बिहार में चुनौती देने के अंदाज से विधायिका भी हैरान, अफसरों के काम के तरीके पर टिप्पणी तेज
विधायिका से जुड़े लोग अफसरों के काम-काज पर टिप्पणी करते रहे हैैं अब खास अंदाज में यह आक्रोश प्रकट किया जा रहा है। कार्यपालिका के प्रति विधायिका का आक्रोश पिछले दिनों इस अंदाज में सामने आया था कि राज्य मंत्रिमंडल के एक सदस्य इस्तीफा देने पर आमादा हो गए थे।
राज्य ब्यूरो, पटना : विधायिका का कार्यपालिका के प्रति गुस्सा इन दिनों कुछ नए तेवर के साथ है। पहले भी विधायिका से जुड़े लोग अफसरों के काम-काज पर टिप्पणी करते रहे हैैं, लेकिन अब कुछ खास अंदाज में यह आक्रोश प्रकट किया जा रहा है। कार्यपालिका के प्रति विधायिका का आक्रोश पिछले दिनों इस अंदाज में सामने आया था कि राज्य मंत्रिमंडल के एक सदस्य इस्तीफा देने पर आमादा हो गए थे। किसी तरह मंत्री को समझा-बुझा कर शांत किया गया।
अभी हाल ही में समाप्त हुए विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधायिका का कार्यपालिका पर बड़े तीखे अंदाज में हुआ। एक विधायक ने अपने इलाके में स्टेडियम निर्माण का मामला उठाया था। अधिकारी ने इस सवाल पर विभाग को यह लिखकर भेज दिया था कि स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। हकीकत यह थी कि स्टेडियम की नींव तक नहीं रखी गई थी और अभी जमीन का ही इंतजाम हो रहा है। अधिकारी के इस रवैये पर काफी तल्खी सामने आई। टिप्पणी कार्रवाई तक गई। इसी तरह एक मामला जलमीनार के संबंध में आ गया। अधिकारी ने लिखकर भेजा कि निर्माण पूरा हो गया है, जबकि हकीकत अलग थी। इस प्रकरण में भी अ्रधिकारियों को कोसा गया।
विधायिका से इतर आम लोगों द्वारा भी कार्यपालिका के रवैये पर जमकर टिप्पणी हो हो रही है। पिछले दिनों एक युवक अपने गुहार के साथ उच्च स्तर पर गया। उसे उच्च स्तर से संबंधित अधिकारी के पास भेजा गया। तल्ख लहजे में उस युवक ने उच्च प्राधिकार को यह कह दिया कि जिनके पास आप भेज रहे उनसे काम नहीं होने वाला है। वह टरका देते हैैं। इस तरह के कई मामले हैैं, जहां अफसरों के खिलाफ खुलकर टीका-टिप्पणी हो रही। गौरतलब है कि हाल ही में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने अफसरों के कामकाज से परेशान होकर सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने की बात कह दी थी। हालांकि बाद में उनके तेवर नरम पड़ गए थे।