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    गाड़ी में आग लगने से पहले बजने लगेगी बीप, IIT पटना में तैयार इस डिवाइस की कीमत भी है कम

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 18 Dec 2020 07:38 PM (IST)

    वाहनों में अचानक धुआं उठने या आग लगने से पहले ही आइआइटी पटना में तैयार डिवाइस अलर्ट कर देगी। यह डिवाइस एक विशेष प्रकार की बैट्री मैनेजमेंट सिस्टम (बीए ...और पढ़ें

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    बीएमएस डिवाइस के साथ आइआइटी पटना के प्राध्यापक प्रो. एके ठाकुर व छात्रों की टीम।

    नलिनी रंजन, पटना: अब वाहनों में अचानक धुआं उठने या आग लगने से पहले ही आइआइटी पटना में तैयार डिवाइस अलर्ट कर देगी। यह डिवाइस एक विशेष प्रकार की बैट्री मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) पर आधारित है। यह इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्ड की तरह काम करती है। डिवाइस ई-साइकिल से लेकर चार पहिया वाहन तक में लगाई जा सकती है। बाजार में आने पर यह 1500 रुपये के आसपास उपलब्ध होगी। 

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    इसका कांसेप्ट, डिजाइन, सिमुलेशन, फैब्रीकेशन और टेस्टिंग आइआइटी पटना में किया गया है। मॉनीटरिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार तथा रक्षा, विज्ञान व अनुसंधान संगठन कर रहा है। हर दिन 300 डिवाइस तैयार की जा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे 12 वाहनों में लगाया गया है। शुरुआती सफलता के बाद व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार किया जाएगा। 

    साढ़े तीन साल में हुई तैयार

    आइआइटी पटना के सीनियर फैकल्टी प्रो. अवलेंद्र ठाकुर ने बताया कि यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) के माध्यम से आइआइटी पटना को इसका पेटेंट भी मिल चुका है। शोध कार्य के लिए डीआरडीओ ने काफी सहयोग दिया। आइआइटी पटना को इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी 2016 में मिली थी। प्रोजेक्ट टीम के सदस्यों के चयन के लिए पूरे देश से आवेदन मंगाए गए थे। 2017 में शोध कार्य प्रारंभ हुआ। सफलता जून, 2020 में मिली। टीम में अभिजीत कुमार, सौरव राय, पुलीशनी बाबू, शशि भूषण तिवारी आदि शामिल थे। उन्होंने बताया कि बैटरी पैक व विद्युत चलित वाहनों (इलेक्ट्रिक व्हीकल) की आवश्यक सुरक्षा के लिए भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर था।

    विदेशी डिवाइस से बेहतर, कीमत में कम 

    शोध टीम में शामिल अभिजीत कुमार ने बताया कि फिलहाल इससे कम गुणवत्ता का मिलता-जुलता सिस्टम 2200 से तीन हजार में उपलब्ध है। आइआइटी पटना की डिवाइस बाजार में 1500 रुपये के आसपास मिलेगी। बीएमएस डिवाइस को लैब में बनाने का खर्च सिर्फ 1000 रुपये आया है। बाजार में लाने पर 500 रुपये अतिरिक्त खर्च आएगा। खासियत है कि किसी तरह की त्रुटि होने पर तत्काल सुधार की गुंजाइश है। विदेशी तकनीक आधारित सिस्टम में खराबी आने के बाद उसका दोबारा उपयोग संभव नहीं होता।