बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दो साल, जानिए क्या हुआ फायदा
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दो वर्ष पूरे हो गए। इन दो वर्षों में 3.25 लाख लोगों ने आवेदन किया, जिनमें 2.89 लाख मामले निष्पादित हुए।
पटना [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि लोगों की समस्याओं का निराकरण होना महत्वपूर्ण है। समस्या का समाधान होने से प्रशासनिक तंत्र पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा। यह बहुत बड़ी चीज है। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर स्थानीय अधिवेशन भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी हो इसके लिए यह आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भीतर तक स्थानीय जुबान में इसका प्रचार-प्रसार किया जाए। समारोह में यह जानकारी दी गई दो वर्षों के भीतर लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में 3.28 लाख आवेदन दिए जिनमें 2.89 लाख का निष्पादन हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र मेें बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून बड़ा काम है। हम चाहते हैैं कि प्रशासनिक अधिकारी खुद ही यह विकल्प दें कि वे लोक शिकायत निवारण अधिकारी के रूप में काम करना चाहते हैैं। उनके कार्य अवधि के दो वर्ष पूरे होने पर उनकी रुचि के हिसाब से उन्हें पदस्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के आंकड़े से हमें यह विश्लेषण करने में भी सहूलियत होगी कि आखिर कहां-कहां से शिकायतें आ रही हैैं। हम आंकड़ों के आधार पर अपने आंतरिक सिस्टम को मजबूत कर सकते हैैं। हमें सोचना चाहिए कि आखिर शिकायतों की नौबत ही क्यों आती है?
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भीतर तक लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून का प्रचार-प्रसार स्थानीय जुबान में होना चाहिए। मैथिली, भोजपुरी और मगही आदि में प्रचार सामग्री तैयार करें। अभी ठीक ढंग से लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी नहीं है। जिन लोगों को इस कानून से लाभ हुआ है उनके अनुभवों के बारे में लोगों को बताया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट है कि प्रशासनिक सुधार की दिशा में यह कानून प्रभावी सिद्ध हो रहा है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने आरटीपीएस कानून की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आंकड़ा यह है कि मई 2018 तक आरटीपीएस के माध्यम से लोगों को 18 करोड़ सेवाएं प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर जन साधारण रथ को हरी झंडी दिखाकर विदा किया। इस रथ में लगे वीडियो के माध्यम से लोगों को लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने इस कानून से जुड़ी सक्सेस स्टोरी पर आधारित एक पुस्तक का लोकार्पण भी किया।
अब लोगों को नहीं भटकना पड़ता पैरवी के लिए
राज्य सरकार के विभाग, योजनाएं एवं सेवाओं से संबंधित मामलों में आम फरियादियों को इंसाफ अब सहज और निश्शुल्क मिलने लगा है। शासन-प्रशासन को ज्यादा जिम्मेदार और पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार ने पांच जून 2016 को लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू किया था। तब से अभी तक अधिनियम के तहत तीन लाख 29 हजार फरियादियों ने शिकायतें की हैं। इनमें दो लाख 91 हजार को न्याय भी मिल चुका है। बाकी का निष्पादन प्रक्रिया में है। सबसे ज्यादा सुकून वैसे लोगों को है, जिन्हें पैरवी-पहुंच छोटी होने के चलते न्याय के लिए भटकना पड़ता था। अब उनकी शिकायतों का निष्पादन होने लगा है और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई भी।
64 अफसरों पर लटकी है तलवार
अधिनियम के तहत आम लोगों की फरियाद नहीं सुनने, उपेक्षा, अनदेखी करने या लापरवाही बरतने वाले 254 अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। उनसे सात लाख 52 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया है। अन्य 64 अफसरों पर भी तलवार लटकी हुई है। कुछ मामले गंभीर हैं। सुनवाई की प्रक्रिया जारी है। आरोप सिद्ध हुआ तो नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। कार्रवाई की प्रक्रिया से गुजर रहे अफसरों में कनिष्ठ-वरिष्ठ सभी हैं। इसमें दर्जन भर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी भी हैं। बीडीओ, सीओ, थानेदार, सहकारिता पदाधिकारी एवं प्रोग्र्राम पदाधिकारी भी शामिल हैं। इनपर लालच में काम लटकाने, फरियादियों की उपेक्षा करने एवं लापरवाही बरतने जैसे गंभीर मामले हैं।
सबसे ज्यादा जमीन से जुड़े मामले
अधिनियम के लागू होने के दिन से अभी तक सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आ रही हैं। दूसरे नंबर पर गृह विभाग हैं। विभिन्न विभागों में दो वर्षों में जितनी भी शिकायतें आई हैं, उनमें जमीन से संबंधित 24 हजार मामले हैं। पुलिस से संबंधित भी हजारों मामले हैं। इसके अलावा इंदिरा आवास, जन वितरण प्रणाली एवं आम लोगों के रोजमर्रे की जिंदगी से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं। सबसे ज्यादा मामले पटना एवं गया जिले से आ रहे हैं। लखीसराय, शिवहर एवं शेखपुरा जिले से सबसे कम शिकायतें आ रही हैं।
60 दिनों के भीतर इंसाफ देना जरूरी
शिकायत करने वालों को दो महीने के भीतर इंसाफ देना अनिवार्य है। अगर कोई अधिकारी बिना किसी ठोस वजह के विलंब करता है तो फरियादी की शिकायत पर कार्रवाई हो सकती है। आरोप प्रमाणित होने पर कम से कम पांच सौ और अधिकतम पांच हजार जुर्माना भरना पड़ सकता है, जो संबंधित अधिकारियों की जेब से देना होगा। गंभीर मामलों में अधिकारियों की बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया है। फरियादी अपनी शिकायतें फोन पर भी कर सकते हैं। इसके लिए टोल फ्री नंबर 18003456284 जारी किया गया है। फोन करने वाले को तुरंत केस नंबर दे दिया जाता है। वह चाहे तो समाधान की स्थिति भी फोन करके ही जान सकता है।