जिसे डीएम ने किया बर्खास्त, उसे सीडीपीओ ने कर दिया बहाल; बक्सर में हुआ पावर का अजब खेल
डीएम ने दोनों को चयनमुक्त करने का आदेश दिया। उन्होंने दोनों से मानदेय की वसूली करने एवं मानदेय की राशि जमा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई का आदेश पारित किया। इस साल जनवरी में फिर से कर लिया गया चयन
बक्सर, जागरण संवाददाता। समेकित बाल विकास परियोजना के तहत चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में बहुत अधिक मानदेय नहीं मिलता, लेकिन भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहने के कारण सबकी नजर इस पर रहती है। बक्सर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें वैसी महिला को आंगनबाड़ी सेविका बहाल कर दिया गया, जिसे कभी फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर खुद डीएम ने बर्खास्त कर दिया था। मामला जिले के राजपुर प्रखंड अंतर्गत हरपुर पंचायत के ददुरा ग्राम स्थित वार्ड नंबर 13 का है।
फर्जी सर्टिफिकेट पर हुई थी बहाली
बताया जाता है कि तत्कालीन जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने वर्ष 2019 में उक्त वार्ड अंतर्गत आंगनबाड़ी कोड 83 में गलत तरीके से बहाल आशा कुमारी पति सुभाष चंद्र राम को बर्खास्त कर दिया था। तब यह बात सामने आई कि आशा की उम्र 18 वर्ष से कम थी और उसने गलत सर्टिफिकेट लगा दिया था। इससे पहले कौशल्या देवी की बहाली भी वहां फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर हुई थी।
डीएम ने दिया था हटाने और मानदेय वसूली का आदेश
मामला जब जिला दंडाधिकारी के न्यायालय में पहुंचा तो डीएम ने दोनों को चयनमुक्त करने का आदेश दिया। उन्होंने दोनों से मानदेय की वसूली करने एवं मानदेय की राशि जमा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई का आदेश पारित किया। हद यह कि मानदेय की राशि जमा कराने या संबंधित सेविका पर कार्रवाई की बात तो दूर इनमें से आशा कुमारी का फिर से चयन कर दिया गया।
इस साल जनवरी में फिर से कर लिया गया चयन
सूत्र बताते हैं कि सीडीपीओ और वहां की पर्यवेक्षिका की मिलीभगत से जनवरी 21 में आशा कुमारी का चयन कर दिया गया। यहां गौर करने लायक बात है कि वर्ष 2017 में उक्त वार्ड में जो रिक्ति निकाली गई थी, उस पर आमसभा का भी आयोजन किया गया था, लेकिन वहां नियमानुसार बहाली नहीं की गई।
सर्वे में अति पिछड़ा के लिए निर्धारित है पद
ददुरा के रहने वाले मुन्ना अंसारी द्वारा आरटीआई से मांगी गई सूचना पर गौर करें तो वार्ड नंबर 13 स्थित आंगनबाड़ी सेविका का वह पद अति पिछड़ा के लिए निर्धारित है जबकि, अति पिछड़ा की जगह पर अनुसूचित जाति की उम्मीदवार की बहाली कर दी गई है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि फिर बहाली में पारदर्शिता कहां रह गई है।
गलत करने पर डीएम ने कार्रवाई की दी थी चेतावनी
पिछले दिनों जिले के वर्तमान जिलाधिकारी अमन समीर ने भी आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं की बहाली को पूरी पारदर्शिता के साथ करने का निर्देश दिया था। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने संबंधित लोगों पर कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी थी। परंतु, यहां डीएम के आदेश को भी ताक पर रख दिया गया।