Lockdown Extension: बिहार का यह गांव लॉकडाउन में बना मिसाल, मंदिर पर गूंजने लगता है लाउडस्पीकर
देश में लॉकडाउन का बुधवार को 14वां दिन है जबकि बिहार में इसे दाे दिन पहले ही लागू किया गया था। बिहार में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है। इसे सख्ती से पालन करने में यह पंचायत आगे है।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। देश में लॉकडाउन का बुधवार को 14वां दिन है, जबकि बिहार में इसे दाे दिन पहले ही लागू किया गया था। बिहार में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन एक्सटेंशन के बारे में अभी तक अधिकृत रूप से किसी तरह का बयान नहीं आया है। लेकिन, संकेत मिल रहा है कि सरकार इसे अभी पूरी तरह हटाने के पक्ष में भी नहीं है। वहीं, बिहार के कई जिलों में इसे सख्ती से पालन किया जा रहा है। खासकर, भागलपुर के खरीक प्रखंड की भवनपुरा पंचायत लॉकडाउन के सख्ती से पालन करने में मिसाल कायम कर रही है।
भवनपुरा पंचायत के भवनपुरा, मैचा और रतनपुरा समेत कुछ अन्य गांवों में लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से सन्नाटा दिखता है। सुबह में परिवार का कोई एक सदस्य आवश्यक काम से बाहर निकलता है। इसके बाद ना तो चापाकल के पास कोई महिला पानी भरती है और ना ही कोई घर के दरवाजे पर बैठा नजर आता है। किसी भी व्यक्ति के घर से निकलते ही मां जलेश्वरी दुर्गा मंदिर से माइक पर आवाज गूंजने लगती है, घर के अंदर चले जाएं। जो भी जरूरी काम है, उसे हम पूरा करेंगे। पंचायत के हर वार्ड में एक व्यक्ति को लोगों की सहायता का काम सौंपा गया हैै।
मुखिया विनीत कुमार सिंह के नेतृत्व में युवाओं की टीम घर-घर राशन और पैसा उपलब्ध करा रही है। सब्जी की जगह 30 रुपये किलो की दर से भैंस का दूध उपलब्ध कराया जा रहा है। पंचायत के रणजीत ठाकुर, साधु पासवान, पवन शर्मा, रामविलास राम, सुभाष घोष, मनोज मंडल, वकील मंडल, मानिक चंद्र शर्मा, अभय सिंह आदि ने बताया कि पंचायत के मुखिया की ओर से लॉकडाउन के शुरू होने के अगले दिन ही 677 परिवारों के बीच 10-10 किलो चावल और 10-10 किलो गेेहूं दिया गया है। अन्य जरूरतों के लिए नकद 500 रुपये दिए गए हैं।
दियारा में 60 रुपये लीटर बिकने वाला भैंस का दूध 30 रुपये में ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जा रहा है। गांव के दुर्गा मंदिर में कंट्रोल रूम बनाया गया है। ग्रामीण अपनी जरूरत की बात वार्ड सदस्य या तैनात ग्रामीण को बताते हैं। यहां से मुखिया को खबर मिलती है। कंट्रोल रूम को सूचना जाने के बाद भंडार में तैनात लोग जरूरी सामान ग्रामीण के घर तक पहुंचा देते हैं। गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के आगमन पर रोक लगा दी गई है। पूरी पंचायत को सैनिटाइज करवाया गया है। बाहर से आए ग्रामीणों को मध्य विद्यालय में आइसोलेट किया जा रहा है।