Valentine's Day : शादी के 47 वर्ष बाद भी पटना के प्रोफेसर साहब की मोहब्बत जवां
यह पटना के एक प्रोफेसर साहब की 1973 की चर्चित प्रेम कहानी है। प्रेम का मामला कोर्ट तक पहुंचा था। प्रेमिका सुधा खचाखच भीड़ भरे कोर्ट में पर्दे में छुपकर पहुंची थी। उनकी बेपनाह मुहब्ब्त देख एसडीओ बोल पड़े- सच्चे मुहब्बत करनेवालों को कोई कोर्ट जुदा नहीं कर सकता।
पटना सिटी, अनिल कुमार। "वर्ष 1973 के पांच मई को मैं आजीवन नहीं भुला सकता। गुनाह था प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार की लड़की से प्यार के बाद शादी करने का। लड़की पक्ष ने चौक थाना में मुकदमा भी दर्ज कराया। तत्कालीन थानाध्यक्ष रामलखन सिंह घर पर छानबीन के दौरान जब मेरी डायरी पढ़े तो बोले कि लड़का सही है।" प्रो. डॉ सुयश यह कह मुस्कुराने लगते हैं।
कोर्ट में सैकड़ों की भीड़ के बीच पर्दे में पहुंची सुधा
आगे बताते हैं कि सात दिन बाद वर्ष 1973 के 12 मई को पटना सिटी के एसडीओ के. रहमान के न्यायालय में आत्मसमर्पण किया। तब सैकड़ों भीड़ के बीच पर्दे में छिपकर बयान देने कोर्ट में पहुंची संगिनी सुधा ने स्पष्ट कर दिया उसकी रजामंदी से शादी हुई है। एसडीओ भी भीड़ भरे कोर्ट में दोनों की बेपनाह मोहब्बत को देख वयस्क जोड़ी मानते हुए जमानत दे दी। कोर्ट में निर्णय देते एसडीओ ने कहा कि ''सच्ची मोहब्बत करनेवालों को दुनिया का कोई कोर्ट अलग नहीं कर सकता है।'' वेलेंटाइन वीक में 47 वर्ष पहले के अपनी प्रेम कहानी बयां करते सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. सुयश प्रकाश आज भी किसी किशोर की तरह चहक उठते हैं।
मेरठ से इंटर कर पिता के साथ आए थे पटना सिटी
वर्ष 1950 के सितंबर माह में मेरठ में जन्में डॉ. सुयश प्रकाश बताते हैं कि कपड़ा के कारोबार के सिलसिले में पिता सत्य प्रकाश के साथ पटना सिटी आए। मेरा मैट्रिक और इंटर मेरठ से हो चुका था। अच्छे अंक आने के कारण सायंस कॉलेज पटना से रसायनशास्त्र विषय में स्नातक करने के बाद वहीं से वर्ष 1971 में स्नातकोत्तर परीक्षा पास किया।
छात्र को पढ़ाने के दौरान घर की छात्रा का दिल प्रोफेसर साहब पर आ गया
पहली बार वर्ष 1973 में पटना सिटी के एक प्रतिष्ठित घराने से एक छात्र को ट्यूशन पढ़ाने का ऑफर मिला। वहीं ट्यूशन पढ़ाने के दौरान घर में इंटर की छात्रा सुधा को स्मार्ट लुक वाले प्रोफेसर साहब भा गए। प्रोफेसर साहब भी अपना दिल हार बैठे।
घर की ड्योढ़ी लांघ सुधा चुपचाप सुयश के साथ निकल गई
इश्क परवान चढ़ा तो 5 मई 1973 को सुधा गले में एक चेन और साधारण कपड़े पहने घर की ड्योढ़ी लांघ सुयश के साथ चुपचाप निकल गई। मामला थाना और कोर्ट पहुंचा। जीत मोहब्बत करनेवालों की हुई।
शादी के तुरंत बाद प्रो.सुयश और सुधा की तस्वीर ।
दोनों की प्रेम कहानी खूब चर्चित हुई
उस जमाने में पटना सिटी में सुयश और सुधा की प्रेम कहानी खूब चर्चा में आई। एक प्रतिष्ठित घराने की लड़की एक साधारण व्यवसायी पुत्र की हमसफर बनी थी। वे बताते हैं कि इसके लिए उन्हें कानूनी लड़ाई तक लड़नी पड़ी। सामाजिक रूप से भी अलग-थलग करने की कोशिश हुई। दोनों ने ठान लिया था कि अब उन्हें कोई नहीं जुदा कर सकता है। प्रोफेसर बताते हैं कि वह ट्यूशन मेरे जीवन का पहला और आखिरी ट्यूशन था।
वर्ष 1975 में सुयश को मिली प्रोफेसर की नौकरी
चर्चित मोहब्बत के बीच सुयश को किला रोड स्थित श्री गुरु गोविंद सिंह महाविद्यालय में रसायनशास्त्र के व्याख्याता की नौकरी मिल गई। वर्ष 2015 में वे रसायनशास्त्र के विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत हुए। शादी के 47 वर्ष बाद भी उनकी मोहब्बत जवां है। डॉ. सुयश प्रकाश अगले जन्म में भी सुधा जैसी संगिनी ही ईश्वर से मांगते हैं। वे कहते नहीं थकते कि पत्नी हीं उनकी वेलेन्टाइन है। इधर सुधा कहती हैं कि प्यार का फूल वर्षो पहले खिला था उसकी महक आज भी बरकरार है ।
सफल दापंत्य जीवन के बीच दोनों बच्चों का बना सुनहरा भविष्य
प्रोफेसर डॉ. सुयश प्रकाश बताते हैं कि 47 वर्षों के दौरान सफल प्रेम कहानी के बीच बेटा आइआइटी करके अभी हांगकांग में वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी में उच्च पद पर आसीन है। तब पुत्री स्वाति प्रकाश उच्च शिक्षा हासिल करके एक बड़े मीडिया हाऊस में कार्यरत है। कॉलेज से वर्ष 2015 में सेवानिवृत होने के बाद वे चौक स्थित बद्री बिहार अपार्टमेंट में पत्नी सुधा के साथ रहते हैं। मोहब्बत करनेवाले युवाओं के लिए प्रोफेसर साहब की सफल प्रेम कहानी एक मिसाल है।