघर्ष के क्षेत्र में रहे हैं, विद्यार्थी परिषद की उन्होंने काफी सेवा की, अब अगर वो उपयुक्त समझें तो राजनीतिक क्षेत्र में आकर हम लोगों का हाथ बंटाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.