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चिंता की बात नहीं, अब ब्लड कैंसर का इलाज जेनेटिक इंजीनिय¨रग से संभव

ब्लड कैंसर से पीड़ितों का इलाज अब जेनेटिक इंजीनिय¨रग से संभव हो सकेगा। इसके लिए एम्स पटना ने अपने लैब में कार टी सेल तैयार करने की योजना बनाई है। इस पद्धति से इलाज करीब पांच लाख रुपये खर्च होने की संभावना है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 12:44 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 01:38 PM (IST)
चिंता की बात नहीं, अब ब्लड कैंसर का इलाज जेनेटिक इंजीनिय¨रग से संभव
चिंता की बात नहीं, अब ब्लड कैंसर का इलाज जेनेटिक इंजीनिय¨रग से संभव

पटना [जेएनएन]। देश में ब्लड कैंसर से पीड़ितों का इलाज अब जेनेटिक इंजीनिय¨रग से संभव हो सकेगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना की माइक्रो बायोलॉजी लैब में कार-टी सेल (चिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर-ट्यूमर कोशिका) तैयार की जाएगी। एम्स पटना की माइक्रो बायोलॉजी लैब में कार-टी सेल तैयार होने से ब्लड कैंसर के इलाज में लगभग चार से पांच लाख रुपये खर्च होने की संभावना है।

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कैंसर पीड़ित मरीज के खून से लैब में औसतन 22 दिनों के भीतर अरबों की संख्या में कार-टी सेल तैयार किए जाएंगे। लैब में तैयार ये सेल वापस उस मरीज के शरीर में इंजेक्ट किए जाएंगे। कार-टी सेल शरीर में जाते ही गुणात्मक रफ्तार से ग्रोथ करेगा और ट्यूमर के सेल को नष्ट करेगा। इस चिकित्सा प्रणाली को इम्यूनोथेरेपी यानी शरीर के डिफेंस मैकेनिज्म से कैंसर के जीवाणु को समाप्त करना कहा जाएगा। कैलिफॉर्निया में कार-टी सेल चिकित्सा पद्धति को ईजाद किया गया है। इसे एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) ने प्रमाणित कर दिया है। एम्स पटना एफडीए प्रमाणित प्रोटोकॉल को अपना रहा है।

कार-टी सेल का नकारात्मक पहलू मरीजों का सर्वाधिक महंगा इलाज है। विदेशों में ब्लड कैंसर के एक मरीज के इलाज पर 470000 डॉलर खर्च आता है। भारतीय मुद्रा करीब में खर्च करीब 3.50 करोड़ रुपये होगा। सकारात्मक बात यह कि एम्स पटना की माइक्रो बायोलॉजी लैब में कार-टी सेल तैयार करने के आधुनिक उपकरण सुलभ हैं। संस्थान के पास हिमेटोलॉजी, एनोकोलॉजी और सेल कल्चर की विशेषज्ञ टीम उपलब्ध है। लैब और मैनपावर पर खर्च शून्य आएगा। कार-टी सेल के लिए एक बार पैसा लगेगा। प्रारंभिक आकलन में माना जा रहा है कि विदेशों में साढ़े तीन करोड़ रुपये में ब्लड कैंसर का होने वाला इलाज एम्स पटना के नेतृत्व में चार से पांच लाख में संभव हो सकेगा। एम्स पटना की सैद्धांतिक समिति ने 14 मई को माइक्रो-बायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. साधना शर्मा द्वारा तैयार प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। कैंसर के इलाज के लिए देश में अब तक कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से आगे कोई पहल नहीं की जा सकी है। संस्थान देश में ब्लड कैंसर के इलाज के लिए जेनेटिक इंजीनिय¨रग और इम्यूनोथेरेपी प्रणाली का नेतृत्व करेगा।

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कार-टी सेल तैयार करने के लिए एफडीए प्रमाणित प्रोटोकॉल के अनुसार सैद्धांतिक समिति ने मंजूरी दे दी है। माइक्रो-बायोलॉजी विभाग में विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन कर इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है।

- डॉ. सीएम सिंह, अध्यक्ष सामुदायिक चिकित्सा विभाग, एम्स पटना


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