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CM नीतीश ने कहा - अपनी परीक्षा में फेल हो गए PM मोदी

वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा लोकसभा में पेश आम बजट में बिहार की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी आलोचना की है। नीतीश ने बजट पूरी तरह फ्लाॅप है, इसे पास मार्क्स भी देना मुश्किल है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 29 Feb 2016 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 01 Mar 2016 09:33 AM (IST)
CM नीतीश ने कहा - अपनी परीक्षा में फेल हो गए PM मोदी

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सोमवार को पेश आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बिहार सहित किसी भी पिछड़े राज्य का इससे कोई भला नहीं होने वाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले यह कहा था कि बजट उनके लिए परीक्षा है। इस बजट से तो उन्हें पास करने लायक अंक भी हासिल नहीं हुए हैं।

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आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इससे सबसे अधिक फायदा काला धन रखने वालों को होगा। काला धन वापस लाते-लाते सरकार ने काला धन रखने वालों के लिए एक एमनेस्टी की व्यवस्था बजट में कर दी है। काला धन को सफेद करने का इंतजाम हो गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के लिए यह बजट तो पूरी तरह से निराशाजनक है। ग्रामीण क्षेत्र और कृषि के विकास की बात कर रहे, पर कोई कंक्रीट बात परिलक्षित नहीं हो रही। लोकसभा चुनाव 2014 के समय यह वादा किया गया था कि फसलों के समर्थन मूल्य पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त जोड़कर दिया जाएगा, पर तीन बजट हो गए, इस वादे को पूरा नहीं किया गया। किसानों की आय इतनी कम है कि अगर वह 2020 तक दोगुनी भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। पांच साल में मुद्रास्फीति की दर का भी सोचिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आवंटन बढ़ाने की बात कही है। सौ फीसद केंद्र प्रायोजित इस योजना में अब राज्यों को 40 फीसद लगाना पड़ रहा है। बिहार की स्थिति यह है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य ने 4000 करोड़ की मांग की और मिला 2781 करोड़।

मुख्यमंत्री ने कहा, बजट भाषण में बिहार के लिए घोषित आर्थिक पैकेज और बीआरजीएफ (पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष) की राशि का कोई जिक्र नहीं है। यही नहीं 14वें वित्त आयोग से राज्यों को जो पैसा दिया गया, उसकी चर्चा भी कर दी गई। यह केंद्र सरकार की कृपा नहीं है, बल्कि वित्त आयोग ने दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बावजूद वित्तीय वर्ष 2015-16 में बिहार को 6000 करोड़ कम आवंटन हुआ। वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह 10 हजार करोड़ कम हो जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस बजट से काला धन रखने वालों को फायदा जरूर हुआ है। काला धन लाओ, 45 प्रतिशत जमा करो तो काला धन सफेद हो जाएगा। यह अर्थशास्त्री का बजट नहीं, एक वकील का जरूर है, क्योंकि डिस्प्यूट सेटेलमेंट की खूब बात है।

उन्होंने कहा, यह बजट कोई उम्मीद नहीं पैदा करता कि सुधार होगा। अप्रत्यक्ष कर में वृद्धि हो गई। सर्विस टैक्स के माध्यम से सरकारी निर्माण से भी सेवा कर वसूल रही केंद्र सरकार। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने पर भी कुछ नहीं कहा गया। ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का नाम बदलकर राज्यों का अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया।


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