वंश प्रभात ने ध्रुपद गायन से जीता दिल
पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी की 101 वीं जयंती मनाई गई
पटना। पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी की 101 वीं जयंती के मौके पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभागार में शनिवार को पंडित सियाराम तिवारी मेमोरियल संगीत ट्रस्ट की ओर से दो दिवसीय सागीतिक संध्या की शुरुआत हुई। पहले दिन के कार्यक्रम की शुरुआत श्रीगणेश दरभंगा घराने के वंश प्रभात के ध्रुपद गायन से हुई। वंश प्रभात ने तानपुरा के साथ चार ताल निबद्ध में 'लोचन विशाल वणमाल, मुख कुंडलन की झलक नैनन सुखदाई री..' सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि इस गायन में कृष्ण के रूप और उनके परिधान का वर्णन किया गया है। उनके साथ पखावज पर आशुतोष उपाध्याय ने संगत की।
इसके बाद दिल्ली से आये वरिष्ठ पखावज वादक पंडित राधे श्याम शर्मा का एकल पखावज वादन हुआ। पखावज की नाथद्वारा परंपरा का निर्वाह करते हुए उन्होंने चारताल में अनेक पारंपरिक रचनाएं प्रस्तुत कीं। देवी-देवताओं की स्तुति पखावज की मंगलध्वनि पर सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। सारंगी पर उनका साथ बनारस से आये अनीश मिश्रा ने दिया। इसी मौके पर पंडित सियाराम तिवारी के नाम से दिया जाने वाला वरिष्ठ कलाकार सम्मान पंडित राधे श्याम शर्मा को प्रदान किया गया। अंतिम प्रस्तुति पटना के रजनीश कुमार के ख्याल गायन की रही। उन्होंने बनारस घराने के मधुर गायन से संगीतक संध्या को उसके चरम पर पंहुचा दिया। राग बागेश्री में विलबिंत एकताल और मध्य लय तीनताल से सभागार गूंज उठा। साथ ही ठुमरी, दादरा और चैती सुनकर दर्शक झूम उठे। उनके साथ तबला पर पटना की वरिष्ठ तबलावादक डॉ. अशोक सिंह ने शानदार संगत कर दर्शकों की तालिया बटोरीं। हारमोनियम पर सुधीर कुमार ने सुंदर एवं सटीक साथ दिया। इस मौके पर त्रिपुरारी शरण, अनिल सुलभ, डॉ. रंजना झा और राजशेखर उपस्थित थे। मंच का संचालन संस्थापक-सचिव सुमित आनंद ने किया।