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जूतों का गुलदस्ता तो मैनहॉल के ढक्कर की स्माइली, ये है सपनों का अशियाना

विभूति पांडेय तिवारी ने अनावश्यक सामग्री को अपने घर में एेसा रूप दिया है कि उनका घर किसी संग्रहालय से कम नहीं दिखता।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 10:00 AM (IST)
जूतों का गुलदस्ता तो मैनहॉल के ढक्कर की स्माइली, ये है सपनों का अशियाना
जूतों का गुलदस्ता तो मैनहॉल के ढक्कर की स्माइली, ये है सपनों का अशियाना

श्रवण कुमार, पटना। जिनके अकेले चलने के हौसले होते हैं, एक दिन उन्हीं के पीछे काफिले होते हैं, हुनर के पंख से जो हौसलों के साथ उड़ते हैं, जमीन पर भी उनके घरों में स्वर्ग होते हैं। ये लाइन विभूति पांडेय तिवारी के ऊपर एक दम फिट बैठती है। विभूति ने बड़े ही करीने से अपने सपनों के संसार को सजा रखा है। कटी दो पतंग भी दीवार की शोभा बढ़ा है। पहले पतंग की लड़ी पर ड्रीम और दूसरे पर लिखा है लव।

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सचमुच, प्यार भरे सपनों का संसार ही तो बसा है यहां। यह घर है भारतीय आर्मी में मेजर राज्यपाल के एडीसी हिमांशु तिवारी का। विभूति हिमांशु की जीवन संगिनी हैं। दो साल पहले ही दोनों परिणय सूत्र में बंधे हैं। जब हिमांशु राज्यपाल के एडीसी के रूप में राजभवन स्थित क्वार्टर में रहने अपनी पत्नी के साथ आए तो विभूति ने घर को हुनर से कलाकृतियों से दर्शनीय संग्रहालय बना दिया। वो भी उन सामग्री से जो अक्सर अनावश्यक समझी जाती है।

पुराने जूतों से बनाया गुलदस्ता

सजाने-संवारने का शौक तो विभूति को बचपन से था। पर अपने हाथों की हुनर का भान इन्हें पटना आने पर ही हुआ। हिमांशु के मेजर वाले पुराने जूते को खूबसूरती से विभूति ने गुलदस्ता बनाकर फूलों से सजाया था। इस पर जो भी उनके घर आता, वो तारीफों के पुल बांध देता। फिर क्या था। सूनी पड़ी दीवारें और उदास सी लटकी छतें ही नहीं मेनहॉल के ढक्कन भी विभूति की कृति से मुस्कुराने लगे।

छतों पर छतरी और पिंजड़े से झूमर बनाकर लटका दिया, तो दीवारों को शो-केस बनाकर उसे फालतू पड़े बोतलें के गुलदस्तों से सजा दिया। मेनहॉल की ढक्कन पर स्माइली बनाकर उसे भी खूबसूरत बना दिया। पानी पीकर फेंक दिए जाने वाले नारियल को भी सेंटर टेबल पर सजाकर उसमें फूलों के गुच्छे रख दिए।

मेजर एंड मिसेज हिमांशु वेलकम यू होम

विभूति की इस बगिया में दीवारों पर सजी पेंट की हुई छोटी-छोटी डलियों की खूबसूरती चार चांद लगा रही हैं। कमरों के कोनों में चंदा के गिरे पेड़ के तनों से बना स्टेंड लगा रखा है। उस पर नारियल के गुच्छों को खूबसूरत तरीके से सजाया गया है। घर का कोना-कोना विभूति के हाथों से बनी कलाकृतियों से सजा-धजा है। सजावट ही नहीं, संस्कारों का आइना भी है तिवारी परिवार का यह आशियाना। अतिथि वाले कमरे में ऐसी ही एक कलाकृति पर लिख रखा है- मेजर एंड मिसेज हिमांशु वेलकम यू होम।

इलाहाबाद में हुईं पैदा, पटना में अरमानों को लगे पंख

कला की शौकीन विभूति इलाहाबाद की रहने वाली हैं। इनकी स्कूलिंग सेंट मैरी इलाहाबाद से हुई है। इसके बाद इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया है। एमबीए करने के बाद विभूति ने कई कारपोरेट कंपनियों में नौकरी भी की। दो साल पहले जब हिमांशु से शादी हुई तब इन्होंने अपने करियर को विराम लगा दिया। अब जब पटना आईं और इनके हुनर की सराहना हो रही है, तब नए अरमानों के पंख लग रहे हैं। विभूति अब इंटीरियर डेकोरेटर बन अपने हुनर के हौसले को नई उड़ान देने वाली हैं। इन्हें कई ऑफर भी मिल रहे हैं।


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