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नालंदा के इस बाग में हैं आम की 60 प्रजातियां, थाईलैंड का ब्लू तो बांग्लादेश का कोहितुर मैंगो है खास

नालंदा के सुरेंद्र परिवार की चार पीढ़िया के मालिक होने के साथ इलाके के मशहूर बागवान हैं। इनके बाग के आम बहुत खास हैं। साथ ही ऐसे-ऐसे फल हैं कि पूछिए मत।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 03:38 PM (IST)
नालंदा के इस बाग में हैं आम की 60 प्रजातियां, थाईलैंड का ब्लू तो बांग्लादेश का कोहितुर मैंगो है खास
नालंदा के इस बाग में हैं आम की 60 प्रजातियां, थाईलैंड का ब्लू तो बांग्लादेश का कोहितुर मैंगो है खास

राकेश कुमार वीरेंद्र, नालंदा। पेड़ रोपने का शौक सुरेंद्र प्रसाद सिंह पर इस कदर हावी हुआ कि वे बागवान बन गए। भारतीय प्रजातियों के आम के अलावा थाईलैंड एवं बांग्लादेश की मशहूर प्रजातियों के आम इनके बगीचे में हैं। मशहूर आम अल्फांसो, कोहितुर एवं खिरसा पाक जैसी प्रजाति तो है ही, थाईलैंड में उगने वाले ब्लू मैंगो भी हैं। सुरेंद्र प्रसाद सिंह चंडी प्रखण्ड के ढकनिया गांव के निवासी हैं। 15 वर्षों से पेड़ लगा रहे हैं। बगीचे का विस्तार तीन एकड़ में हो चुका है। पेड़ों की संख्या एक हजार पार कर चुकी है। इनका अधिकांश समय पेड़-पौधों की देखभाल में व्यतीत होता है। जब भी कहीं से नई प्रजाति के आम के पौधे की जानकारी मिलती है, वहां पहुंच उसे हासिल कर लेते हैं।

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बागवानी के लिए इलाके में मशहूर

समृद्ध पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण इनकी पहचान तो है ही, इलाके में सुरेंद्र ने बाग और बागवानी को लेकर भी अलग पहचान बना ली है। इन्होंने उन पेड़ों को भी अपने बगीचे का सदस्य बना रखा है, जो बर्फीले और पहाड़ी इलाके में उगते और पनपते हैं।

एक सूत्र में बंधे हैं चार पीढ़ी के 42 सदस्य

सुरेंद्र चार पीढिय़ों के 42 सदस्यीय संयुक्त परिवार के कमांडर हैं। सभी को एक सूत्र में बांधे हैं। ये पेड़ों को भी परिवार की तरह मानते हैं। उनकी सेवा करते हैं। कहते हैं, पेड़ नहीं होंगे तो हमलोग भी नहीं होंगे। यही वजह है कि ढकनियां गांव के आसपास खूब हरियाली है। मैदानी इलाके में मुश्किल माने जाने वाले सेब एवं नासपाती के पेड़ भी इनके बगीचे में फल रहे हैं। इन्होंने थाईलैंड, बांग्लादेश एवं कोलकाता से आम एवं अन्य फलदार पौधे के खास प्रजातियों को लाकर रोप रखा है। इनके यहां  18 प्रकार के औषधीय पौधे भी हैं। 

इन प्रजातियां के आम हैं यहां

मालदह, लंगड़ा, बम्बइया, बम्बइया ग्रीन, हेमसागर, गुलाब खास, चौसा, स्वर्णरेखा, कलिमपोंग, जर्दा, जर्दालू, बेलखास, पुनासा, उदित, दशहरी, दशहरी-2, मल्लिका, गोपाल भोग, राजभोग, रानी पसंद, हिमानी, आम्रपाली, रत्ना, शंकर-52, अरुणिमा, सूर्या, तोतापुरी, बैगनपल्ली, सुंदरम, काला पहाड़, अंबिका, स्वर्णा, खिरसा पाक, स्वीटी, एप्पल मैंगो, थाई-1500, थाई मैंगो, स्ट्रॉबेरी मैंगो, केसर, टॉमी रेड, थाई ब्लू, नफीस, प्रभाशंकर, उर्मिया, सुरैया, खट्टा-मीठा, मैगलान्टा, मलगोवा, लाल मोहन, कोहितुर (बांग्लादेश), चंपा, सारंगा, सुजाता, अल्फांसो आदि।

ये फल भी हैं उपलब्ध

नारंगी, मौसम्मी, नाशपाती, सेब, अनार, साबूदाना, कसैली,  नारियल, केला, अमरूद, काला अमरूद, बेल, नीबू (आठ प्रकार), बेर, गागर, चीकू, स्ट्राबेरी अमरूद), सपाटु, जमरुल, चेरी, लीची, बाबुकोसा, प्रिज्म, खुमानी, अखरोट, सकालू,आलू-बुखारा आदि।


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