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कल मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, जानें पटना के शिवालयों के इतिहास

महाशिवरात्रि को लेकर पटना के मंदिर सज के तैयार हो गए हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 04:28 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 04:28 PM (IST)
कल मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, जानें पटना के शिवालयों के इतिहास
कल मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, जानें पटना के शिवालयों के इतिहास

पटना, जेएनएन। पटना में सोमवार को धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इसके लिए शहर के विभिन्न शिवालयों को सजाया गया है। सुबह से राजधानी में बोलबम से गुंजायमान हो जाएगी। महाशिवरात्रि को लेकर शहर के सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांसघाट, ठाकुरबाड़ी मंदिर राजापुर पुल, शिव मंदिर चूड़ी मार्केट, पंचरूपी शिव मंदिर, खाजपुरा शिवमंदिर आदि मंदिरों की भव्यता देखते बन रही है।

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अहले सुबह खुल जाएगा मंदिर का पट

रविवार को रंग-बिरंगे कृत्रिम बल्बों से मंदिरों की सुंदरता देखते बन रही थी। प्रवेश द्वार अहले सुबह श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। भक्तों को मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत न हो जिसके लिए मंदिर प्रबंध समिति की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है। शिव भक्तों की टोली अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के साथ जलाभिषेक करेंगे। शहर के विभिन्न जगहों पर स्थापित शिव मंदिरों की अपनी महत्ता है।

सिद्धेश्वरी काली मंदिर में सौ वर्ष पुरानी प्रतिमा

बांस घाट स्थित सिद्धेश्वरी काली मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग के साथ मां पार्वती, भगवान गणेश की प्रतिमा है। शिवलिंग के बारे में मंदिर न्यास समिति के सचिव शैलेंद्र प्रसाद ने कहा कि मंदिर में शिवलिंग सौ वर्ष पूर्व स्थापित की गई थी। इसकी डॉ. सलील कुमार मजूमदार द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। शिवलिंग को काशी से मंगा कर स्थापित किया गया था। काले रंग के शिवलिंग की आकर्षकता देखते बनती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के बाद उसका अवशेष गंगा में प्रवाहित किया जाता है।

ठाकुरबाड़ी मंदिर में काशी की शिवलिंग

राजापुर पुल स्थित सिया बिहारी कुंज ठाकुरबाड़ी काफी पुराना है। मंदिर के मंहत नागेंद्र दास बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पहले गंगा के तट पर ठाकुरबाड़ी की स्थापना हुई थी। मंदिर में बाबा मुरलीदास ने काशी से शिवलिंग लाकर स्थापित की थी। शिवलिंग को पीतल के सांचे से ढका गया है जिससे शिवलिंग की सुंदरता में चार-चांद लगा जाता है। साथ ही पीतल के सर्प शिवलिंग के ऊपर है।

सूर्योदय पर शिवलिंग पर पड़ता है प्रकाश

कदमकुआं चूड़ी मार्केट स्थित शिव मंदिर की स्थापना 100 साल पहले हुई थी। मंदिर में बाबा नरमद्धेश्वर महादेव की शिवलिंग स्थापित है। बाबा भीखम दास ने शिवलिंग की स्थापना की थी। सूर्योदय के समय भगवान सूर्य का प्रकाश शिवलिंग पर पड़ता है जिसके प्रकाश से मंदिर का पूरा परिसर एवं शिवलिंग का स्वरूप काफी आकर्षक और मनमोहक दिखता है। सूर्य की रोशनी शिवलिंग पर पडऩे से शिवलिंग की सुंदरता देखते बनती है।

बोरिंग केनाल रोड में पंच रूपी मंदिर

बोरिंग केनाल रोड स्थित पंच रूपी हनुमान मंदिर में शिवलिंग की स्थापना वर्षो पहले की गई थी।  वैसे तो सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन सावन में श्रद्धालुओं की तादात ज्यादा होती है। महिला श्रद्धालु भी काफी संख्या में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं। मंदिर में शिवलिंग की स्थापना 40 वर्ष पहले भक्तों द्वारा की गई थी। शिवलिंग को काशी से मंगाया गया था। मंदिर में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ स्थापित है। शिवलिंग के ठीक बगल में नंदी की प्रतिमा स्थापित है। जिससे शिवलिंग की सुंदरता देखते बनती है।

शिव मंदिर खाजपुरा में वास्तुकला की नुमाइश

बेली रोड स्थित खाजपुरा के शिव मंदिर की भव्यता देखते बनती है। इलाके का सबसे बड़ा शिव मंदिर होने के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ सबसे ज्यादा होती है। यहां पर भगवान शिव पूरे परिवार के साथ मौजूद है। सावन में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। मंदिर की वास्तुकला भी काफी आकर्षक है।

महावीर मंदिर में तीन शिवालय

पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में तीन शिवालय स्थापित हैं। मंदिर में सबसे बड़ा शिवालय प्रथम तल पर स्थापित है। जहां भगवान शिव एवं मां पार्वती की विशाल प्रतिमा है। एक शिवालय मुख्य मंदिर के गर्भगृह के पीछे है। तीसरा शिवालय मंदिर के निचले तल पर है। मंदिर का द्वार सुबह 11 बजे से श्रद्धालु के जलाभिषेक के लिए खुल जाता है।

कंकड़बाग में होता है भव्य शृंगार

कंकड़बाग स्थित पंच शिव मंदिर आसपास के इलाके का सबसे बड़ा मंदिर है। सावन में कंकड़बाग पंच शिव मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। मंदिर का द्वारा सुबह चार बजे से हीं भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। भगवान शिव का शृंगार कर भक्त भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। इसके लिए समिति की ओर से खास व्यवस्था की गई है।


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