सवर्ण आरक्षण पर तेजप्रताप के अलग सुर, कहा- ये तो सही बात है
लालू के लाल तेजप्रताप यादव ने एक बार फिर पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान दिया है। उन्होंने सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए कहा है कि ये अच्छी बात है।
पटना, जेएनएन। गरीब सर्वणों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने कहा कि जिन्हें ये आरक्षण मिल रहा है, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने जो 85 फीसदी आरक्षण की मांग की है, उसको भी लागू किया जाना चाहिए।
तेजप्रताप ने कहा कि ओबीसी, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित और महादलित इन लोगों की भी भागीदारी है। चुनाव आता है तो लोग इस तरह का काम करते हैं, पहले गरीब आदमी के बारे में कोई सोचता नहीं है लेकिन फिर भी यह हुआ है तो अच्छी बात है।
बता दें कि शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को लोकसभा में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पास हो गया। इसके पक्ष में 323 मत पड़े, जबकि विपक्ष में मात्र 3 वोट पड़े। आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए सरकार ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पेश किया।
इसके साथ ही कई विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार के इस कदम का समर्थन किया लेकिन सभी ने कोई न कोई सवाल जरूर उठाए। इसके बाद इस बिल को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया जिसपर जमकर बहस चली।
लोकसभा में सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि सरकार जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सामने लाए और एससी, एसटी और ओबीसी को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि सवर्ण आरक्षण भी एक जुमला है। ठीक उसी तरह जिस तरह से सरकार ने दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था। राजद ने इस बिल के विरोध में वोट दिया।
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवर्ण आरक्षण का विरोध करते हुए ट्वीट कर कहा था कि अगर 15 फीसदी आबादी को 10% आरक्षण तो फिर 85 फीसदी आबादी को 90% आरक्षण हर हाल में मिलना चाहिए। 10% आरक्षण किस आयोग और सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर दिया जा रहा है? सरकार विस्तार से बताए।
इसपर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि सवर्णों को राजद से बहुत उम्मीद भी नहीं है। जिस तरह से राजद समाज को बांटने का काम करती आई है, उनसे सवर्ण आरक्षण पर सकारात्मक बातों को सुनना हैरत होगी।
उन्होंने कहा कि अगर राजद का रुख सकारात्मक होता तो उनके पास अवसर था। 1990 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री हुए थे, लालू प्रसाद को राजनीति में एक ऊंचाई प्रदान कराने में वीपी सिंह का बड़ा योगदान था। लेकिन लालू यादव ने बिहार में ऐसा कोई भी प्रयास नहीं किया, न ही केंद्र में सवर्णों को आरक्षण देने की वकालत की।
उधर बिहार सरकार में मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि 'भूरा बाल साफ करो' राजद की यूएसपी रही है। वह इसी की राजनीति करता रहा है। जातीय भेदभाव और जातीय उन्माद राजद का वैचारिक आधार है। लेकिन बीजेपी और एनडीए 'सबका साथ सबका विकास' इस मुद्दे को लेकर चलती है।