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बिहार से चुराए वाहन नेपाल में नीलामी के बाद हो जाते वैध, ऐसे होता है करोड़ों का खेल

नेपाल में चोरी के वाहन नीलामी के बाद वैध हो जाते हैं। वहां नीलाम होने वाले 80 फीसद वाहन बिहार के होते हैं। इनमें बोलेरो, सूमो, स्कॉर्पियो और बाइक की अधिक डिमांड होती है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 06 Apr 2018 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 11:34 PM (IST)
बिहार से चुराए वाहन नेपाल में नीलामी के बाद हो जाते वैध, ऐसे होता है करोड़ों का खेल
बिहार से चुराए वाहन नेपाल में नीलामी के बाद हो जाते वैध, ऐसे होता है करोड़ों का खेल

पटना [प्रशांत कुमार]। बिहार में वाहन चोरी के आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं। हैरत की बात है कि यहां से चोरी गए वाहन सीमा पार कर नेपाल पहुंच जाते हैं। वहां सात दिन तक लावारिस हालत में वाहन को छोड़ दिया जाता है, जिसके बाद नेपाल के नियमों के अनुसार वहां की सरकार जब्त वाहनों की नीलामी कर देती है और वे वैध हो जाते हैं। इसके सहारो करोड़ों का खेल होता है।

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इसका खुलासा तब हुआ, जब बुधवार को नेपाल के कस्टम विभाग ने बुधवार को दोपहिया और चारपहिया मिलाकर सैकड़ों वाहनों की नीलामी कर तीन करोड़ 56 लाख रुपये का राजस्व हासिल किया।

दरअसल, नीलाम हुए 80 फीसद वाहनों पर बिहार के विभिन्न जिलों के रजिस्ट्रेशन नंबर लगे थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वाहन मिले। इन वाहनों को नेपाल के तौहट जिले की पुलिस ने जब्त किया था। वे सात दिन से अधिक समय तक एक ही जगह पर लावारिस हालत में पड़े मिले थे।

चूंकि उनपर बिहार सहित अन्य राज्यों की नंबर प्लेटें लगी थीं, इसलिए वहां की पुलिस ने कस्टम विभाग को नीलाम करने का जिम्मा सौंप दिया था।

गौरतलब है कि पटना पुलिस ने जनवरी से मार्च तक वाहन चोरों के चार गिरोह का भंडाफोड़ किया था। उनके बारे में जानकारी देते हुए पुलिस कप्तान मनु महाराज ने दावा किया था कि गिरोह के तार नेपाल और बांग्लादेश से जुड़े हैं लेकिन, पुलिस कभी दूसरे छोर तक नहीं पहुंच सकी।

सालभर जिले से चोरी होते हैं चार हजार वाहन

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पटना जिले से प्रतिवर्ष दोपहिया और चार पहिया को मिलाकर औसतन चार हजार वाहन चोरी होते हैं। पटना पुलिस तकनीक से लैस होने का दावा करती है। जगह-जगह सीसी कैमरे लगे हैं। जिले के सात मुख्य निकास मार्गों पर एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडिंग) कैमरे भी स्थापित किए गए हैं। बावजूद इसके चोरी के अनुपात बरामदगी पांच फीसद भी नहीं है। एससीआरबी के मुताबिक सालभर में राज्य से चोरी होने वाले वाहनों में 35 फीसद पटना और मुजफ्फरपुर जिलों के आंकड़े हैं। पिछले वर्ष 26 हजार से अधिक वाहन चोरी हुए। इनमें अधिकांश वाहन पटना जिले से चुराए गए थे।

चोरों को पकड़कर संतुष्ट हो जाती है पुलिस

मात्र एक मामला 2016 सामने आया था, जब पुलिस ने चोरों की निशानदेही पर मुजफ्फरपुर के गैराज में धावा बोला था। वहां वाहनों के चेचिस और इंजन नंबर पंच किए जा रहे थे। गिरफ्तार मिराज ने कबूल किया था कि चोरी के वाहन उसके गैराज तक पहुंचते थे।

गैराज में उन वाहनों पर नए चेचिस और इंजन नंबर पंच किए जाते और रिसीवर उन्हें लेकर चला जाता था। वह चोरी के वाहनों के कागजात तैयार कर सीमावर्ती जिलों में बेच देते है। हालांकि पुलिस रिसीवर तक नहीं पहुंच पाई। इससे जाहिर हो गया कि वाहन चोरी में तीन स्तर पर गिरोह सक्रिय रहते हैं, जो गाडिय़ों को चुराने से लेकर सीमा पार कराने तक का काम करते हैं। चोरों के निशाने पर बोलेरो, सूमो, स्कॉर्पियो, पिकअप आदि वाहन रहते हैं।

जिले में बढ़ रही वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की कोशिश जारी है। नेपाल और बांग्लादेश से तार जुड़े होने की बात सामने आई थी। लेकिन, आरोपितों के नाम और पते का सत्यापन नहीं हो सका, इसलिए उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। पटना पुलिस लगातार सीमावर्ती क्षेत्रों की पुलिस के संपर्क में रहती है।

- मनु महाराज, एसएसपी।


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