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यूरोपीय देशों से उन्नत था भारत का विज्ञान

गणित के सूत्र, खगोलीय गणना आदि की नींव भारत और अरब देशों ने रखीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Aug 2017 03:06 AM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 03:06 AM (IST)
यूरोपीय देशों से उन्नत था भारत का विज्ञान
यूरोपीय देशों से उन्नत था भारत का विज्ञान

पटना । गणित के सूत्र, खगोलीय गणना आदि की नींव भारत और अरब देशों ने रखीं। उस समय भारत का विज्ञान यूरोपीय देशों से काफी उन्नत था। उसका असर आज के क्वांटम मैकेनिक्स से लेकर एंटीबायोटिक्स की खोज पर भी पड़ा। ये बातें सोमवार को मसैचुएट्स विश्वविद्यालय बोस्टन, अमेरिका के भौतिकी विज्ञान के प्रो. जयंत कुमार ने एएन कॉलेज में कहीं। प्रो. कुमार सत्येंद्र नारायण सिन्हा स्मृति व्याख्यानमाला के चौथे चरण में विज्ञान का विकास और उसका समाज से संबंध विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने विज्ञान के क्रमिक विस्तार पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अरस्तु ने अर्थ सेंट्रिक मॉडल दिया। इसकी परिभाषा में बदलाव आने में सदियों लग गये। विज्ञान की क्रमिक उन्नति में अनेकों ऐसे अवसर आए, जहां इसके कार्यकलाप पर विराम लग गया। प्रो. जयंत ने कहा कि विज्ञान के आविष्कारों से हमारा जीवन सुगम हो गया, लेकिन समाज पर इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़े हैं।

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व्याख्यानमाला की शुरुआत में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. एसपी शाही ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान अपने ज्ञान और अनुभव साझा कर रहे हैं। इससे महाविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों को काफी लाभ मिला है। इस तरह का प्रयास आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक समाज के निर्माण में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र में अभी बहुत सारे कार्य किए जाने हैं, जिससे अनसुलझी गुत्थियां सुलझ सकें।

विषय प्रवेष इतिहास की शिक्षक एवं सूचना प्रौद्यौगिकी की विभाग की समन्वयक डॉ. रत्ना अमृत ने कराया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नालान्दा खुला विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. आरके सिन्हा ने बताया कि प्रकृति से बढ़कर कोई प्रयोगशाला नहीं। उन्होंने कहा कि विज्ञान का विकास मानव सभ्यता के साथ ही हुआ।

अध्यक्षता करते हुए मगध विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति ने कहा कि आज वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समाज में वरदान या अभिशाप जैसे मूल तत्व से जोड़ने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण विभाग की अध्यक्ष प्रो. प्रीति सिन्हा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अरूण कुमार ने किया। इस अवसर पर व्याख्यानमाला के समन्वयक डॉ. कलानाथ मिश्र, डॉ. अजय कुमार आदि सहित बड़ी संख्या में स्टूडेंट मौजूद थे।


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