बिहार: महागठबंधन की रफ्तार पर लालू परिवार का ही ब्रेक, चौतरफा संकटों में तेजस्वी
जेल की सजा काट रहे लालू यादव बीमार हैं तो परिवार कानूनी पचड़ों में फंसा है। बेटे तेज प्रताप ने तलाक का मुकदमा कर दिया है। इन पचड़ों का असर महागठबंधन के चुनाव अभियान पर पड़ा है।
By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 10:52 AM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 10:52 AM (IST)
पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में महागठबंधन की रफ्तार पर लालू परिवार के संकट का ब्रेक लगता दिख रहा है। बिहार विधानसभा में में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को अभी एक साथ चार मोर्चे अकेले संभालने पड़ रहे हैं। पिता लालू प्रसाद यादव की दिन-प्रतिदिन गिरती सेहत, परिवार में भाई तेज प्रताप यादव का पत्नी से बढ़ता वैराग्य और भाजपा-जदयू की संयुक्त ताकत से राजद के नेतृत्व में बिहार में महागठबंधन का मुकाबला आसान नहीं है। लालू परिवार के लिए अदालती चक्कर भी दिनचर्या की तरह हो गया है। संसदीय चुनाव से पहले तमाम झंझावातों से निपटना तेजस्वी के लिए सहज नहीं होगा।
तेजस्वी की चौतरफा परेशानियों के कारण बिहार में महागठबंधन की रफ्तार भी सुस्त है। लोकसभा सीट बंटवारे की बात तो अभी बहुत दूर है, शीर्ष नेताओं की पहल के तीन हफ्ते बाद भी समन्वय समिति का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। कांग्रेस के नेता अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं और तेजस्वी अपनी मुश्किलों में फंसे हैं। सबकी अलग व्यस्तता है।
जिसके नेतृत्व में बिहार में महागठबंधन नया स्वरूप लेने वाला है, वह अभी दूसरी झंझटों में फंसा है। ऐसे में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी के फार्मूले को स्वीकार करके भी काम आगे नहीं बढ़ पाया है।
तेजस्वी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी परेशानी परिवार में उभरे नए विवाद को सुलझाने की है। बड़े भाई तेज प्रताप पत्नी से तलाक लेने पर अड़े हैं। इससे राजद के वोट बैंक के बिखरने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है। तेज की पत्नी ऐश्वर्या राय खुद बड़े परिवार से हैं। उनके दादा दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिता चंद्रिका राय भी मंत्री थे। नवविवाहिता से नाइंसाफी को विरोधी दल चुनाव में मुद्दा बनाकर लालू परिवार के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। समय रहते अगर समाधान नहीं निकला तो राजद के परंपरागत समर्थकों को भड़काने की कोशिश हो सकती है। महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बने रहते हुए डेढ़ साल पहले तक खुद तेजस्वी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उन्हें इतने सारे मोर्चे पर अकेला जूझना होगा।
दिल्ली यात्रा का निष्कर्ष नहीं
पटियाला हाउस अदालत में रेलवे टेंडर घोटाले की सुनवाई के सिलसिले में करीब हफ्ते भर पहले दिल्ली गए तेजस्वी पटना लौट आए हैं। उनका पूरा हफ्ता कानूनी चक्कर में गुजर गया। न सीट बंटवारे पर बातें हुई, न अन्य दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात। उनकी दिल्ली की प्रत्येक यात्रा को महागठबंधन में सीट बंटवारे के लिहाज से देखा-समझा जाता है।
अबकी तेलगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा विरोधी महागठबंधन बनाने का प्रस्ताव दिया था। 22 नवंबर को अहम बैठक भी थी, जिसमें तेजस्वी को भी शामिल होना था। किंतु बैठक के टलने पर तेजस्वी का पूरा समय वकीलों से सलाह-मशवरा में ही गुजर गया।
तेजस्वी की चौतरफा परेशानियों के कारण बिहार में महागठबंधन की रफ्तार भी सुस्त है। लोकसभा सीट बंटवारे की बात तो अभी बहुत दूर है, शीर्ष नेताओं की पहल के तीन हफ्ते बाद भी समन्वय समिति का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। कांग्रेस के नेता अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं और तेजस्वी अपनी मुश्किलों में फंसे हैं। सबकी अलग व्यस्तता है।
जिसके नेतृत्व में बिहार में महागठबंधन नया स्वरूप लेने वाला है, वह अभी दूसरी झंझटों में फंसा है। ऐसे में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी के फार्मूले को स्वीकार करके भी काम आगे नहीं बढ़ पाया है।
तेजस्वी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी परेशानी परिवार में उभरे नए विवाद को सुलझाने की है। बड़े भाई तेज प्रताप पत्नी से तलाक लेने पर अड़े हैं। इससे राजद के वोट बैंक के बिखरने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है। तेज की पत्नी ऐश्वर्या राय खुद बड़े परिवार से हैं। उनके दादा दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिता चंद्रिका राय भी मंत्री थे। नवविवाहिता से नाइंसाफी को विरोधी दल चुनाव में मुद्दा बनाकर लालू परिवार के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। समय रहते अगर समाधान नहीं निकला तो राजद के परंपरागत समर्थकों को भड़काने की कोशिश हो सकती है। महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बने रहते हुए डेढ़ साल पहले तक खुद तेजस्वी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उन्हें इतने सारे मोर्चे पर अकेला जूझना होगा।
दिल्ली यात्रा का निष्कर्ष नहीं
पटियाला हाउस अदालत में रेलवे टेंडर घोटाले की सुनवाई के सिलसिले में करीब हफ्ते भर पहले दिल्ली गए तेजस्वी पटना लौट आए हैं। उनका पूरा हफ्ता कानूनी चक्कर में गुजर गया। न सीट बंटवारे पर बातें हुई, न अन्य दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात। उनकी दिल्ली की प्रत्येक यात्रा को महागठबंधन में सीट बंटवारे के लिहाज से देखा-समझा जाता है।
अबकी तेलगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा विरोधी महागठबंधन बनाने का प्रस्ताव दिया था। 22 नवंबर को अहम बैठक भी थी, जिसमें तेजस्वी को भी शामिल होना था। किंतु बैठक के टलने पर तेजस्वी का पूरा समय वकीलों से सलाह-मशवरा में ही गुजर गया।
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