बिहारः दस साल बाद बढ़ी निलंबित डीएसपी की मुश्किलें, गृह विभाग ने शुरू की विभागीय कार्रवाई
करीब 10 साल पुराने परीक्षा धांधली के मामले में भी डीएसपी के विरुद्ध गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला वर्ष 2012 का है जब रंजीत कुमार रजक भागलपुर के नाथनगर स्थित सिपाही प्रशिक्षण विद्यालय में ट्रेनी डीएसपी के पद पर थे।
राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के पेपर लीक मामले में निलंबित डीएसपी रंजीत कुमार रजक की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। करीब 10 साल पुराने परीक्षा धांधली के मामले में भी उनके विरुद्ध गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। यह मामला वर्ष 2012 का है, जब रंजीत कुमार रजक भागलपुर के नाथनगर स्थित सिपाही प्रशिक्षण विद्यालय में ट्रेनी डीएसपी के पद पर थे। इस दौरान उनके पटना के किराये के फ्लैट में छापेमारी के दौरान जूनियर इंजीनियर एवं आडिटर परीक्षा में शामिल 21 परीक्षार्थियों का मूल प्रमाण पत्र, एडमिट कार्ड और ओएमआर शीट की कार्बन कापी बरामद हुई थी। इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने 20 अक्टूबर, 2012 को धारा 420, 468, 473 और 120बी के तहत नामजद प्राथमिकी की। इसके बाद 11 मई, 2015 को अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के संज्ञान लिए जाने के बाद ईओयू ने आरोप पत्र दाखिल किया था।
- दस साल पुराने मामले में निलंबित डीएसपी रंजीत रजक के विरुद्ध शुरू हुई विभागीय कार्यवाही
- वर्ष 2012 के परीक्षा धांधली मामले में विभागीय जांच शुरू, आइजी अमृत राज होंगे संचालन पदाधिकारी
ईओयू की रिपोर्ट, रंजीत आर्थिक अपराध में शामिल
मामले की जांच कर रही ईओयू की रिपोर्ट में रंजीत रजक का चरित्र संदिग्ध एवं आर्थिक अपराध में संलिप्त पाया गया था। इसके बाद रंजीत से लिखित बचाव पत्र मांगा गया था। विभागीय समीक्षा में रंजीव का लिखित बचाव पत्र स्वीकार योग्य नहीं पाया गया। इसेक बाद विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए मद्य निषेध इकाई के आइजी अमृत राज को संचालन पदाधिकारी बनाया गया है। रंजीत रजक को विभागीय कार्रवाई के संचालन के लिए 10 कार्य दिवस या निर्देशानुसार आइजी अमृत राज के समक्ष उपिस्थत होने को कहा गया है। इस बाबत गृह विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है। इसके अलावा इस साल हुए बीपीएससी पेपर लीक मामले में भी डीएसपी के विरुद्ध जल्द चार्जशीट होने की उम्मीद है।