शराबबंदी को लेकर की गई सख्ती में बिहार के पुलिसकर्मियों का बढा ब्लड प्रेशर
बिहार में शराबबंदी के बाद पुलिस कर्मयों की शामत आ गयी है। ग्यारह पुलिसकर्मियों को लापरवाही के आरोप में निलंबित किए जाने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
पटना [वेब डेस्क]। शराबबंदी और इसके लिए कार्रवाई को लेकर बिहार पुलिस इन दिनों भारी तनाव के दौर से गुजर रही है। इस पर सख्ती दिखाते हुए कई थानेदारों को सस्पेंड कर दिया है जिससे बाकी के पुलिसकर्मियों का भी ब्लड प्रेशर बढ़ गया तो वहीं कुछ डिप्रेशन में चले गए हैं।
दरअसल शराबबंदी पर सरकार की सख्ती ने पुलिस अफसरों की परेशानी बढ़ा रखी है। शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू कराने में कोताही के आरोप में 11 थानेदारों के निलंबन, दस साल तक थानों में पोस्टिंग नहीं करने और प्रमोशन पर रोक की कार्रवाई से करीब 1500 थानों व आउट पोस्ट के प्रभारियों में हड़कंप है।
अब इन पुलिसकर्मियों को डर और आशंका है कि देर-सवेर उनपर भी गाज गिर सकती है। इस खौफ का साइड इफेक्ट यह है कि कई डॉक्टरों की क्लिनिक में बीपी चेक करवा रहे हैं तो कुछ को सहकर्मियों पर कार्रवाई के बाद से नींद ही नहीं आई।
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तनाव मुक्ति के लिए थानेदारों ने अब स्वेच्छा से थानाध्यक्ष का पद ही छोड़ने की पेशकश करनी शुरू कर दी है। कइयों ने अपने जिले के एसपी को पत्र लिखा है। तनाव और परिस्थिति का हवाला देकर थानाध्यक्ष के पद से हटाने के लिए आवेदन भी दे रहे हैं।
बिहार पुलिस एसोसिएशन पर भी थानेदारों का जबरदस्त दबाव है। जिलों से लगातार समूह में हस्ताक्षर कर एसोसिएशन के अध्यक्ष को आवेदन भेजे जा रहे हैं कि वे अब थानाध्यक्ष नहीं रहना चाहते। राज्यभर से थानेदारों के दबाव का असर यह हुआ कि एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह गुरुवार को अपना बीपी नपवाने खुद डॉक्टर की क्लिनिक जा पहुंचे। पूछने पर कहा- साथियों की परेशानी से मैं खुद तनाव में जी रहा हूं।
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एसोसिएशन की मधेपुरा शाखा के अध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर आम दिनों में भी काम का जबरदस्त दबाव रहता है। ऊपर से शराबबंदी को लेकर इस तरह की कार्रवाई से थानेदार जबरदस्त टेंशन में हैं। परेशानी इस बात को लेकर नहीं है कि दस साल के लिए थाने से हटा दिया जाएगा।
जहां भी पोस्टिंग होगी वेतन तो सरकार देगी ही। तनाव इस बात को लेकर है कि सरकार की इस कार्रवाई से समाज में बेइज्जती होगी। कोई पुलिसवाला यह नहीं चाहता कि उसके क्षेत्र में अवैध शराब बने या बिके।
पद छोड़ने की कर रहे पेशकश
हर कोई जी जान से शराबबंदी को लागू कराने में लगा है, लेकिन इतने बड़े थाना क्षेत्र के किसी घर में अगर चोरी-छिपे कोई शराब बना रहा हो तो हर-घर को चेक करना संभव नहीं होता है। थानों में इतने पुलिसकर्मी भी नहीं हैं कि हर जगह उनकी तैनाती कर दी जाए। जहां से सटीक सूचना मिलती है तत्काल कार्रवाई की जा रही है।
गुरुवार को भी 40 बोतल शराब जब्त की गई है। इसके बावजूद कार्रवाई होगी तो बीपी और डिप्रेशन तो होगा ही। नालंदा जिला के सभी थानेदारों का भी यही हाल है। सबने पद छोड़ने की पेशकश कर दी है। थानेदारों का कहना है कि ऐसे तनाव में काम करने से उनका परफार्मेंस सीधे तौर पर प्रभावित होगा और चाहकर भी रिजल्ट देना मुश्किल होगा।