बेसहारा मासूम की चीख से दहल रहा पीएमसीएच
कभी-कभी ईश्वर के कहर से मानवता कराह उठती है।
पटना । कभी-कभी ईश्वर के कहर से मानवता कराह उठती है। व्यक्ति बरबस ही कह उठता है कि न जाने प्रभु को क्या मंजूर है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ ऐसा ही लोग कह रहे हैं पीएमसीएच की इमरजेंसी में दो साल के मासूम को देखकर। रोहतास जिले के बारुण थाना अंतर्गत लख डिहरा गांव के निवासी दो साल का बेसहारा मासूम जब मां-मां कर चिल्लाता है, तो अस्पताल के डॉक्टरों एवं नर्सो के पास कोई जवाब नहीं होता है। वे छोटे बच्चे को कैसे चुप कराएं। उसकी मां को कहां से लाएं, उसे क्या पता कि अब उसकी मां इस दुनिया में नहीं रही। वह तो अभी मौत की पहेली समझ भी नहीं पा रही है। एक तरफ उसके गांव से आए लोग, उसे संभालने में लगे हैं, तो दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन। बच्चा जब तक जगा रहता है मां-मां चिल्लाते रहता है और जब थक कर सो जाता है तब अस्पताल प्रशासन भी राहत की सांस लेता है।
घटना दशहरे की है जब मासूम अजीत अपनी मां मुन्नी एवं पिता विजय चौधरी के साथ गया जा रहा था। तभी बारुण स्टेशन पर उसके माता-पिता ट्रेन की चपेट में आ गए और स्पॉट पर ही उनकी मौत हो गई। मात्र दो साल का मासूम अपनी बड़ी बहन गुड़िया के साथ इस दुनिया में बच गया है। गांव के लोग उसे देखने के लिए आ रहे हैं, लेकिन बच्चे को राहत देने वाला कोई नहीं है। बच्चे के सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि, उसकी बहन को गांव के लोग लेकर चले गए हैं।
पीएमसीएच प्रशासन उठा रहा इलाज का खर्च :
अनाथ बच्चे को इलाज पर आने वाले खर्च का वहन करने का निर्णय पीएमसीएच प्रशासन ने लिया है। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से बच्चे को मुफ्त में सभी तरह की जांच कराई जा रही है। इसके लिए सभी आवश्यक दवाओं की विशेष व्यवस्था की गई है। गांव से आने वाले लोगों को किसी प्रकार की दवा नहीं खरीदनी है। बच्चा जब तक रहेगा, उसका इलाज अस्पताल प्रशासन की ओर से किया जाएगा। फिलहाल बच्चे को पीएमसीएच की इमरजेंसी की ट्रायज रूम में रखा गया है। उसके सिर में गहरी चोट है, जिसका चिकित्सक इलाज कर रहे हैं।