Union Budget 2020: बिहार के गांवों व किसानों के लिए वरदान बन सकतीं योजनाएं, जानिए
Union Budget 2020 केंद्रीय बजट की योजनाओं से बिहार में पौने दो करोड़ किसान परिवारों में आर्थिक हालत सुधरने की आस जगी है। उम्मीद है कि बजट से यहां के गांवों की हालत सुधर सकती है।
पटना, अरविंद शर्मा। बिहार में लगभग पौने दो करोड़ किसान परिवार हैं। 86 फीसदी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र के जानकारों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट से बिहार के गांवों की माली हालत सुधर सकती है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र ने कई नई योजनाओं की शुरुआत की है और पुरानी को भी संसाधन उपलब्ध कराया है, जिसका सीधा फायदा गांवों और किसानों को मिल सकता है। पीएम किसान सम्मान निधि से जुड़े किसानों को केसीसी लोन की सुविधा देने का प्रस्ताव है। अभी बिहार के 60 लाख किसानों को पीएम सम्मान निधि मिल रही है। इसकी संख्या लगातार बढ़ भी रही है। योजना के क्रियान्वयन से लाखों किसानों की खेती-बारी की समस्या खत्म हो जाएगी।
बजट में नाबार्ड द्वारा देश की सभी पंचायतों में कोल्ड स्टोरेज और कृषि भंडार बनाने की घोषणा से बिहार की करीब साढ़े आठ हजार पंचायतों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। हालांकि, इसके प्रारूप को देखने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि बिहार में पहले से बने कई कोल्ड स्टोरेजों की हालत अच्छी नहीं है। किंतु अच्छी बात है कि इससे नाबार्ड को जोड़ा जा रहा है।
बिहार के कृषि उत्पादों को बाजार की जरूरत है और केंद्र ने बजट में इसका खास तौर पर ध्यान रखा है। मक्का, गेहूं और चावल के उत्पादन में पांच-पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने वाले बिहार को बाजार चाहिए। किसान ट्रेन से बहुत हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। दूध, मांस-मछली को दूसरे प्रदेशों में आसानी से भेजा जा सकता है। भुसावल-दिल्ली बैनाना एक्सप्रेस की तर्ज पर बिहार से भी मक्के के निर्यात के लिए ट्रेनों में अलग से रेक लगती है।
ऐसी ही व्यवस्था अगर सब्जियों के लिए होगी तो बिहार के किसान उत्साहित हो सकते हैं और सब्जी के उत्पादन में अपना प्रदेश नंबर वन हो सकता है। अभी देश में बिहार का स्थान दूसरा है। दूध और मछली का उत्पादन में दोगुना वृद्धि की स्कीम से भी बिहार को फायदा होगा, क्योंकि यहां मछली का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।
बागवानी के क्षेत्र में केंद्र ने हर जिले में एक खास उत्पाद को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य तय किया है। बिहार के सभी 38 जिलों में पहले से ही इसकी तैयारी कर ली गई है। मौसम एवं मिट्टी के मुताबिक पहले से ही प्रत्येक जिले में अलग-अलग खास उत्पाद पर फोकस किया जा रहा है। बजट में देश के सौ जिलों में सिंचाई की खास व्यवस्था होने वाली है। बिहार के 17 जिलों में जलशक्ति योजना के तहत यह काम पहले से किया जा रहा है। नई योजना में अगर बिहार के जिले बढ़ते हैं तो सिंचित क्षेत्र का भी विस्तार होना तय है।
जैविक खेती की पहल बिहार में पहले से की जा रही है। अभी 13 जिलों में जैविक कोरिडोर बनाकर खेती की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए किसानों को आठ-आठ हजार अनुदान भी दिया जा रहा है। तीसरे कृषि रोडमैप में प्रत्येक खेत में पानी पहुंचाने के लिए अलग से कृषि फीडर बनाने का काम अंतिम चरण में है। केंद्र की योजना से बिहार को संबल मिल सकता है।