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ये पिस्‍टल निशाना साधने के पहले लेगी अंगुली का निशान, नहीं हो सकेगा बेजा इस्‍तेमाल ...जानिए

बिहार 12वीं पास चार युवकों का यह आविष्कार कमाल का है। उनकी सेफ्टी ग्रिप डिवाइस अगर ट्रायल में पास हो गई तो पिस्‍टल या कोई भी आग्‍नेयास्‍त्र फिंगर प्रिंट से लॉक या अनलॉक होगा।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 06:24 PM (IST)
ये पिस्‍टल निशाना साधने के पहले लेगी अंगुली का निशान, नहीं हो सकेगा बेजा इस्‍तेमाल ...जानिए
ये पिस्‍टल निशाना साधने के पहले लेगी अंगुली का निशान, नहीं हो सकेगा बेजा इस्‍तेमाल ...जानिए

पूर्वी चंपारण [शशि भूषण कुमार]। अब आपकी पिस्तौल अंगुली का निशान लेगी, फिर साधेगी निशाना। यदि कोई छीनने की कोशिश करता है तो पिस्तौल स्वत: लॉक हो जाएगी। चोरी होने पर कोई बेजा इस्तेमाल भी नहीं कर सकेगा। यह संभव होगा 'सेफ्टी ग्रिप डिवाइस' से। 12वीं पास सूबे के चार युवकों ने यह आविष्कार किया है। हालांकि, अभी यह ट्रायल में है।

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हादसे के बाद आया आइडिया

12वीं की पढ़ाई के बाद दिल्ली में काम कर रहे सहरसा निवासी सिद्धार्थ कुमार के एक परिचित के साथ दो साल पहले बंदूक से गलती से गोली चलने से हादसा हो गया था। तब उन्होंने सोचा कि मोबाइल फोन की तरह फिंगरप्रिंट से बंदूक को क्यों नहीं लॉक या अनलॉक कर सकते?

दोस्‍त के साथ शुरू किया काम

शुरू से रोबोटिक्स और विज्ञान में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ ने यह बात मित्र सीतामढ़ी निवासी सुमन कुमार को बताई। फिर दोनों ने इस पर काम शुरू किया। टीम में आगे चलकर पूर्वी चंपारण के जीवधारा निवासी विवेक कुमार और सहरसा के जावेद रजा अंसारी जुड़ गए। जावेद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दिल्ली में ही नौकरी कर रहे थे। सिद्धार्थ ने किताब और इंटरनेट के माध्यम से हथियारों के बारे में जानकारी जुटाई।

रंग लाई दो साल की मेहनत

दो साल की कड़ी मेहनत के बाद बीते अप्रैल में सेफ्टी ग्रिप डिवाइस तैयार हुआ। चारो सितंबर में भारत सरकार के पुलिस आधुनिकीकरण विभाग के संयुक्त सचिव विवेक भारद्वाज से दिल्ली में मिले। उनके निर्देश पर इस डिवाइस के ट्रायल के लिए 13 सितंबर को उत्तर प्रदेश व हरियाणा के डीजीपी, आइजी असम राइफल, बीएसएफ, सीआइएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी व एसएसबी को पत्र लिखा गया। 12 दिसंबर को दिल्ली के एनएसजी के हेडक्वार्टर में इसका ट्रायल किया गया। उस समय चारों दोस्त मौजूद थे। सिद्धार्थ ने अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी। इस डिवाइस के बारे में अधिकारियों ने 15 दिन बाद बताने की बात कही है।

जानिए, डिवाइस की खूबियां

इस डिवाइस की खासियत यह है कि इसमें एक साथ 50 लोगों के फिंगरप्रिंट इंस्टॉल किए जा सकते हैं। चोरी होने पर हथियार में लगे ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से उसे ट्रैक किया जा सकेगा। वहीं, अगर कोई हथियार छीनने की कोशिश करता है तो रखने पर तुरंत लॉक हो जाएगा। साथ ही इसमें वॉयस रिकार्डर भी लगा होगा। बनाने में कुल 7.50 लाख खर्च हुए हैं।

दुर्घटनाओं को रोकना होगा मुमकिन

पुलिस अधीक्षक उपेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि ऐसे युवाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इससे अनजाने में होने वाली घटनाओं को रोका जा सकेगा। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के भौतिकी विज्ञान के प्रो. संतोष कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि जिस तरह बॉयोमीट्रिक सिस्टम से हाजिरी बनाई जाती है, यह तकनीक ठीक उसी तरह है। ऐसे युवाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इससे सूबे का नाम देश स्तर पर रोशन होगा।


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