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राज्‍य का हरित आवरण बढ़कर हुआ 15 फीसद, इस वर्ष पांच करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्‍य पर काम शुरू

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली अभियान की समीक्षा की। इस दौरान बताया कि केवल पौध लगाने से काम नहीं चलेगा उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य का हरित आवरण 15 फीसद से अधिक हो चुका है। इसे 17 से अधिक करने का लक्ष्य।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 02:12 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 02:12 PM (IST)
राज्‍य का हरित आवरण बढ़कर हुआ 15 फीसद, इस वर्ष पांच करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्‍य पर काम शुरू
मुख्‍यमंत्री ने की जल जीवन हरियाली अभियान की समीक्षा। संकेतात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। जल-जीवन-हरियाली अभियान (Jal Jeevan Hariyali Abhiyan) की समीक्षा बैठक में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar)ने कहा कि पौधरोपण के बाद उनके रख रखाव पर भी विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा जब से बिहार में काम करने का मौका मिला है उन्होंने राज्य में विकास कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। इसका सकारात्‍मक असर भी दिख रहा है। 

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अब 15 फीसद से ऊपर हो गया राज्‍य का हरित आवरण 

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि राज्य के बंटवारे के समय बिहार का हरित आवरण नौ प्रतिशत रह गया था। अब राज्य का हरित आवरण पंद्रह प्रतिशत से अधिक हो चुका है। इसे सत्रह फीसद से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर तेजी से पौधरोपण का कार्य किया जा रहा। पांच जून 2020 से नौ अगस्त 2020 तक 2.51 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन उससे अधिक 3.94 करोड़ पौधरोपण किया गया। इस वर्ष पांच जून को पांच करोड़ पौधा लगाने के लक्ष्य की शुरूआत की गयी है। 

सभी दलों के विधायक-विधान पार्षदों के साथ की गई थी बैठक

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर सभी दलों के विधान पार्षदों एवं विधायकों के साथ वर्ष 2019 में बैठक की गयी जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में चलाया जाए। उसी के अनुरूप पौधारोपण अभियान चलाया जा रहा है। समीक्षा बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। जल-जीवन-हरियाली अभियान के मिशन निदेशक राजीव रौशन ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आहर-पईन, तालाब, पोखर केे जीर्णोद्धार, कुंओं को चिन्हित कर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराना, भवनों में छत वर्षा, जल संचयन की संरचना, पौधशाला एवं सघन वृक्षारोपण, सौर ऊर्जा का उपयोग एवं ऊर्जा बचत के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गयी।


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