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निर्विरोध छावनी परिषद के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए उमेश कुमार

छावनी परिषद के उपाध्यक्ष पद को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को समाप्त हो गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 06:47 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 06:47 PM (IST)
निर्विरोध छावनी परिषद के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए उमेश कुमार
निर्विरोध छावनी परिषद के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए उमेश कुमार

दानापुर। छावनी परिषद के उपाध्यक्ष पद को लेकर चल रहा विवाद सोमवार को समाप्त हो गया। वार्ड संख्या पाच के पार्षद उमेश कुमार निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। चुनाव संबंधी बैठक में उपाध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद पार्षद उमेश कुमार, इंद्र प्रसाद, आशा देवी, रजिया सुलतान, मधु गुप्ता के साथ जैसे ही कक्ष से बाहर निकले समर्थकों ने फूल मालाओं से उनका स्वागत किया। उपाध्यक्ष बनने के बाद उमेश कुमार ने कहा कि क्षेत्र का विकास व अधूरे कार्य को पूरा करना हमारा लक्ष्य होगा। सोमवार को छावनी परिषद में उपाध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अध्यक्ष ने बैठक बुलायी थी। बैठक शुरू होने के कुछ समय बाद ही पूर्व उपाध्यक्ष रंजीत कुमार व उनके समर्थक पार्षद नवल किशोर बैठक का बहिष्कार करते हुए बाहर निकल गए। इसके बाद उपाध्यक्ष पद की चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें उमेश कुमार निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित किए गए।

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पूर्व उपाध्यक्ष ने किया बैठक का बहिष्कार

बैठक का बहिष्कार करते हुए पूर्व उपाध्यक्ष रंजीत कुमार ने कहा कि उपाध्यक्ष का चुनाव कानून की अनदेखी कर किया गया है। छावनी एक्ट की धारा 1924 (35) के तहत छावनी सदस्य को लोक सेवक माना गया है। इस अधिनियम के तहत साफ है कि कोई भी छावनी सदस्य किसी भी मामले में जेल जाता है तो इसकी सूचना से बोर्ड के अध्यक्ष एवं सचिव को देनी है। अगर सदस्य सूचना को छुपाते हैं तो उनकी सदस्यता को निलंबित करने का प्रावधान है। मगर इस कानून को ताक पर रखकर उमेश कुमार को उपाध्यक्ष पद की शपथ दिलाई गई है। उमेश कुमार हाल ही में जेल से जमानत पर बाहर आए हैं। इस सूचना से किसी को अवगत नहीं कराया है। उनका चुनाव मनमाने तरीके से से कराया गया है। इसको लेकर मैंने बैठक का बहिष्कार किया।

छह नवंबर को हारे थे अविश्वास प्रस्ताव

सनद हो कि विगत 29 अक्टूबर को वार्ड संख्या 5 के पार्षद उमेश कुमार के नेतृत्व में पार्षद रजिया सुल्तान, आशा देवी, इंद्र प्रसाद व मधु गुप्ता ने छावनी परिषद के उपाध्यक्ष रंजीत कुमार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया था। संख्या बल के इस खेल में सभी लगे थे। उपाध्यक्ष पद को लेकर दो बार बैठक बुलाई गई। छह नवंबर को अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ। उमेश कुमार सभी पार्षदों को अपने पक्ष में रखने में कामयाब हुए और वे विजयी हुए।


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