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पटना में इस बार नहीं सजेगी किताबों की दुनिया, पुस्तक प्रेमियों को अगले वर्ष तक करना होगा इंतजार

1985 में छोटे स्तर पर पुस्तक मेले की हुई थी शुरुआत बीते वर्ष गांधी मैदान में पुस्तक मेले के दौरान सौ से अधिक आए थे प्रकाशक आठ नवंबर से 18 नवंबर तक मेले का हुआ था आयोजन जल पुरुष राजेंद्र यादव सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर आदि ने लिया था भाग

By Shubh NpathakEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 02:01 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 02:01 PM (IST)
पटना में इस बार नहीं सजेगी किताबों की दुनिया, पुस्तक प्रेमियों को अगले वर्ष तक करना होगा इंतजार
पिछले साल पटना में लगे थे दो पुस्‍तक मेले। जागरण

पटना, जेएनएन। ठंड के मौसम में गुनगुनी धूप के साथ मैदान में बैठ पुस्तकों को पढऩा पुस्तक प्रेमियों को भाता रहा है। पटना में लगने वाले पुस्तक मेले का इंतजार पाठक सालों से करते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष पुस्तक प्रेमियों को निराश होना पड़ेगा। कोरोना संक्रमण के कारण सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी)द्वारा आयोजित पटना पुस्तक मेला पर ग्रहण लगा है। इस वर्ष मेले का आयोजन शहर में नहीं होगा। अब पाठकों को अगले वर्ष तक इंतजार करना होगा। मेले के इतिहास पर नजर डालें तो शहर में बीते 35 वर्षो से सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट यानि(सीआरडी)की ओर से  पटना में पुस्तक मेला का आयोजन होता रहा है। सीआरडी पटना के अध्यक्ष रत्नेश्वर ने बताया कि पटना में पुस्तक मेले की शुरूआत 1985 से छोटे स्तर पर हुई थी। समय के साथ पुस्तक मेले का दायरा बढ़ता रहा। पुस्तक मेले में सर्वाधिक हिंदी साहित्य से जुड़ी पुस्तकों की बिक्री होते रही है।

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पुस्तक मेले की शान बढ़ाते रहे लेखक

पटना में आयोजित पुस्तक मेले की महत्ता के बारे में सीआरडी पटना के अध्यक्ष रत्नेश्वर ने बताया कि मेले में पुस्तकों की बिक्री होने के साथ कला साहित्य से जुड़ी तमाम गतिविधियों में पाठक भाग लेते रहे  हैं। मेले में देश भर के चुनिंदा लेखकों के साथ पाठक रूबरू होते रहे। पुस्तक मेले के दौरान देश के नामचीन लेखकों में डॉ. नामवर सिंह, नागार्जुन, प्रभाष जोशी, जानकी वल्लभ शास्त्री, केदारनाथ मिश्र 'प्रभातÓ, तसलीमा नसरीन, राजेंद्र यादव, देवेंद्र राज अंकुर, अनंत विजय, गुलजार, जावेद अख्तर समेत कई नामचीन हस्तियां मेले में आकर शोभा बढ़ाते रहे हैं। पुराने संस्मरण को याद करते हुए रत्नेश्वर ने  बताया कि पुस्तक मेले में पत्रकारिता के स्तंभ कहे जाने वाले व साहित्यकार प्रभाष जोशी ने भी मेले में आकर पाठकों से रूबरू हुए थे। मेले में उन्होंने कहा था कि हिंदी प्रदेशों में साहित्य के मामले में बिहार अग्रणी रहा है। समय-समय के साथ हर मेले में देश के नामचीन साहित्यकारों का जुड़ाव पुस्तक मेले से रहा। जहां पर पाठकों साहित्य संबंधित जानकारी लेखकों से प्राप्त करते रहे हैं। पुस्तक मेले ने बिहार की छवि को बदलने में अपनी भूमिका अदा करते रही है।

बीते साल गांधी मैदान में लगा था पुस्तक मेला

सीआरडी की ओर से पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में पुस्तक मेले का आयोजन किया गया था। आठ नवंबर से 18 नवंबर तक चलने वाले मेले में सौ से अधिक प्रकाशक अपनी नई रचनाओं के साथ आए थे। 10 दिनों तक चलने वाले मेले में जल पुरुष राजेंद्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, चर्चित गायिका उषा उथूप, पत्रकार सुप्रिय प्रसाद, संजय पालीवाल सहित नामचीन हस्तियों ने भाग लेकर मेले को यादगार बनाया था।


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