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बिहार विधानपरिषद में दो सीटें हैं खाली, एनडीए नेताओं को 12 के लिए करना होगा इंतजार

बिहार विधानपरिषद में दो सीटें खाली हैं जिसपर भर्तियां अगले साल हो सकती हैं। एनडीए नेताओं को इंतजार करना होगा। तब तक 12 सीटें खाली हो जाएंगी। जानिए पूरी खबर..

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 10:24 PM (IST)
बिहार विधानपरिषद में दो सीटें हैं खाली, एनडीए नेताओं को 12 के लिए करना होगा इंतजार
बिहार विधानपरिषद में दो सीटें हैं खाली, एनडीए नेताओं को 12 के लिए करना होगा इंतजार

पटना, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल के मनोनयन के जरिए विधान परिषद में जाने की इच्छा रखने वाले एनडीए के नेताओं को थोड़ा इंतजार करना होगा। इस कोटे की दो सीटें फिलहाल खाली हो गईं हैं। सरकार इन्हें तत्काल भरने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। उम्मीद है कि अगले साल के मई महीने में ही इनके लिए मनोनयन होगा। उस वक्त रिक्तियों की संख्या 12 रहेंगी।

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75 सदस्यीय बिहार विधान परिषद में सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल 12 सदस्यों का मनोनयन करते हैं। पिछली बार यह मनोनयन मई 2014 में हुआ था। उस समय मनोनीत राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह लोकसभा में चले गए हैं। दूसरे मनोनीत नरेंद्र सिंह की सदस्यता रद कर दी गई थी।

उनकी जगह लोजपा के पशुपति कुमार पारस मनोनीत किए गए थे। वह भी लोकसभा के लिए चुन लिए गए। लिहाजा, दो सीटें खाली हो गईं। अभी अगर मनोनयन हो तो एक सीट जदयू के खाते में जाएगी, जबकि दूसरी पर स्वाभाविक रूप से लोजपा का दावा बनेगा। 

सूत्रों ने बताया कि अभी मनोनयन भी होगा तो सदस्य का कार्यकाल साल भर से भी कम का रहेगा। इन सदस्यों के रहने न रहने से विधायी कार्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। उल्टे कुछ महीनों के लिए सदस्य बनने वाले को भी उम्र भर पेंशन और पूर्व सदस्यों के लिए निर्धारित अन्य सुविधाएं देनी होगी। यह बेवजह सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाने वाला होगा। 

वैसे, भी राज्य सरकार मनोनयन की इन सीटों का उपयोग राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए करती रही है। 2014 में 12 में से सात सदस्य दूसरे दलों के बनाए गए थे। इनमें जावेद इकबाल अंसारी, रामवचन राय और राम लषण राम रमण राजद से आए थे।

जबकि भाजपा से आए विजय कुमार मिश्र, रणवीर नंदन और राणा गंगेश्वर को परिषद में भेज कर उपकृत किया गया। एक अन्य सदस्य रामचंद्र भारती तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पसंद थे। जदयू ने अपने सिर्फ पांच लोगों को उस साल मनोनयन कोटे से परिषद में भेजा था। 


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