Move to Jagran APP

पटना में है उत्‍तर भारत का दूसरा सबसे धनी मंदिर, राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने बताई थी इसकी खासियत

उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध और धनी मंदिरों में शामिल पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। महावीर मंदिर सिर्फ पटना हीं नहीं देश के प्रमुख मंदिरों में एक है। आमदनी में यह उत्तर भारत का द्वितीय स्थान रखने वाला मंदिर है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 04:17 PM (IST)
पटना में है उत्‍तर भारत का दूसरा सबसे धनी मंदिर, राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने बताई थी इसकी खासियत
पटना जंक्‍शन स्थित हनुमान मंदिर। फाइल फोटो

पटना, प्रभात रंजन। Hanuman Temple, Patna: उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध और धनी मंदिरों में शामिल पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। महावीर मंदिर सिर्फ पटना हीं नहीं देश के प्रमुख मंदिरों में एक है। आमदनी में यह उत्तर भारत का द्वितीय स्थान रखने वाला मंदिर है। वैसे तो यहां पर मंगलवार व शनिवार को दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होती है, वहीं रामनवमी के मौके पर पटना के आसपास से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। मंदिर प्रबंधन दान से होने वाली आमदनी के जरिए सामाजिक कार्यों में भी अपनी महत्ती जिम्मेदारी निभाता है। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने हालिया बिहार दौरे में अपनी पत्‍नी के साथ इस मंदिर में दर्शन-पूजन किया और खुद ही इसकी खासियत बताई तो इसकी चर्चा पूरे देश में एक बार फिर से होने लगी है।

loksabha election banner

मंदिर का करीब 300 साल पुराना इतिहास

महावीर मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। सन 1713 से 1730 के बीच स्वामी बालानंद के नेतृत्व में मंदिर की नींव पड़ी थी। आरंभ के दिनों में यह मंदिर काफी छोटा हुआ करता था। वर्ष 1985 में मंदिर को विशाल बनाया गया। मंदिर के निर्माण में स्थानीय लोगों ने चंदा दिया था। मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल की मानें तो मंदिर के निर्माण के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमीन दान में थी। पहले इस मंदिर के पूर्वी छोर का हिस्सा टेढ़ा था, रेलवे प्रशासन से लड़ाई लड़कर प्रवेश द्वार के रास्ते को सीधा किया गया।

महावीर मंदिर के कारण बदला था रेल लाइन का रास्ता

कहा जाता है कि इस मंदिर के कारण ब्रिटिश सरकार ने रेलवे लाइन का रास्‍ता बदल दिया था। हावडा से पटना जंक्शन होते हुए वाराणसी तक रेलवे लाइन के लिए प्रस्‍तावित रूट में महावीर मंदिर बीच में पड़ रहा था। इंजीनियर ने सरकार को बताया कि रेलवे लाइन बिछाने के क्रम में मंदिर को तोड़ना अनिवार्य है। यह खबर लोगों तक पहुंचते ही हंगामा शुरू हो गया। लोगों ने तत्कालीन जिलाधिकारी के पास गुहार लगाई। जिलाधिकारी ने बात सरकार तक पहुंचाई और रेल लाइन का रास्‍ता बदल दिया गया।

कोर्ट से लड़ी गई मंदिर के लिए लड़ाई

महावीर मंदिर की स्थापना में अलखिया बाबा का प्रमुख योगदान रहा, मगर 1934 में उनके वंशजों ने इस मंदिर को प्राइवेट ट्रस्ट बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। यह विवाद कोर्ट तक गया। वर्ष 1936 से लेकर 1948 तक कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चली। वर्ष 1948 में पटना हाई कोर्ट ने मंदिर को सार्वजनिक घोषित कर दिया। उस दौरान पटना हाई कोर्ट के जस्टिस बीपी सिन्हा व महावीर प्रसाद की बेंच ने मंदिर को निजी नहीं बल्कि सार्वजनिक बताया। वर्ष 1952 में धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन किया। 1955 तक धार्मिक न्यास बोर्ड एवं ट्रस्ट के बीच इस बात पर समझौता हुआ कि यदि ट्रस्ट मंदिर के हित में कार्य करता रहेगा तो बोर्ड इसमें दखल नहीं देगा। हालांकि मंदिर में मठाधीशी और भ्रष्‍टाचार जारी रहा। आचार्य कुणाल की मानें तो मंदिर से जो कमाई हो रही थी, उसे बहुत कम बताया जा रहा था। बाद में कोर्ट से जीत हुई।

मंदिर की आय से होता है अस्पतालों का संचालन

कहा जाता है कि उत्तर भारत में वैष्णो देवी मंदिर के बाद सबसे अधिक महावीर मंदिर की आय है। आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर की कमाई और खर्च में पूरी पारदर्शिता रखी जाती है। मंदिर की आय से जन सेवा के भाव से महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय आदि कई अस्पतालों का संचालन किया जाता है। महावीर मंदिर की ओर से महावीर कैंसर हास्पिटल में मरीजों को तीनों टाइम को भोजन मुफ्त में दिया जाता है।

तिरपति के कारीगर तैयार करते हैं नैवेद्यम प्रसाद

वर्ष 1992 में भगवान महावीर को भोग लगाने को लेकर भारत के सबसे धनी मंदिर के तौर पर शुमार तिरुपति के बालाजी मंदिर की तर्ज पर नैवेद्यम प्रसाद आरंभ हुआ। उस समय तिरूपति बालाजी मंदिर के कुछ कारीगर इस करार पर आए कि यहां पर अन्य कारीगरों को प्रशिक्षण देकर लौट जाएंगे। मगर यहां की व्यवस्था काे देख आज भी बालाजी से आए 40 कारीगर मंदिर के लिए नैवेद्यम तैयार करने में लगे हैं। आरंभ के दिनों में कारीगरों को खाने-पीने व रहने के साथ पांच हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था, लेकिन अब नैवेद्यम की बिक्री पर 10 फीसद राशि इन्हें प्रदान की जाती है।

देश का पहला मंदिर जहां दो प्रतिमाएं स्थापित

देश का यह पहला हनुमान मंदिर है, जहां हनुमानजी की दो प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। यह मंदिर बाकी हनुमान मंदिरों से कुछ अलग है, क्योंकि यहां बजरंगबली की युग्म मूर्तियां एक साथ हैं। एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम् अर्थात अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली है और दूसरी मूर्ति- विनाशाय च दुष्कृताम्ब, अर्थात बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है। ये दोनों प्रतिमाएं आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने भी की थी प्रशंसा

बिहार के दौरे पर आए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द  22 अक्टूबर 2021 को महावीर मंदिर में दर्शन करने आए थे। उन्होंने पत्नी से मंदिर में स्थापित हनुमान की युग्म प्रतिमा के बारे में बताया था कि यहां दो प्रतिमाएं एक साथ हैं। हनुमान की एक प्रतिमा मनोरथ को पूरा करने वाली है और दूसरी संकट हरने के साथ बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है। राष्ट्रपति ने मंदिर की प्रशंसा करते हुए कहा था कि महावीर मंदिर की ओर से अयोध्या में राम रसोई संचालित होती है, जिसकी ख्याति देश में है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.