पटना, अरुण अशेष। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा धीरे-धीरे उस रास्ते पर बढ़ रहे हैं, जिसमें वापसी की संभावना नहीं रहती है। अब तक वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्राधिकार को चुनौती नहीं दे रहे थे। उनसे और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह से सहज भाव से सवाल पूछ रहे थे कि सरकार बनाने के लिए राजद के साथ जो डील हुई है, उसके बारे में कार्यकर्ताओं को बताएं।

हालांकि, अब वे इस मान्यता को चुनौती दे रहे हैं कि नीतीश ही जदयू हैं। उपेंद्र ने कह दिया कि जदयू नीतीश कुमार की नहीं, शरद यादव की पार्टी थी। वरिष्ठ समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस ने आशीर्वाद स्वरूप नीतीश को समता की कमान सौंपी थी, जो 2003 में जदयू में विलीन हो गई। अब यह किसी व्यक्ति की नहीं, लाखों-करोड़ों लोगों की पार्टी है, जिसमें उनका (उपेंद्र) भी हिस्सा है।

धीरे-धीरे आक्रामक हो रहे उपेंद्र

उपेंद्र की छवि नरम बोलने वाले नेताओं की है। हालांकि, वर्तमान प्रकरण में वे धीरे-धीरे आक्रामक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझ पर दल बदलने का आरोप लगा रहे हैं। सहुलियत के लिए गठबंधन बदलने के बारे में भी विचार करें। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति उपेंद्र की पहली तीखी टिप्पणी है। 2017 में भाजपा में शामिल होने के समय राजद ने नीतीश कुमार को पलटू कहा था।

उपेंद्र यह भी याद दिला रहे कि सहयोगी दल आपके (नीतीश कुमार) बारे में क्या बोलते थे। कुशवाहा ने कहा कि वह नीतीश कुमार का बहुत सम्मान करते हैं। हालांकि, बार-बार यह सुन कर अच्छा नहीं लगता है कि मैं नीतीश कुमार की पार्टी में आता-जाता रहा हूं। मैं उनके आग्रह पर ही दो बार जदयू में शामिल हुआ। यह मेरी भी पार्टी है।

नीतीश की आलोचना कर पार्टी में कोई नहीं रहा

जदयू के नेता, विधायक और मंत्री एक दूसरे की आलोचना कर पार्टी में बने रहते हैं। मगर, नीतीश कुमार की सीधी आलोचना कर कोई पार्टी में रह गया हो, यह उदाहरण नहीं मिलता है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का ताजा उदाहरण हैं। उन्होंने जिस दिन नीतीश को सीधी चुनौती दी, जदयू के प्रदेश कार्यालय से पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश चला गया कि आरसीपी के कार्यक्रम में उन्हें शामिल नहीं होना है। उसके कुछ दिन बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया।

कार्यकर्ताओं की बैठक में होगी चर्चा

पैटर्न आरसीपी वाला ही चल रहा है। उपेंद्र ने 19-20 फरवरी को कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। इसमें पार्टी को मजबूत करने के उपायों की चर्चा होगी। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कार्यकर्ताओं को उपेंद्र की बैठक में शामिल होने से मना किया है। माना जा रहा है बैठक से पहले या तुरंत बाद में जदयू उपेंद्र से नाता तोड़ने की घोषणा कर देगी। इस समय नाता तोड़ने की घोषणा करने का विकल्प उपेंद्र के पास सुरक्षित है। वैसे, ललन सिंह ने कह दिया है कि उपेंद्र संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष नहीं हैं। संदेश यह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री की सहमति से ही यह घोषणा की है।

Edited By: Aditi Choudhary