बिहार में कैबिनेट विस्तार को भाजपा ने सीएम नीतीश कुमार को सौंपी मंत्रियों के नाम की सूची, अब होगी घोषणा
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने भावी मंत्रियों के नाम की सूची सौंप दी है । सत्तारूढ़ दलों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 19 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने से पहले नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। -
पटना , राज्य ब्यूरो । बिहार मंत्रिमंडल के विस्तार (Bihar Cabinet expansion) में अब देर नहीं है। कई तरह के अवरोध के कारण विस्तार अभी तक टल रहा था। अब माना जा रहा है कि सारे अवरोध दूर हो गए हैं। सत्तारूढ़ दलों (party in power) ने तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। बस औपचारिक घोषणा (formal announcement) का इंतजार है। अगले तीन-चार दिनों में कभी भी घोषणा की जा सकती है। बजट सत्र (budget session) के पहले वैसे भी मंत्रिमंडल के विस्तार को जरूरी बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की हरी झंडी के साथ ही राजभवन की ओर से विधिवत रूप से तारीख और समय का एलान कर दिया जाएगा।
12 फरवरी से पूर्व होना है कैबिनेट विस्तार
बता दें कि पहले चर्चा थी कि भाजपा (BJP) की ओर से कैबिनेट विस्तार में विलंब है, लेकिन रविवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (BJP State President Dr. Sanjay Jaiswal ) ने जो संकेत दिए इससे साफ हो गया। अहम यह है कि इससे पूर्व शनिवार को भी जायसवाल ने बेतिया में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यही बात कही थी। 19 फरवरी से बिहार का बजट सत्र घोषित है। ऐसे में माना जा रहा है कि 12 फरवरी से पूर्व सरकार कैबिनेट विस्तार सुनिश्चित कर लेगी। हालांकि अंतिम रूप से सबकुछ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्णय पर निर्भर करेगा।
एनडीए सरकार में बनाए जा सकते हैं 21 और मंत्री
विधानसभा के सदस्यों की संख्या 243 है। कुल सदस्य संख्या के 15 फीसद विधायक मंत्री बन सकते हैं। इस लिहाज से बिहार कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 36 सदस्य शामिल हो सकते हैं। शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी इस्तीफा दे चुके हैं। लिहाजा, कैबिनेट में 21 से अधिक नए सदस्यों के शामिल होने की गुंजाइश शेष है। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि किस दल से कितने मंत्री बनाए जाएंगे। एनडीए में भाजपा पहली बार बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। इसलिए वह अधिक हिस्सेदारी की मांग भी कर सकती है।
अहम यह है कि भाजपा ने इस बार ज्यादातर नए चेहरों को तरजीह दी है। महज एक पुराने मंत्री मंगल पांडेय की वापसी हुई है। वहीं, जदयू ने पुराने चेहरों पर अधिक भरोसा किया है। सिर्फ परिवहन मंत्री शीला मंडल नई हैं।