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Tokyo Olympics 2020: भारतीय हाकी टीम को गोल्‍ड दिलाएगा बिहार का यह सितारा, फुर्ती में लाजवाब

Tokyo Olympics 2020 टोक्‍यो में चल रहे खेल के महाकुंभ ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। इस टीम में बिहार के सिवान जिले का एक लाल भी खेल रहा है। रघुनाथपुर प्रखंड निवासी विवेक सागर टीम में मिडफिल्‍डर की भूमिका में हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 10:20 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 10:34 AM (IST)
Tokyo Olympics 2020: भारतीय हाकी टीम को गोल्‍ड दिलाएगा बिहार का यह सितारा, फुर्ती में लाजवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विवेक सागर। साभार इंटरनेट मीडिया

संसू (रघुनाथपुर) सिवान। Tokyo Olympics 2020: टोक्यो में आयोजित खेलों के महाकुंभ ओलम्पिक (Tokyo Olympic) में हॉकी के सेमीफाइनल में भारत (Team India) का मुकाबला वर्ल्ड चैंपियन बेल्जियम (World Champion Belgium) के साथ मंगलवार को है। भारत के साथ ही बिहार और खासकर सिवान के लिए यह मैच महत्वपूर्ण है। क्योंकि 49 साल बाद भारत ओलंपिक में हॉकी के  सेमीफाइनल में पहुंचा है और सिवान के रघुनाथपुर का लाल इस टीम का हिस्सा है। वह है भारतीय हॉकी टीम का सितारा विवेक सागर।

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मूल रूप से रघुनाथपुर के कनहौली गांव के रहने वाले विवेक सागर फिलहाल  सपिरवार मध्य प्रदेश के होशांगाबाद के इटारसी में रहता है। पिता रोहित प्रसाद वहीं शिक्षक हैं। माता कमला देवी गृहणी हैं। चार  भाई-बहनों में विवेक सबसे छोटा है। शिक्षा दीक्षा इटारसी में ही हुई। गांव में उनके एक रिश्‍तेदार डॉ धनंजय प्रसाद ने बताया कि विवेक की इस उपलब्धि से हम सब गौरवान्वित हैं। 

वर्ल्‍ड चैंपियन बेल्जि‍यम से होगा मुकाबला 

बता दें कि टीम इंडिया ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर क्‍वार्टर फाइनल में जगह बनाई। इसके बाद आस्‍ट्रेलिया को पराजित कर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। इस मैच में मिडफिल्‍डर विवेक सागर ने अपने शानदार खेल से सबका ध्यान खींचा है। 

हाकी खेलने पर घर में पिटाई भी खाई  

विवेक ने जब खेलना शुरू किया था तब उनके घर के आर्थिक हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे इस वजह से उन्होंने अपने दोस्तों से हाकी स्टिक मांगकर खेलना शुरू किया था। बड़े भाई विद्यासागर के अनुसार पिता को विवेक का हाकी खेलना पसंद नहीं था। रोहित प्रसाद चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर बड़ा हाकिम बने। इस वजह से कई बार विवेक की पिटाई भी हुई। लेकिन बड़े भाई और मां ने हमेशा उनका साथ दिया। कई बार जब विवेक हॉकी खेलने जाता था  तो उनकी मां झूठ बोल देती थी। लेकिन जब विवेक बड़े स्तर पर खेलने लगे तो उनके पिता भी उनका समर्थन करने लगे थे। दस दिन पूर्व रोहित प्रसाद  गांव आए थे तो बेटे की सफलता की जानकारी लोगों को दी। 

अशोक ध्‍यानचंद ने देखी प्रतिभा तो हुए प्रभावित

विवेक सागर को हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार की खोज कहा जाता है। बताया जाता है कि एक बार विवेक अकोला में टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान अशोक ध्यानचंद की नजर उन पर पड़ी। उनकी दौड़ने की तकनीक और पैरों के गजब तालमेल को देखकर अशोक कुमार भी उनसे प्रभावित हुए और उन्हें एमपीएकेडमी जॉइन करने का ऑफर दिया जिसे विवेक ने स्वीकार कर लिया और भोपाल आ गए। अपनी लगन और मजबूत इच्‍छाशक्ति की बदौलत विवेक आज भारतीय टीम के मुख्‍य खिलाड़ि‍यों में से एक हैं।   


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