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सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करने वाले जाएंगे जेल, कमिश्‍नर व डीएम को बिहार सरकार ने दिया आदेश

बिहार सरकार सार्वजनिक जमीन या अन्य संरचनाओं पर कब्जा जमा कर वर्षों से बैठे लोगों को जेल भेजने की तैयारी कर रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों को कहा है कि वे इस मामले को प्राथमिकता सूची में रखें।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 12:52 PM (IST)
सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करने वाले जाएंगे जेल, कमिश्‍नर व डीएम को बिहार सरकार ने दिया आदेश
सार्वजनिक जमीन पर कब्‍जा करने वाले जाएंगे जेल। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। राज्य सरकार सार्वजनिक जमीन या अन्य संरचनाओं पर कब्जा जमा कर वर्षों से बैठे लोगों को जेल भेजने की तैयारी कर रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों को कहा है कि वे इस मामले को प्राथमिकता सूची में रखें। अतिक्रमण मुक्ति के लिए तुरंत अभियान चलाएं। इसका ब्यौरा मुख्यालय को भेजें। कहा गया है कि अधिकारी बिहार लोकभूमि अतिक्रमण अधिनियम की धाराओं का इस्तेमाल करें। इसी में अतिक्रमण मुक्ति के लिए जिलाधिकारी के आदेश की अवहेलना करने वालों को एक साल की सजा और 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रविधान है। 

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पटना हाई कोर्ट ने छह साल पहले दिया था आदेश

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने शुक्रवार को लिखे अपने पत्र में कहा है कि 2015 में पटना हाई कोर्ट ने सार्वजनिक जमीन के अलावा जल निकायों को भी अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया था। यह आदेश रामपुनीत चौधरी बनाम राज्य सरकार मामले में दिया गया था। इस संदर्भ में कुछ जिलों ने सराहनीय काम किया है। लेकिन, अधिसंख्य जिलों की उपलब्धियां संतोषप्रद नहीं हैं। 

अंचलाधिकारी को है अधिकार

पत्र में कहा गया है कि संबंधित अधिकारी लोक भूमि अतिक्रमण की धारा तीन के तहत अतिक्रमणवाद की शुरुआत करें। अतिक्रमणकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करें। इस अधिनियम की धारा दो (1) में अंचलाधिकारी को समाहत्र्ता की शक्ति हासिल है। अंचलाधिकारी किसी अतिक्रमणकारी को जेल और जुर्माने की सजा दे सकते हैं। अंचल अधिकारी के अलावा भूमि सुधार उप समाहर्ता को भी अपने अधिकार क्षेत्र में यह अधिकार हासिल है। 

अंचलों को विभाग की जमीन का ही पता नहीं  

सरकार सख्त कार्रवाई करना चाहती है। मुश्किल यह है कि अंचलों में यह ब्यौरा भी नहीं है कि उसके क्षेत्र में किस विभाग की कितनी जमीन है। ताकि नापी के बाद पता लगाया जा सके कि किस विभाग की कितनी जमीन अतिक्रमित है। अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि जिला स्तरीय अधिकारी अपने विभाग की जमीन का विवरण अंचल कार्यालय में दर्ज कराएं। 

जिलाधिकारी दें निर्देश

जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे अपने जिले के अतिक्रमित सार्वजनिक जल निकायों की सूची तैयार करें। इसकी जानकारी अनुमंडल अधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता एवं अंचल अधिकारियों को दें। अतिक्रमण मुक्त हुए जल निकायों की जानकारी हर महीने दें। यह प्रतिवेदन पोर्टल पर देना होगा। 


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