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Bihar Politics: उच्च सदन तक पहुंची सियासत की कलंक कथा, विधान परिषद में भी अंतिम समय तार-तार हुई मर्यादा

Bihar Politics बिहार विधान मंडल के बजट सत्र के दौरान सदन की मर्यादा तार-तार होती रही। जनहित की ओट मेें हंगामा और सदन का बहिष्कार होता रहा। पुलिस विधेयक के विरोध के नाम पर आखिरी दिन बुधवार को भी निचले सदन की तल्खी उच्च सदन तक पहुंच गई।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 11:42 AM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 10:58 PM (IST)
Bihar Politics: उच्च सदन तक पहुंची सियासत की कलंक कथा, विधान परिषद में भी अंतिम समय तार-तार हुई मर्यादा
विधान परिषद में हंगामा के दौरान भिड़े आरजेडी व जेडीयू के विधान पार्षद। फाइल तस्‍वीर।

पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Politics बिहार विधानमंडल (Bihar Legislature) के बजट सत्र (Budget Session) की शुरुआत पक्ष-विपक्ष की राजनीतिक शुचिता के जिस संकल्प के साथ हुई थी, अंतिम दिन आते-आते वह सबकुछ बिखर गया। जनहित की ओट मेें हंगामा, सदन का बहिष्कार और मारपीट के मुद्दे पर आखिरी दिन बुधवार को भी बवाल होता रहा। विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के विरोध के नाम पर निचले सदन की तल्खी अगले दिन उच्च सदन तक पहुंची। विधान परिषद में भी हाथापाई की नौबत आ गई। हालांकि, इस बीच शाम को सत्ता पक्ष की महिला सदस्यों ने आपस में गुलाल लगाया और होली की शुभकामनाएं दीं तो माहौल थोड़ा हल्का हुआ।  

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हंगामे की आशंका को देखते हुए छावनी में तब्‍दील था परिसर

पुलिस विधेयक को बुधवार को विधान परिषद से पारित कराना था। माना जा रहा था कि विधान सभा (Bihar Assembly) की तरह विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में भी हालात अनियंत्रित हो सकते हैं। अनहोनी से बचने के लिए पूरे परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। कार्यवाही शुरू होते ही पक्ष-विपक्ष सदन में ही एक-दूसरे से फरियाने के मूड में दिखे। दूसरी पाली में कुछ देर के लिए हालात बेकाबू भी हो गए।

सीएम के हस्‍तक्षेप से टली कलंक कथा की पुनरावृत्ति

राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के सुबोध राय सदन में चूड़‍ियां लेकर आए थे, जो जनता दल यूनाइटेड (JDU) के संजय सिंह को नागवार गुजरा। दोनों आमने-सामने आ गए। असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल होने लगा। ऐसा लगा कि मारपीट शुरू हो जाएगी। हालांकि] कुछ सदस्यों के बीच-बचाव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हस्तक्षेप के चलते उच्च सदन में कलंक कथा की पुनरावृत्ति होते-होते बची। हंगामे के बीच ही मुख्यमंत्री ने विपक्ष को विधानसभा की घटना याद दिलाई। कहा कि आप लोग ही हंगामा करते हैं। यहां लोग शांत बैठे हैं। परंतु आप लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। सभापति मर्यादा की दुहाई देते रहे, लेकिन विपक्ष के बहिष्कार के बाद ही मामला शांत हो पाया। 

सदन के बाहर राजद ने चलाई समानांतर कार्यवाही 

उधर, विधानसभा में बुधवार को भी सियासी ड्रामा जारी रहा। विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन के दिन संपूर्ण विपक्ष ने शुरू से ही सदन में कदम नहीं रखा। परिसर में ही विपक्ष के सारे सदस्य बैठ गए और समानांतर कार्यवाही चलाने लगे। बिहार के संसदीय इतिहास में यह भी पहली बार हो रहा था। आरजेडी के भूदेव चौधरी ने विपक्ष की ओर से नामांकन कर रखा था, परंतु विपक्ष ने उन्हें बाहर ही अपनी तरफ से उपाध्यक्ष चुनने का ड्रामा किया। सदन की तरह बकायदा समानांतर कार्यवाही चलाई। जबकि, इस दौरान सदन के अंदर विपक्ष की गैरमौजूदगी में विधायी प्रक्रिया के तहत जेडीयू के महेश्वर हजारी को उपाध्यक्ष चुना गया। 243 सदस्यीय विधानसभा में महेश्वर हजारी को 124 मत मिले। उन्हें विजेता घोषित किया गया। 

सवाल तो आए पर पूछने वाले ही थे गायब

विपक्ष की गैरमौजूदगी में विधानसभा में सवाल तो आए, पर पूछने वाले ही गायब थे। विपक्ष की कुर्सियां खाली थीं। कार्यवाही तय समय पर शुरू हुई। प्रश्नकाल चला, जिसमें सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ही सवाल पूछे। सदन के बाहर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी पुराने तेवर में ही दिखे। मीडिया से बातचीत में सत्ता पक्ष पर तीखे हमले कर रहे थे। ईंट का जवाब पत्थर देने की कोशिश थी। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसे संसदीय नहीं कहा जा सकता है।


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