जलजमाव पर अफसरों को फटकार लगाने वाले जज ने पिता को गोद में उठाकर किया रेस्क्यू Patna News
कुछ समय पहले प्रशासन को शहर में हो रहे जलजमाव के लिए फटकार लगाने वाले जज खुद ही इसकी जद में आ गए। उन्हें पटना के राजेंद्र नगर से पिता को रेस्क्यू कर के निकालना पड़ा।
पटना, जेएनएन। इस पानी की जद में कौन नहीं आया। सांसद डूबने से बचे तो मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को भी पानी में उतरना पड़ा। ये अजीब संयोग है कि पटना हाईकोर्ट के जिस जज ने अफसरों को जलजमाव को लेकर फटकार लगाई गई थी, उनके पिता ही राजेंद्रनगर के जलजमाव में फंस गए थे। खुद जज साहब ने पानी में घुसकर अपनी गोद में पिता को सुरक्षित बाहर निकाला। ये तस्वीर बताती है कि निगम और प्रशासन के अधिकारी कितने ढीठ हैं। उनके लिए हाईकोर्ट का आदेश केवल कागजी पर लिखी चंद लाइनें हैं, जिनसे उनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।
दायर हुई थी जनहित याचिका
बहादुरपुर और आसपास के इलाकों में जलजमाव को लेकर मई 2012 में एसएन पाठक ने पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की बेंच कर रही थी, जिसका हिस्सा जज सुधीर सिंह भी थे। 23 जून 2015 को सुनवाई पूरी हुई। बेंच ने जिलाधिकारी और संबंधित अफसरों को आदेश दिया कि नालों से अतिक्रमण हटाया जाए। संप हाउस, मोटर और पंप की मरम्मत एवं रख-रखाव का काम अविलंब पूरा किया जाए।
हाईकोर्ट ने नगर निगम को सड़क व नालों में कचरा फेंकने वालों से जुर्माना वसूलने की पूरी छूट दी। तत्कालीन मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मीठापुर से पहाड़ी तक अस्थायी ड्रेनेज सिस्टम का पक्कीकरण करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इस पर करीब 80 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
हालांकि ऐसा हो न सका। दो दिन पूर्व राजेंद्रनगर में रहने वाले पटना हाईकोर्ट के जज सुधीर सिंह ने एनडीआरएफ की मदद से पिता एनपी सिंह का रेस्क्यू किया। जज खुद नाले के पानी में घुसे और पिता को गोद में उठाकर बाहर निकले।