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पीएमसीएच अधीक्षक पर लगाए 10 आरोप, विजिलेंस जांच कराने की मांग

इसमें वेतन संग छात्रवृत्ति 4 माह में पीएचडी फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी रोगी कल्याण समिति की कैशबुक गायब कराने और विरोध करने पर संघ के पदधारकों व कार्यकर्ताओं पर झूठा आरोप लगा विभागीय अधिकारियों को भ्रमित कर स्थानांतरण कराने के लंबित आरोपों की जांच निगरानी से कराने और निगरानी कोर्ट में मामले का ट्रायल कराने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 02:00 AM (IST)
पीएमसीएच अधीक्षक पर लगाए 10 आरोप, विजिलेंस जांच कराने की मांग
पीएमसीएच अधीक्षक पर लगाए 10 आरोप, विजिलेंस जांच कराने की मांग

पटना। पीएमसीएच (पटना मेडिकल कालेज अस्पताल सह हास्पिटल) के सर्जिकल स्टोर से लोकल परचेज रजिस्टर गायब होने के बाद लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इसी क्रम में सोमवार को बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के नाम से खुला पत्र लिखा है। इसमें वेतन संग छात्रवृत्ति, 4 माह में पीएचडी, फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी, रोगी कल्याण समिति की कैशबुक गायब कराने और विरोध करने पर संघ के पदधारकों व कार्यकर्ताओं पर झूठा आरोप लगा विभागीय अधिकारियों को भ्रमित कर स्थानांतरण कराने के लंबित आरोपों की जांच निगरानी से कराने और निगरानी कोर्ट में मामले का ट्रायल कराने की मांग की है। विश्वनाथ सिंह ने कहा कि जांच के दौरान साक्ष्य नष्ट नहीं किए जा सकें इसलिए बीसों वर्ष से पीएमसीएच में तैनात अधीक्षक डा. आइएस ठाकुर का स्थानांतरण कहीं और किया जाए। यदि जांच नहीं कराई जाएगी तो संघ आंदोलन को बाध्य होगा। कर्मचारी संघ ने लगाए निम्न आरोप : -डा. आइएस ठाकुर ने किग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ से एमएस डिग्री करने के दौरान अपना आवास प्रमाणपत्र यूपी का दायर किया जबकि ये बिहार के मूल निवासी हैं। -17 अगस्त 1985 से 14 अक्टूबर 1986 तक मधुबनी जिले के विस्फी प्रखंड में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने एमएस किया और वेतन के साथ छात्रवृत्ति भी ली जो कि गबन के दायरे में आता है। - 12 फरवरी 1990 से 20 मई 1990 तक दरभंगा पदस्थापन के दौरान ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से सिर्फ चार माह में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। - स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा शिक्षा एवं देशी चिकित्सा के 11 मई 2005 के ज्ञापांक 409(17) के द्वारा इन आरोपों के आधार पर निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए गए थे। डा. आइएस ठाकुर लंबी अवधि तक मौन रहे और बाद में हाईकोर्ट में निलंबन समाप्ति की रिट जमा करा दी। जबकि निलंबन पत्र के अनुसार प्रपत्र क में अलग से आरोप पत्र गठित कर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश छिपाकर अपना पद बरकरार रखा। - पीजी छात्र डा. विनोद पासवान को जातीय आधार पर प्रताड़ित करते हुए फेल कर दिया था, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की जांच में न केवल डा. विनोद अच्छे अंक से पास हुए बल्कि डा. आइएस ठाकुर को दोषी भी पाया गया। -लिपिक धीरज कुमार जिसे विभाग के ट्रांसफर आदेश के बाद भी विरमित नहीं किया जा रहा था, की मदद से एक स्वास्थ्य प्रबंधक को नियम विरुद्ध तीसरे बच्चे के जन्म पर भी मातृत्व अवकाश दिया गया। - रोगी कल्याण समिति की कैश बुक भी पीएमसीएच प्रबंधन के पास नहीं है। -कोरोना काल में चहेती फर्मों व आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बाजार दर से अधिक मूल्य पर दवाओं की खरीदारी अपने आप में जांच का विषय है। - सेवानिवृत्ति के बाद संविदा के आधार पर कार्य करने की व्यवस्था के तहत आवेदन अग्रसारित कराने जाने वाली नर्सों के साथ असंसदीय भाषा का प्रयोग कराना, संघ के पदाधिकारियों को झूठे आरोपों में फंसा कर दमनात्मक कार्रवाई करना, उनके वेतन में मनमाने ढंग से कटौती, कुछ पत्रकारों के माध्यम से संघ के नेताओं के चरित्र हनन का प्रयास, न्याय के साथ विकास के विरुद्ध और जनतंत्र विरोधी है। - डा. आइएस ठाकुर, पत्नी डा. कुसुम शर्मा और बेटी डा. स्प्रिहा स्मृति को पीएमसीएच में पदास्थापित कराने के बाद अब अन्य रिश्तेदारों को यहां पदास्थापित करा समानांतर विभाग संचालित कर रहे हैं। ---------------- इनसेट : विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने की वेंटिलेटर मामले की दोबारा जांच पटना : पीएमसीएच में शिशु रोग विभाग के लिए खरीदे गए 8 नियोनेटल वेंटिलेटर मामले की स्वास्थ्य विभाग ने दोबारा जांच शुरू कर दी है। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय टीम पीएमसीएच पहुंची और विभाग की 2017 में की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारियों से पूछताछ की। बताते चलें कि स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में गठित जांच रिपोर्ट की अनुशंसा के विरुद्ध कुछ माह पूर्व पीएमसीएच प्रबंधन ने अपने स्तर से जांच कर सारा ठीकरा कैशियर पर फोड़ते हुए उसका स्थानांतरण करा दिया था। दैनिक जागरण में मामला प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम दोबारा जांच करने पहुंची थी।

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