बिहार में उर्दू और संस्कृत डिग्रीधारी शिक्षक भी बन सकेंगे हेडमास्टर, जानिए
प्रदेश के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से आचार्य एवं फाजिल डिग्रीधारी को राजकीयकृत अथवा परियोजना माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की स्नातकोत्तर डिग्रीधारी के समतुल्य माना जाएगा।
पटना [राज्य ब्यूरो]। प्रदेश के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से कला संकाय के अधीन आचार्य एवं फाजिल के समकक्ष डिग्रीधारी भी अब प्रधानाध्यापक बन सकेंगे। शिक्षा विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर बिहार राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालय (सेवा शर्त) नियमावली 1983 में संशोधन करते हुए नई नियमावली गठित कर दी है। जिसे राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालय (सेवा शर्त) नियमावली 2018 के नाम से जाना जाएगा।
संशोधित नियमावली में प्रावधान किए गए हैं कि प्रदेश के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से कला संकाय के अधीन आचार्य एवं फाजिल डिग्रीधारी को राजकीयकृत अथवा परियोजना माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की स्नातकोत्तर डिग्रीधारी के समतुल्य माना जाएगा। जिस प्रकार राजकीयकृत अथवा परियोजना माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रोन्नति देकर प्रधानाध्यापक बनाया जाता है ठीक उसी प्रकार आचार्य एवं फाजिल डिग्रीधारियों को भी इन विद्यालयों का प्रधानाध्यापक बनाया जा सकेगा।
शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आचार्य एवं फाजिल आर्हता प्राप्त शिक्षकों की राज्यस्तरीय वरीयता का निर्धारण इनके प्रशिक्षण की आर्हता प्राप्ति की तिथि से किया जाएगा। सरकार के इस फैसले के साथ ही बड़ी संख्या में वैसे शिक्षक जो अब तक आचार्य और फाजिल डिग्री रहने के बाद भी प्रधानाध्यापक नहीं बन पा रहे थे उनके लिए रास्ता साफ हो गया है।