बिहार पहुंची पूर्ण स्वदेशी 10 डोज वाली को-वैक्सीन की वाइल, अब हॉस्पिटल से कोई नहीं लौटेगा मायूस
देश की पहली पूर्ण स्वदेशी को-वैक्सीन को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी भारत बायोटेक ने इसकी दस डोज की वाइल भी उतार दी है। प्रदेश में दस डोज वाली को-वैक्सीन की वाइल पहुंच चुकी है।
जागरण संवाददाता, पटना: देश की पहली पूर्ण स्वदेशी को-वैक्सीन को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी भारत बायोटेक ने इसकी दस डोज की वाइल भी उतार दी है। प्रदेश में दस डोज वाली को-वैक्सीन की वाइल पहुंच चुकी है। अभी तक कंपनी द्वारा 20 डोज की वाइल ही राज्यों को भेजी गई थी। डॉक्टरों के अनुसार, दस डोज की वाइल में आने से को-वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्रोजेनिका द्वार निर्मित कोवि-शील्ड वैक्सीन को कड़ी टक्कर देगी।
एक वाइल में ज्यादा डोज होने से इस्तेमाल में हो रही थी समस्या
टीकाकर्मियों के अनुसार, को-वैक्सीन की वाइल खोलने के पहले करीब 20 लाभुकों के एकत्र होने का इंतजार करना पड़ता था। यही नहीं यदि आखिरी में दस पंजीकृत लाभुक भी शेष बचते थे तो वैक्सीन खराब होने से बचाने के लिए दस और लोगों को ढूंढना पड़ता था या उन्हें अगले दिन बुलाया जाता था। कई बार लाभुकों के जिद करने पर वाइल खोलनी पड़ती थी तो वह इस्तेमाल नहीं होने के कारण खराब हो जाती थी। इससे कीमती वैक्सीन जिसके लिए मारामारी है, वह बेकार हो जाती थी।
पूर्ण स्वदेशी होने का मिलेगा लाभ
16 जनवरी को जब देश में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था, उस समय तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर), नेशनल वायरोलॉजी लैब (एनआइसी) पुणे और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी का परीक्षण अंतिम चरणों में था। इमरजेंसी में इसे टीकाकरण अभियान में शामिल करने की अनुमति दी गई थी। यही कारण था कि एहतियातन एम्स, पीएमसीएच और एनएमसीएच जैसे केंद्रों पर को-वैक्सीन दी जा रही थी। अन्य केंद्रों पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्रोजेनिका द्वारा निर्मित और देशी की भारत सीरम कंपनी से उत्पादित कोवि-शील्ड वैक्सीन की धूम मची थी। हाल में को-वैक्सीन की प्रभावशीलता के जो आंकड़े वैज्ञानिकों ने पेश किए, उसके बाद से उसकी विश्वसनीयता बढ़ी है। हालांकि कंपनी भारत बायोटेक ने इसकी दस डोज की वाइल भी उतार दी है।