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तेरे अदाओं पर प्यार आ रहा है न जाने क्यूं प्यार आ रहा है मेरी कस्तुरी रे

प्रेमचंद रंगशाला में विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति की झलक

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 11:30 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 11:30 PM (IST)
तेरे अदाओं पर प्यार आ रहा है न जाने क्यूं प्यार आ रहा है मेरी कस्तुरी रे
तेरे अदाओं पर प्यार आ रहा है न जाने क्यूं प्यार आ रहा है मेरी कस्तुरी रे

विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति के साथ बिहार के पारंपरिक लोक गीतों और नृत्य की उम्दा प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। राजधानी के प्रेमचंद रंगशाला परिसर में सतरंगी छटा का अद्भुत नजारा 'इंद्रधनुष' कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला। परिसर के बाहर बिहार के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने लोक गीतों की प्रस्तुति तो शिल्प कलाओं के स्टॉल के साथ कलाकृतियां की जीवंत प्रदर्शनी लगाकर लोगों को आकर्षित किया। मंच पर महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा आदि राज्यों के कलाकार सतरंगी छटा मंच पर बिखेर दर्शकों को आनंदित कर रहे थे। कुछ ऐसा ही नजारा प्रेमचंद रंगशाला परिसर में देखने को मिला। पूर्वी सांस्कृतिक क्षेत्र, कोलकाता की ओर से 10 दिसंबर से आयोजित 'इंद्रधनुष' कार्यक्रम के तीसरे दिन कलाकारों ने अपनी उम्दा प्रस्तुति कर समारोह को यादगार बना दिया। इ्रंद्रधनुष कार्यक्रम के मौके पर बिहार के लोक कलाकारों ने गीतों और नृत्य के जरिए बिहार की लोक संस्कृति को बखूबी बयां किया। ढोलक, झाल, हारमोनियम, नाल आदि विभिन्न प्रकार के वाद्य-यंत्रों के साथ लोक गीतों की मिठास समारोह में चार-चांद लगा रही थी। सोनपुर के कलाकारों ने होली गीत से जीता दिल

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लोक गीतों की प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने होली, झूमर, अंग प्रदेश की बिहुला विषहरी आदि के माध्यम से लोक कलाओं को पेश कर दर्शकों का मन मोहा। परिसर के बाहर सोनपुर से आए निश्चय गु्रप के कलाकारों ने होली के गीत 'फगुनवा आयो रे सखी आज, कुमकुम उड़ेला अंगनवा' को पेश कर दर्शकों का दिल जीता। प्रस्तुति के दौरान माधव, गुड़िया, सत्यम, राजन, अनुपम आदि कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति रही। वही गीतों को जीवंत करने में संगत कलाकारों में तबले पर राजन, नाल पर समीर व हारमोनियम पर सत्यम ने संगत कर समारोह को यादगार बना दिया। जैसे-जैसे कार्यक्रम अपने परवान पर चढ़ रहा था, लोक कलाकार अपने रंग में रंगे नजर आ रहे थे। भागलपुर के कलाकारों ने बिहुला-विषहरी को किया जीवंत

अंग प्रदेश भागलपुर से आए कृष्णा क्लब के कलाकारों ने नृत्य नाटिका के जरिए बिहुला-विषहरी की कहानी को जीवंत कर दर्शकों को दिल जीता। नृत्य नाटिका के दौरान कलाकारों ने गीत 'अरे चली दरू अइली एक माता, भोला केरो पाथ देखिए के पूछे लागत बाबा महादेव हो' के जरिए सती-बिहुला की कहानी को बयां कर दर्शकों की तालियां बटोरी। प्रस्तुति के दौरान गायक गुरुदेव, देवन, अनिल, अजय, शितांशु, अरुण, विनय आदि कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति रही। खाइके मगहिया पान, ए राजा हमार जान लेब का..

एक ओर जहां प्रेमचंद रंगशाला के बाहर लोक गीतों की प्रस्तुति हो रही थी तो दूसरी ओर मंच पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति एक-एक कर जीवंत हो दर्शकों को बांधे रखे थी। मंच पर रंग समूह पटना के कलाकारों ने वरिष्ठ लोक कलाकार कुमार उदय सिंह के निर्देशन में व उदय कुमार सिंह ने बिहार के पारंपरिक लोक नृत्य लौंडा नाच की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर कलाकारों ने 'खाके मगहिया पान की राजा जान लेब का हो' एवं होली गीत ' कि हमरा नेंबुआ बिना तरसाए बलमुआ तोरा से राजी न' को प्रस्तुत कर दर्शकों को दिल जीता। समारोह को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों का योगदान रहा। संगत कलाकारों में नगाड़ा पर प्रेम पंडित, ढोलक पर गौरव कुमार, खंजरी पर नेहाल कुमार, हारमोनियम पर हरे कृष्ण सिंह, कोरस पर अरविंद, दिनेश, शिवम, स्वरम उपाध्याय, रंजन, राहुल आदि कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति रही। चल धान रोपे धनिया सिवनिया में..

वही इंडिया द व‌र्ल्ड ऑफ आर्ट के बैनर तले उदय गांधी उर्फ उदय कुमार सिंह के निर्देशन में कलाकारों ने 'टिकवा जब-जब मांगेले रे जटवा' 'चल धान रोपे धनिया सिवनिया में' 'लाली रे लाली हय-हय' आदि गीतों पर नृत्य कर समारोह में दर्शकों का दिल जीता। प्रस्तुति के दौरान अनीता कुमारी, अविनाश कुमार, विक्की, श्रेया, पूजा भास्कर, आलोक झा आदि कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति पर तालियां खूब बजी। जैसे-जैसे कार्यक्रम समापन की ओर बढ़ता जा रहा था मंच पर एक से बढ़कर एक कलाकारों द्वारा उम्दा प्रस्तुति हो रही थी। जम्मू-कश्मीर, गुजरात व महाराष्ट्र आदि राज्यों की बिखरी लोक संस्कृति -

मंच पर जम्मू-कश्मीर के लोट्स सांस्कृतिक गु्रप की ओर से कलाकारों पारंपरिक लोक नृत्य राउफ को पेश कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर आसीन कलाकारों ने गीत 'तेरी अदाओं पर प्यार आ रहा है, न जाने क्यूं प्यार आ रहा है मेरी कस्तुरी रे' पर नृत्य की उम्दा प्रस्तुति कर सभागार में बैठे दर्शकों को कश्मीर की वादियों के साथ वहां की लोक संस्कृति से रूबरू कराया। तब्बसुम के निर्देशन में कलाकारों ने फसलों की कटाई के बाद महिलाएं एक-दूसरे के हाथों में हाथ डालकर राउफ नृत्य कर उत्सव का दृश्य पेश कर दर्शकों का दिल जीता। मंच पर रीतू, इश्रत, कौसर, नाजिया आदि कलाकारों की उम्दा प्रस्तुति रही। वही महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने अपने भाव-भंगिमा के साथ लावणी नृत्य के बहाने भक्ति, वीरता, प्रेम, दुख के साथ निुर्गणी और श्रृंगारी लावणी नृत्य की उम्दा प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने कार्यक्रम का आरंभ भगवान गणेश की वंदना सिद्धि विनाशक गणपति धुन पर पारंपरिक वाद्य-यंत्र ढोलकी के साथ नृत्य कर दर्शकों की तालियां खूब बटोरी। गुजरात के कलाकारों ने प्रस्तुत किया गरबा नृत्य

वही समारोह को यादगार बनाने में गुजरात के राजशक्ति रासमंडल के कलाकारों ने वनराज सिंह के निर्देशन में गरबा नृत्य को पेश कर भगवान कृष्ण और राधा के रासलीला 'कृष्ण आए द्वारिका में धरा गुजराती वेश' गीत पर उम्दा नृत्य कर समारोह को यादगार बना दिया। समारोह का संचालन वरिष्ठ कलाकार सोमा चक्रवर्ती ने किया। समारोह के दौरान पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक गौरी बासु, कार्यक्रम अधिकारी तापस सामंतराय, दीपक मुखर्जी, बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव विनोद अनुपम आदि मौजूद थे।


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