पटना में अब सब्जी का कचरा पर्यावरण को नहीं करेगा दूषित, खेत हो जाएंगे हरे-भरे; जानें कैसे
पटना में सब्जी का कचरा शहर के गार्डेन और किसानों के खेतों को हरा-भरा बनाने का काम करेगा। पटना नगर निगम के नूतनराजधानी अंचल ने मीठापुर सब्जी मंडी के कचरे से जैविक खाद बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है।
मृत्युंजय मानी, पटना: पटना में सब्जी का कचरा अब पर्यावरण को दूषित नहीं करेगा। शहर के गार्डेन और किसानों के खेतों को यह कचरा हरा-भरा बनाने का काम करेगा। पटना नगर निगम के नूतनराजधानी अंचल ने मीठापुर सब्जी मंडी के कचरे से जैविक खाद बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। दो दिनों में दस क्विंटल जैविक खाद बनाई गई है।
नूतनराजधानी अंचल गर्दनीबग सेकेंड्री कूड़ा प्लाइंट के पास दो हजार किलो की क्षमता वाली ऑर्गेनिक वेस्ट कम्पोस्टर मशीन लगाई गई है। यहां 24 घंटे में सब्जी के कचरे से जैविक खाद बनाई जा रही है। प्रतिदिन कोहड़ा, कटहल कदू, सहित अन्य सड़ी सब्जी लाकर मशीन में डाली जा रही है। मीठापुर में अब सड़ी सब्जी से बदबू नहीं आ रही है। शहर की सभी सब्जी मंडी के कचरे से जैविक खाद बनाने की तैयारी की गई है। नूतनराजधानी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी कुमार पंकज ने बताया कि फल और सब्जी मंडी के कचरे से जैविक खाद बनाने से पर्यावरण के क्षेत्र में क्रांति आएगी। कचरा से वातावरण प्रदूषित नहीं होगा तथा खाद से हरियाली बढ़ेगी।
बनाई गई 30 से अधिक किट
कुमार पंकज ने बताया कि गीले-सूखे कचरे से गर्दनीबाग कचरा प्वाइंट पर कम्पोस्टिंग किट बनाकर जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। 30 से अधिक किट बनाई गई है। अप्रैल माह के अंत यहां से 50 क्विंटल जैविक खाद तैयार होगी, इसमें गोबर और गीले कचरे का इस्तेमाल किया गया है। पटना सिटी अंचल में दो प्लांट स्वीकृत हैं। कंकड़बाग अंचल के लिए एक हजार किलो क्षमता का एक, 500 किलो का एक और 250 किलोग्राम किलो की तीन यूनिट लगाने की स्वीकृति पटना नगर निगम ने दी है। नूतनराधानी अंचल गर्दनीबाग कूड़ा प्लावंट के साथ-साथ बीएमपी और मैर्यालोक में यूनिट लगा रही है। पाटलिपुत्र अंचल पानी टंकी के पास यूनिट स्थापित कर उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है। बंकीपुर अंचल और अजीमाबाद अंचल सहित सभी अंचल ने इस प्रक्रिया को प्रारंभ कर दिया है।
अलग-अलग करके दें गीला और सूखा कचरा
नूतनराजधानी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी कुमार पंकज ने कहा कि सब्जी-फल के कचरे से जैविक उर्वरक तैयार होने लगा। घर-घर से निकलने वाले कचरे से अप्रैल माह के अंत जैविक खाद तैयार की जाएगी। नागरिक गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके दें, तो जैविक खाद बनाना आसान हो जाएगा।