कच्ची दरगाह में 36 घंटे से पीपा पुल खुलने के इंतजार में खड़ा जहाज, बांग्लादेश होते जाना है गुवाहाटी
शनिवार की दोपहर करीब तीन बजे चला लाल बहादुर शास्त्री जहाज कच्ची दरगाह में 36 घंटे से खड़ा है। यहां गंगा में बने पीपा पुल को खोलकर जहाज पार कराने का प्रयास रविवार को जारी रहा लेकिन सफलता नहीं मिली है।

जागरण संवाददाता, पटना सिटी: गायघाट स्थित बंदरगाह से एफसीआइ का 200 टन चावल लेकर गंगा के रास्ते शनिवार की दोपहर करीब तीन बजे चला लाल बहादुर शास्त्री जहाज कच्ची दरगाह में 36 घंटे से खड़ा है। यहां गंगा में बने पीपा पुल को खोलकर जहाज पार कराने का प्रयास रविवार को जारी रहा, लेकिन सफलता नहीं मिली है। लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद जहाज पीपा पुल खुलने के इंतजार में है। 1400 किलोमीटर दूरी तय करनी है। संबंधित अधिकारियों के अनुसार सोमवार की सुबह पुल खुल जाने की संभावना है। स्थानीय प्रशासन से समन्वय के अभाव में ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है।
- - 10 किलोमीटर है गायघाट से कच्ची दरगाह की दूरी, तय करनी है 1400 किलोमीटर
- - सोमवार की सुबह पीपा पुल खुलने की है संभावना, समन्वय के अभाव में हो रही परेशानी
- - चावल लदे जहाज को केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शनिवार को रवाना किया था
शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया के रीजनल इंस्ट्रक्टर कोआडिनेटर गोपाल कृष्ण ने बताया कि कच्ची दरगाह में चार पीपा खोलने की तैयारी की जा रही है। जहाज के कैप्टन का कहना है कि सुरक्षित तरीके से जहाज को आगे निकालने के लिए चार पीपा खोला जाना जरूरी है। पीपा पुल से वाहनों एवं लोगों की आवाजाही के कारण रविवार को खोला नहीं जा सका। सोमवार कि सुबह इसे खोले जाने की उम्मीद है। चावल लदे जहाज को केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गायघाट बंदरगाह से हरी झंडी दिखाकर शनिवार को रवाना किया था। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक पर गंगा के रास्ते यह जहाज कोलकाता तक पहुंचेगा। वहां से राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या दो पर ब्रह्मपुत्र नदी के रास्ते जहाज को बांग्लादेश जल मार्ग से होते हुए गुवाहाटी के पांडू बंदरगाह तक ले जाया जाएगा।
एक दर्जन से अधिक पीपा पुल बनेगा बाधा
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के मुख्य अभियंता रविकांत ने बताया कि पटना से लेकर कोलकाता तक गंगा में जहाज परिचालन के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। परिचालन के लिए कम से कम ढाई मीटर पानी का होना जरूरी है। मार्ग में निर्धारित मानक से पानी काफी ऊपर है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार बिहार में ही गंगा में एक दर्जन से अधिक पीपा पुल हैं। यहां से सीख मिलने के बाद आगे देरी नहीं हो इसके लिए स्थानीय प्रशासन से समन्वय बढ़ा दिया गया है।

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