बेरोजगार इंजीनियरों को टेंडर की सरकारी नौकरी नहीं आ रही रास, नहीं पहुंचे ज्वाइन करने
पीएचइडी में हुई थी संविदा पर बहाली लेकिन ऐसी नौकरी में कम है दिलचस्पी प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को अवसर
पटना, राज्य ब्यूरो। बेरोजगार इंजीनियरों को संविदा (टेंडर) की सरकारी नौकरी रास नहीं आ रही है। वे बहाली के लिए आयोजित काउंसिलिंग में शामिल होते हैं। सफल अभ्यर्थियों की सूची में नाम आता है। विभाग नियुक्ति पत्र तैयार करता है। लेकिन, इंजीनियर साहब नौकरी करने नहीं आते। कुछ तो ऐसे भी निकले जो नियुक्त हुए और कुछ दिन बाद बिना कुछ कहे इस्तीफा देकर चलते बने।
यह सब लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में हुआ। पिछले साल सितम्बर महीने में विभाग ने सिविल के 64 और मेकैनिकल इंजीनियरों के छह पदों के लिए विज्ञापन निकाला। गेट स्कोर के आधार पर काउंसिलिंग के जरिए बहाली होनी थी। साल भर बाद इस सितम्बर महीने में सफल उम्मीदवारों की सूची जारी हुई। इनके लिए 55 हजार रुपये के मासिक वेतन पर बहाली का पत्र तैयार किया।
दो महीने के इंतजार के बाद पता चला कि 70 में से 31 इंजीनियरों ने विभाग में योगदान ही नहीं किया। सहायक अभियंता के पद पर योगदान करने वाले दो सिविल इंजीनियर भी कुछ दिन बाद त्याग पत्र देकर चले गए। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने इन सबकी नियुक्ति को रद कर दिया। इसके लिए शुक्रवार को विभाग के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता के हवाले से आदेश जारी कर दिया गया है।
अब विभाग ने प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों से खाली पदों को भरने का फैसला किया है। लेकिन, मुश्किल यह है कि सिविल इंजीनियरों के 30 रिक्त पदों के विरूद्ध प्रतीक्षा सूची में सिर्फ 26 के नाम हैं। प्रतीक्षा सूची के एक मैकेनिकल इंजीनियर को भी मौका दिया जा रहा है। साथ में चेतावनी भी दी जा रही है। अधिकतम एक महीने के भीतर इन्हें विभाग में योगदान करने के लिए कहा गया है। संविदा पर यह बहाली एक साल के लिए होती है। जरूरत रहने पर सेवा विस्तार का भी प्रावधान है।