बिहार : भूख हड़ताल पर बैठे इंजीनियरिंग छात्रों की हालत बिगड़ी, एंबुलेंस से भेजे गए PMCH
परीक्षा की डेट जारी करने समेत अन्य मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे इंजीनियरिंग कई स्टूडेंट्स की हालत रविवार को बिगड़ गई है। आनन-फानन में उन्हें पीएमसीएच भेजा गया।
पटना, जेएनएन। परीक्षा की डेट (Examination Date) जारी करने समेत अन्य मांगों को लेकर भूख हड़ताल (Hunger Strike) पर बैठे इंजीनियरिंग के कई छात्रों (Engineering Students) की हालत रविवार को बिगड़ गई है। आनन-फानन में उन्हें पीएमसीएच (PMCH) भेजा गया। बताया जाता है कि इंजीनियरिंग छात्र शुक्रवार से ही भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन उनकी मांगों पर आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी (Aryabhatt Knowledge University) प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यहां तक कि भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों से कोई मिलने तक नहीं आया है। वहीं, अभी भी कई छात्र गर्दनीबाग स्थित प्रदर्शन स्थल पर भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं, जबकि दर्जनों छात्र उनके समर्थन में मौजूद हैं।
बताया जाता है कि विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों ने परीक्षा और पुनर्मूल्यांकन नीति लागू करने के लिए शुक्रवार से गर्दनीबाग धरना स्थल पर आमरण-अनशन शुरू किया है। छात्रों ने बताया कि सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज, सीतामढ़ी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज, गया इंजीनियरिंग कॉलेज और बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गया के सैकड़ों छात्र परीक्षा वंचित हैं। छात्रों के बहिष्कार के बाद भी परीक्षा का आयोजन किया गया।
तकनीकी छात्र संगठन के बैनर तले दर्जनों छात्र अनशन में शामिल हुए। संगठन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मो. गुलफराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय की गलत नीति के कारण तीन हजार बीटेक व बीफॉर्मा के छात्रों का भविष्य अंधकार में है। परीक्षा तिथि घोषित होने और पुनर्मूल्यांकन नीति लागू होने तक अनशन जारी रहेगा।
प्रदेश मीडिया प्रभारी आनंद जी ने कहा कि पिछले साल कुछ केंद्रों पर छात्रों को परेशानी हुई थी। उन संस्थानों में केंद्र नहीं बनाने का छात्रों ने अनुरोध किया था। बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन दूर-दराज के संस्थानों में केंद्र बनाया। इस कारण सैकड़ों छात्रों ने परीक्षा बहिष्कार किया था।
उधर, रविवार को भूख हड़ताल पर बैठे तीन इंजीनियरिंग छात्रों की हालत काफी बिगड़ गई है। तीनों छात्रों को आनन-फानन में स्ट्रेचर पर लादकर एंबुलेंस में लाया गया। उसके बाद बेहतर इलाज के लिए उन्हें पीएमसीएच में भेजा गया। बताया जाता है कि छात्रों की तबीयत बिगड़ने और यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही के कारण वहां मौजूद छात्रों में आक्रोश है।