पटना जू में चिंपैंजी की उछल-कूद से बढ़ेगा रोमांच, दर्शकों के लिए तैयार हो गया आकर्षक रैंप Patna News
पटना जू का दीदार करने के लिए आने वाले पर्यटक अब चिंपैंजी की उछल-कूद देख सकेंगे। इसके लिए उद्यान में खास रैंप तैयार किया गया है।
मृत्युंजय मानी, पटना। पटना जू में चिंपैंजी को देखना अब आसान हो गया। इसके लिए रैंप बनकर तैयार हो गया है। दर्शकों के लिए केज भी काफी आकर्षक बनाया गया है। तीन माह के बाद चिंपैंजी दर्शकों के देखने के लिए केज में छोड़ा गया है। केज से बाहर निकलकर भागने की घटना के बाद से चिंपैंजी को प्राणी अस्पताल में रखा गया था।
धूप औऱ बारिश से बचाव की भी व्यवस्था
संजय गांधी जैविक उद्यान में केज को सुरक्षित ढंग के साथ काफी आकर्षक तरीके से बनाया गया है। रैंप अभी बनाने का कार्य चल रहा है, लेकिन दर्शक इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। उद्यान निदशेक अमित कुमार और रेंज ऑफिसर आनंद कुमार ने बताया कि 15 दिनों में चिंपैंजी केज को पूर्णरूप से बनाकर बाहरी क्षेत्र को हरा-भरा बनाकर दर्शकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। चिंपैंजी उछल-कूद करते दिख रहा है। उसे धूप-बारिश से बचाव की व्यवस्था की गई है। उसके लिए रैम्प और सीढ़ी बनी है।
कलाकृतियों को भी दर्शक कर रहे पसंद
जू में चिंपैंजी रस्सी के सहारे उछल-कूद कर रहा है। नाइट हउस को चौड़ा कर आरामदायक बना दिया गया है। सामने के भाग पर चिंपैंजी की बड़ी-बड़ी तस्वीर बनाई गई है। उद्यान में आने वाले दर्शक केज की कलाकृितयों को भी पसंद कर रहे हैं। हरे-भरे पेड़ों के बीच चिंपैंजी को दिखाया गया है। चिंपैंजी केज की चारदिवारी काफी ऊंची कर दी गई है। इस कारण दर्शकों को देखने के लिए रैंप बनाया गया है।
मनुष्यों की तरह खाता है खाना
चिंपैंजी मूलत: अफ्रीका महाद्वीप के जंगलों में पाया जाता है। इसकी बनावट, व्यवहार मानव से मिलता-जुलता है। यह चौपाया जानवर की तरह चलता है। इसका हाथ भी होता है। इसकी पूंछ नहीं होती है तथा काले रंग का होता है। इसका जीवनकाल 50 वर्ष का होता है। आठ वर्षो में युवा हो जाता है। यह मनुष्यों की तरह खीर, दही-चावल, फल में सेब, अंगूर, संतरा, बीजदाना, केला आदि लेता है। ठंड के मौसम आने के कारण दही-चावल बंद कर उसके बदले खीर दिया जा रहा है।