नोटबंदी के दौरान यूं करते थे काला धन सफेद, पुलिस ने किया गिरफ्तार
वर्ष 2016 के नवंबर में नोटबंदी के बाद करीब नौ करोड़ के कालेधन को सफेद बनाने की साजिश में शामिल दो लोगों को ईओयू ने गिरफ्तार कर लिया।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने शनिवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। वर्ष 2016 के नवंबर में नोटबंदी के बाद करीब नौ करोड़ के कालेधन को सफेद बनाने की साजिश में शामिल गया चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष धीरज जैन और बैंक ऑफ इंडिया की गया स्थित जीबी रोड शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक सुभाषचंद्र झा को ईओयू ने गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पटना में गहन पूछताछ की जा रही है।
इस मामले में फरार चल रहे चार अन्य आरोपियों की तलाश में राज्य के विभिन्न स्थानों पर ईओयू की टीम दबिश दे रही है। कालेधन को सफेद बनाने में शामिल चार आरेपियों में तीन बैंक अधिकारी और कर्मी के साथ इस साजिश का किंगपिन गया निवासी मोतीलाल पटवा उर्फ मोती बाबू भी शामिल है।
ईओयू के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 8 नवंबर, 2016 को पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट को प्रतिबंधित करने के बाद गया में कॉटन मिल के मालिक मोतीलाल पटवा ने करीब नौ करोड़ के प्रतिबंधित नोट बैंक ऑफ इंडिया की जीबी रोड शाखा में पांच बेनामी बैंक खातों में जमा कराए थे। बाद में बेनामी बैंक खातों से यह धनराशि अन्य बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी गई।
इस मामले की जांच कर रही ईओयू की टीम ने पाया कि यह कालाधन केवल मोतीलाल पटवा का नहीं है बल्कि कोलकाता, अहमदाबाद और देश के कई अन्य बड़े शहरों के व्यवसायियों का है। मोतीलाल पटवा ने नौ करोड़ के कालेधन को सफेद करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के जीबी रोड शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक सुभाषचंद्र झा के साथ-साथ बैंक के दो अन्य प्रबंधकों हेमंत कुमार वर्मा, अरविंद कुमार और मुख्य रोकड़पाल ओमप्रकाश नंद को भी मैनेज कर रखा था।