जीतनराम मांझी का यू-टर्न- अब ओवैसी की रैली में नहींए हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में जाएंगे
जीतनराम मांझी ने जिद ठान रखी थी कि वो असदुद्दीन ओवैसी की रैली में किशनगंज जाएंगे। पर अब उन्होंने यू-टर्न लेते हुए कहा है कि वे हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में रांची जाएंगे।
पटना, जेएनएन। कांग्रेस और आरजेडी के विरोध के बावजूद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी असदुद्दीन ओवैसी के साथ किशनगंज की रैली में शिरकत करने की जिद कर रहे थे। लेकिन, अब उन्होंने यू-टर्न लिया है और कहा है कि वो अब हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने रांची जाएंगे। उनकी इस बात से महागठबंधन को राहत मिली होगी। मांझी के किशनगंज की रैली में भाग लेने की खबर से बिहार में नए राजनीतिक समीकरण की बात कही जा रही थी, उसपर विराम लगता नजर आ रहा है।
कहा था मांझी ने-हम किशनगंज जरूर जाएंगे
नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी की रैली किशनगंज में 29 दिसंबर को होनी है। पहले से जीतनराम मांझी ने कहा था कि जहां इसका विरोध होगा, वहां हम जाएंगे। क्योंकि यह मुस्लिमों के साथ-साथ दलितों के खिलाफ भी है और हम जरूर शिकरत करेंगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि हम किससे पूछकर जाएगे, हमें कौन कहेगा? महागठबंधन में कौन नेता है? हम तेजस्वी यादव को नेता नहीं मानते।
जीतनराम मांझी ने लिया U turn अब असदुद्दीन ओवैसी की रैली में नहीं, हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में जाएंगे। सुनिए क्या कहा....#biharpolitics #jitanrammanjhi #asaduddinowaisi #hemantsoren pic.twitter.com/r02UpPXSoi
— kajal lall (@lallkajal) December 28, 2019
राजद-कांग्रेस ने जताया था एेतराज
जीतनराम मांझी की जिद पर कांग्रेस और राजद ने एेतराज जताया था और कहा था कि ओवैसी बीजेपी की बी टीम है और उनके साथ जाने का मतलब बीजेपी की मदद करना है। ऐसे में जीतनराम मांझी को इस पर सोचना चाहिए। राजद प्रवक्ता और विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा था कि ओवैसी बीजेपी के इशारे पर चलने वाले लोग हैं, इस पर महागठबंधन के लोग बैठेंगे और विचार करेंगे, कैसे क्या करना चाहिए और नहीं करना चाहिए?
कांग्रेस के नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा था कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी जिस तरह से खुलेआम कह रहे हैं कि वह ओवैसी जी की मीटिंग में किशनगंज जाएंगे, मैं समझता हूं कि कोई महागठबंधन का सहयोगी अगर बीजेपी की घोषित बी टीम के नेता ओवैसी द्वारा आयोजित किसी मीटिंग में जाते हैं, तो यह कहीं से भी अच्छा कदम नहीं है। मांझी जी वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस को उम्मीद है वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे, जिससे बिहार में बीजेपी को फायदा मिले।