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क्रिसमस की छुट्टी के बाद फिर है बैंक हड़ताल, राहत यह कि ATM में है कैश

मंगलवार को बैंकों में क्रिसमस की छुट्टी रही। फिर 26 दिसंबर को सभी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। इसमें बिहार-झारखंड के 50 हजार से अधिकारी और कर्मचारी भाग लेंगे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 12:27 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 10:33 PM (IST)
क्रिसमस की छुट्टी के बाद फिर है बैंक हड़ताल, राहत यह कि ATM में है कैश
क्रिसमस की छुट्टी के बाद फिर है बैंक हड़ताल, राहत यह कि ATM में है कैश

पटना, जेएनएन। हड़ताल के कारण लगातार तीन दिनों से बंद बैंक सोमवार को खुले तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। मंगलवार को फिर बैंक क्रिसमस डे को लेकर बंद रहा। आगे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले देशभर के सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारी और कर्मचारी 26 दिसंबर को हड़ताल पर रहेंगे। 27 दिसंबर को फिर बैंक खुलेंगे। लोगों के लिए राहत भरी खबर है कि सभी एटीएम में कैश भर दिया गया है।

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 लगातार तीन दिनों से बंद बैंकों के सोमवार को खुलते ही ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी। यह नजारा सिंचाई भवन और विश्वेश्वरैया भवन सहित विभिन्न बैंकों की कई शाखाओं में देखने को मिला। 

 इसके पहले 21 दिसंबर को भी अधिकारी हड़ताल पर थे। उसके बाद माह के अंतिम शनिवार और रविवार होने से बैंक बंद रहे। मंगलवार को क्रिसमस का अवकाश है। हड़ताल की मुख्य मांग राष्ट्रीयकृत बैंकों के विलय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की है।

देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बडौदा को केंद्र सरकार मर्ज करने की घोषणा कर चुका है। एसबीआइ कर्मचारी संघ के महासचिव संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को अपना फैसला वापस लेना होगा। अधिकारियों की हड़ताल का असर सरकार देख चुकी है। 26 को सभी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। इसमें बिहार-झारखंड के 50 हजार से अधिकारी और कर्मचारी भाग लेंगे।

महासचिव ने कहा कि राष्ट्रीकृत बैंक गांव-गांव में अपनी शाखाएं खोलती है जबकि निजी बैंक सिर्फ कारपोरेट के लिए कार्य करते हैं। सभी बैंक के अधिकारी और कर्मचारी संगठन अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक मंच पर आ गए हैं।

इलाहाबाद बैंक अधिकारी संघ के सुनील सिंह ने कहा कि ग्राहकों को परेशान करना हमारा उद्देश्य नही है। एटीएम में इमानदारी से कैश भरे जा रहे हैं ताकि लोगों को परेशानी न हो। हमलोग केंद्र सरकार को अपना प्रभाव दिखा रहे हैं। केंद्र सरकार को बिना विलंब किए मांगों को मान लेना चाहिए।


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