IIT दीक्षांत समारोह: उजला कुर्ता-कमीज में नजर आए स्टूडेंट्स, टॉपर्स को मिले गोल्ड मेडल
गुरुवार को आइआइटी पटना का दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इसमें टॉपर्स को गोल्ड मेडल दिए गए। साथ ही सफल स्टूडेंट्स को उपाधियां दी गईं।
By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 10:44 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। आइआइटी, पटना का छठे दीक्षांत समारोह में गुरुवार को 276 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी गई। इसमें बीटेक सत्र 2014-18 के 173, एमटेक सत्र 2016-18 के 72, एमएससी सत्र 2016-18 के 22 तथा पीएचडी के 15 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। समारोह में भारतीय सभ्यता व संस्कृति की झलक दिखी। इस दौरान छात्र-छात्राएं उजले कुर्ता-पायजामा तथा सलवार-कमीज में नजर आए।
बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के जतिन कालरा को प्रेसिटेंड ऑफ इंडिया गोल्ड मेडल, कंप्यूटर साइंस नमन अग्रवाल को केदार नाथ दास मेमोरियल अवार्ड, एमएससी फिजिक्स के रोहित कुमार को इंस्टीट्यूट गोल्ड मेडल, एमटेक सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग के कुमार निशांत उज्ज्वल को चेयरमैन गोल्ड मेडल अतिथियों ने प्रदान किया। 17 छात्रों को इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल तथा 14 को इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइज दिया गया। गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में पहली बार दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया।
पढ़ाई के साथ नैतिक मूल्यों को रखें याद
एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के पूर्व निदेशक तथा कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के पूर्व प्रोग्राम निदेशक पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि असली परीक्षा डिग्री प्राप्त करने के बाद शुरू होती है। अभी तक जो पढ़ाई की है, उसका सदुपयोग समाज और देश हित में करें।
उन्होंने कहा कि आइआइटी पटना से बिहार की काफी अपेक्षा है। सूबे के विकास में संस्थान को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। भूकंप और बाढ़ जैसी आपदा के दायरे में बिहार है। आपदा के दौरान कम जानमाल का नुकसान हो, इस पर विद्यार्थी और फैकल्टी अपना योगदान दें। पढ़ाई के साथ-साथ दिए नैतिक मूल्य भी हमेशा याद रखें।
ग्रामीण आबादी को मिले विज्ञान और तकनीक का लाभ
उन्होंने भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए कहा कि वह हमेशा कहते थे कि विज्ञान और तकनीक का लाभ ग्रामीण आबादी को मिले, इसके लिए आइआइटी जैसे संस्थान से जुड़े विद्यार्थी और फैकल्टी को प्रयासरत रहना चाहिए। बिहार जैसे राज्य में आमजन की समस्याओं को समझने का बेहतर अवसर है। इसका लाभ विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उठाना चाहिए। आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए आइआइटी पटना ने कई सराहनीय कदम उठाए हैं।
1800 साल शिक्षा में किया विश्व का मार्गदर्शन
पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा ने कहा कि विश्व को 1800 साल तक भारत ने शिक्षा में मार्गदर्शन किया है। नालंदा, उदंतपुरी, सोमपुरा, तक्षशिला, वल्लभी, विक्रमशिला इसकी बानगी है। पटना आइआइटी जिस भूमि पर स्थित है, वहां गौतम बुद्ध, चाणक्य, आर्यभट्ट जैसे शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाते थे। शैक्षणिक संस्थान बेहतर करेंगे तो विकास की किरणें आमजन तक स्वत: पहुंचने लगेंगी। 1950 के बाद देश के विकास में आइआइटी संस्थान के विद्यार्थियों की भूमिका सराहनीय रही है।
आमलोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए करें काम
आइआइटी पटना के चेयरमैन पद्म भूषण अजय चौधरी ने अतिथि और अभिभावकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आइआइटी से डिग्री प्राप्त करने के बाद समाज के प्रति दायित्व बढ़ जाता है। आम लोगों का जीवन कैसे सरल हो, उनकी समस्याओं के समाधान ही मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने मुख्य अतिथि का परिचय विद्यार्थियों से कराते हुए कहा कि 1969 में पटना विश्वविद्यालय से बीटेक और कोलकाता विश्वविद्यालय से एमटेक करने के बाद डीआरडीओ ज्वाइन किया।
सफल होने के लिए सीखने की प्रवृत्ति को जिंदा रखें
आइआइटी कानपुर के उप निदेशक पद्मश्री मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि अब चैलेंज और बढ़ेगा। कसौटी पर खरा उतरने के लिए सीखने की प्रवृत्ति को हमेशा जिंदा रखें। इसके लिए उन्होंने तीन चरण बताए। पहला बचाव में प्रश्न नहीं करना, दूसरा आत्मविश्वास को कायम रखना तथा तीसरा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सजग रहना। उन्होंने कहा कि इसमें दूसरा चरण वर्तमान पीढ़ी के लिए समस्या नहीं है। वह 1700 ई में एक फ्रेंच गणितज्ञ के सूत्र के माध्यम से सफलता के टिप्स दिए।
दीक्षांत समारोह में इन्हें मिले मेडल
- प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया गोल्ड मेडल (बीटेक) : जतिन कालरा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- आर्यभट्ट गोल्ड मेडल : रोहित कुमार फिजिक्स, एमएससी
- चेयरमैन गोल्ड मेडल : निशांत उज्ज्वल, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग एमटेक
- श्री केदारनाथ दास मेमोरियल अवार्ड अवार्ड : नमन अग्रवाल, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल
- नमन अग्रवाल, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
- दुर्गेश कुमार, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- जतिन कालरा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- एस प्रणव, सिविल इंजीनियरिंग
- अक्षय कुमार अजागेकर, केमिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइजेज
- अभिषेक कुमार, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- राकेश कुमार बिजरनिया, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- एस विजय आनंद, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- सार्थक रस्तोगी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- एस प्रणव, सिविल इंजीनियरिंग
- मयंक तिवारी, केमिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल (एमएससी)
- रोहित कुमार, फिजिक्स
- सुमन कुमारी, मैथेमेटिक्स
- अर्घ साहा, केमिस्ट्री
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल एमटेक
- कुमार निशांत उज्ज्वल, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रचर इंजीनियरिंग
- अंकुर पांडे, कम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग
- रेयान थॉमस, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- मानसी माहेश्वरी, मैथमेटिक्स एंड कम्प्यूटिंग
- सौरव श्रीवास्तव, मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग
- अनुराग शुक्ला, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- कनिका चौधरी, मैकेट्रॉनिक्स
- प्रखर वर्मा, नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइजेज
- ऋषव कुमार, मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग
- प्रखर वर्मा, नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- बद्रीश पांडे, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- आदित्य असाती, मैकेट्रोनिक्स,
- पलागला वेंकटेश यादव, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग
- रेयान थॉमस, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- अंकुर पांडे कम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग
- विशाखा सिंह कम्युनिकेशन सिस्टम
बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के जतिन कालरा को प्रेसिटेंड ऑफ इंडिया गोल्ड मेडल, कंप्यूटर साइंस नमन अग्रवाल को केदार नाथ दास मेमोरियल अवार्ड, एमएससी फिजिक्स के रोहित कुमार को इंस्टीट्यूट गोल्ड मेडल, एमटेक सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग के कुमार निशांत उज्ज्वल को चेयरमैन गोल्ड मेडल अतिथियों ने प्रदान किया। 17 छात्रों को इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल तथा 14 को इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइज दिया गया। गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में पहली बार दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया।
पढ़ाई के साथ नैतिक मूल्यों को रखें याद
एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के पूर्व निदेशक तथा कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के पूर्व प्रोग्राम निदेशक पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि असली परीक्षा डिग्री प्राप्त करने के बाद शुरू होती है। अभी तक जो पढ़ाई की है, उसका सदुपयोग समाज और देश हित में करें।
उन्होंने कहा कि आइआइटी पटना से बिहार की काफी अपेक्षा है। सूबे के विकास में संस्थान को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। भूकंप और बाढ़ जैसी आपदा के दायरे में बिहार है। आपदा के दौरान कम जानमाल का नुकसान हो, इस पर विद्यार्थी और फैकल्टी अपना योगदान दें। पढ़ाई के साथ-साथ दिए नैतिक मूल्य भी हमेशा याद रखें।
ग्रामीण आबादी को मिले विज्ञान और तकनीक का लाभ
उन्होंने भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए कहा कि वह हमेशा कहते थे कि विज्ञान और तकनीक का लाभ ग्रामीण आबादी को मिले, इसके लिए आइआइटी जैसे संस्थान से जुड़े विद्यार्थी और फैकल्टी को प्रयासरत रहना चाहिए। बिहार जैसे राज्य में आमजन की समस्याओं को समझने का बेहतर अवसर है। इसका लाभ विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उठाना चाहिए। आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए आइआइटी पटना ने कई सराहनीय कदम उठाए हैं।
1800 साल शिक्षा में किया विश्व का मार्गदर्शन
पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा ने कहा कि विश्व को 1800 साल तक भारत ने शिक्षा में मार्गदर्शन किया है। नालंदा, उदंतपुरी, सोमपुरा, तक्षशिला, वल्लभी, विक्रमशिला इसकी बानगी है। पटना आइआइटी जिस भूमि पर स्थित है, वहां गौतम बुद्ध, चाणक्य, आर्यभट्ट जैसे शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाते थे। शैक्षणिक संस्थान बेहतर करेंगे तो विकास की किरणें आमजन तक स्वत: पहुंचने लगेंगी। 1950 के बाद देश के विकास में आइआइटी संस्थान के विद्यार्थियों की भूमिका सराहनीय रही है।
आमलोगों के जीवन को सरल बनाने के लिए करें काम
आइआइटी पटना के चेयरमैन पद्म भूषण अजय चौधरी ने अतिथि और अभिभावकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आइआइटी से डिग्री प्राप्त करने के बाद समाज के प्रति दायित्व बढ़ जाता है। आम लोगों का जीवन कैसे सरल हो, उनकी समस्याओं के समाधान ही मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने मुख्य अतिथि का परिचय विद्यार्थियों से कराते हुए कहा कि 1969 में पटना विश्वविद्यालय से बीटेक और कोलकाता विश्वविद्यालय से एमटेक करने के बाद डीआरडीओ ज्वाइन किया।
सफल होने के लिए सीखने की प्रवृत्ति को जिंदा रखें
आइआइटी कानपुर के उप निदेशक पद्मश्री मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि अब चैलेंज और बढ़ेगा। कसौटी पर खरा उतरने के लिए सीखने की प्रवृत्ति को हमेशा जिंदा रखें। इसके लिए उन्होंने तीन चरण बताए। पहला बचाव में प्रश्न नहीं करना, दूसरा आत्मविश्वास को कायम रखना तथा तीसरा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सजग रहना। उन्होंने कहा कि इसमें दूसरा चरण वर्तमान पीढ़ी के लिए समस्या नहीं है। वह 1700 ई में एक फ्रेंच गणितज्ञ के सूत्र के माध्यम से सफलता के टिप्स दिए।
दीक्षांत समारोह में इन्हें मिले मेडल
- प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया गोल्ड मेडल (बीटेक) : जतिन कालरा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- आर्यभट्ट गोल्ड मेडल : रोहित कुमार फिजिक्स, एमएससी
- चेयरमैन गोल्ड मेडल : निशांत उज्ज्वल, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग एमटेक
- श्री केदारनाथ दास मेमोरियल अवार्ड अवार्ड : नमन अग्रवाल, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल
- नमन अग्रवाल, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
- दुर्गेश कुमार, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- जतिन कालरा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- एस प्रणव, सिविल इंजीनियरिंग
- अक्षय कुमार अजागेकर, केमिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइजेज
- अभिषेक कुमार, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- राकेश कुमार बिजरनिया, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- एस विजय आनंद, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- सार्थक रस्तोगी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- एस प्रणव, सिविल इंजीनियरिंग
- मयंक तिवारी, केमिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल (एमएससी)
- रोहित कुमार, फिजिक्स
- सुमन कुमारी, मैथेमेटिक्स
- अर्घ साहा, केमिस्ट्री
इंस्टीट्यूट सिल्वर मेडल एमटेक
- कुमार निशांत उज्ज्वल, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रचर इंजीनियरिंग
- अंकुर पांडे, कम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग
- रेयान थॉमस, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- मानसी माहेश्वरी, मैथमेटिक्स एंड कम्प्यूटिंग
- सौरव श्रीवास्तव, मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग
- अनुराग शुक्ला, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- कनिका चौधरी, मैकेट्रॉनिक्स
- प्रखर वर्मा, नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट प्रोफिशिएंसी प्राइजेज
- ऋषव कुमार, मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग
- प्रखर वर्मा, नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- बद्रीश पांडे, मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- आदित्य असाती, मैकेट्रोनिक्स,
- पलागला वेंकटेश यादव, सिविल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग
- रेयान थॉमस, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- अंकुर पांडे कम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग
- विशाखा सिंह कम्युनिकेशन सिस्टम
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