Move to Jagran APP

तेजस्वी-कुशवाहा ने दिल्ली में गरमाया आरक्षण का मुद्दा, वामदलों ने भी दिया साथ

तेजस्वी ने पीएम को पत्र लिखा, सामाजिक न्याय को कुचला जा रहा है, आरक्षण की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली में पैदल मार्च निकाला। कुशवाहा समेत कई नेता शामिल हुए।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 05:06 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 11:17 AM (IST)
तेजस्वी-कुशवाहा ने दिल्ली में गरमाया आरक्षण का मुद्दा, वामदलों ने भी दिया साथ
तेजस्वी-कुशवाहा ने दिल्ली में गरमाया आरक्षण का मुद्दा, वामदलों ने भी दिया साथ

पटना, जेएनएन। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव व रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने आरक्षण मामले को दिल्ली में गरमा दिया। मंडी हाउस से संसद मार्ग तक निकाले गए पैदल मार्च में शामिल हुए। मार्च में राजद नेता तेजस्वी यादव व रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के अलावा भाकपा-माकपा, एवं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भी शामिल हुए। 

loksabha election banner

विश्वविद्यालयों की नौकरियों में 13 प्वाइंट्स के विभागवार रोस्टर के खिलाफ तेजस्वी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। बिहार में विधि-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी बरसे। राज्यसभा सांसद और बहन मीसा भारती के साथ सड़क पर उतरे तेजस्वी को रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, भाकपा के डी राजा, माकपा के सीताराम येचुरी, आप के नेता एवं दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र गौतम के अलावा युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव यादव का भी साथ मिला। 

तेजस्वी ने सवर्ण आरक्षण पर अपने स्टैंड को दोहराते हुए कहा कि हमें सवर्ण गरीबों से परहेज नहीं है। किंतु चुनावी माइलेज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के इशारे पर बिना किसी तैयारी के लागू कर दिया। राजद इसलिए विरोध करता है। पैदल मार्च में राजद सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, बुलो मंडल, मनोज झा एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर भी मौजूद थे। वहीं कुशवाहा ने कहा कि कोर्ट के फैसले के कारण एससी-एसटी एवं ओबीसी के लिए अन्याय का माहौल बन गया है। बता दें कि तेजस्वी ने इसके पहले पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से एक खुला पत्र भी लिखा था। इसमें उन्होंने आरक्षण के मामले को उठाया था।

यहां पढ़ें तेजस्वी यादव का लिखा अक्षरश: पूरा पत्र...  

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, 

आपकी रहनुमाई में देश भर में सामाजिक न्याय को कुचला जा रहा है, संविधान प्रदत्त आरक्षण की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पहले जहां यूनिवर्सिटी को यूनिट मानकर 200 प्वाइंट्स रोस्टर के ज़रिए बहाली होती थी, वहीं अब 13 प्वाइंट के विभागवार रोस्टर की साजिश अपनाई गई है। आम बहुजन जनता अपने ख़िलाफ़ इस षड्यंत्र को सरल शब्दों में समझें कि उनके बाल-बच्चे अब प्रोफेसर साहब नहीं बन पाएंगे। मिनिमम गवर्नमेंट (मिनिमम डेमोक्रेसी) और मैक्सिमम गवर्नेंस (मैक्सिमम कोर्ट-कचहरी) के इस ढिंढोरावादी मॉडल की सरकार ने इस महत्वपूर्ण मसले पर अॉर्डिनेंस लाने से इंकार कर दिया। 

रोस्टर की साज़िश यह है कि जब तक किसी विभाग में 4 सीटें विज्ञापित नहीं होंगी, कोई ओबीसी प्राध्यापक नहीं बन पाएगा, 7 सीटें एक साथ नहीं आएंगी, तो कोई दलित नहीं आ पाएगा और एकमुश्त 14 सीटें एडवर्टाइज़ नहीं हो पाएंगी तो कोई आदिवासी प्रोफ़ेसर नहीं बन पाएगा। 13 प्वाइंट रोस्टर ने आदिवासी को नेशन के इमेजिनेशन से ही बाहर कर दिया। लंबी लड़ाई के बाद हासिल आरक्षण की नृशंस हत्या हुई है। 

इंडियन एक्सप्रेस की हालिया रिपोर्ट इस देश की शासन-व्यवस्था की कड़वी सच्चाई बयां करती है। 43 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में एक भी ओबीसी एसोशिएट प्रोफ़ेसर या प्रोफ़ेसर नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ 95.2 प्रतिशत उच्च जाति के लोग प्रोफ़ेसर 92.90 प्रतिशत उच्च जाति के लोग एसोशिएट प्रोफ़ेसर और 76.14 प्रतिशत उच्च जाति के लोग एसिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं। पहले से ही अंडररेप्रज़ेंटेड वर्ग के ऊपर विभागवार रोस्टर लाद कर उनके ख़ाबों को रौंद दिया गया है। विश्वविद्यालय नियुक्ति में शोषितों के रिजर्वेशन को ख़त्म कर दिया गया और बत्तीसों दांत के साथ बिना किसी कमीशन की किसी रिपोर्ट के किसी रेकमेंडेशन के आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण को लाद दिया गया।

आज किसी क्षेत्र में सोशल डायवर्सिटी नहीं दिखती। 496 कुलपतियों में 6 आदिवासी, 6 दलित और 36 पिछड़े हैं, बाक़ी 448 कुलपति ‘अतिदरिद्र’ उच्च जाति के हैं। आखिर कब सबको समुचित प्रतिनिधित्व मिलेगा? 

एसएलपी खारिज़ होने के बाद अभी-अभी राजस्थान यूनिवर्सिटी का जो विज्ञापन आया है, उसमें एसटी-एससी-ओबीसी का रिजर्वेशन ढूंढे से भी नहीं मिलेगा। हमारी पार्टी ने आने वाले बजट सेशन के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव डाल दिया है, मानव संसाधन विकास मंत्री को इस बाबत ख़त भी लिखा है। चूंकि सरकार का तब मानना था कि विभागवार रोस्टर ठीक नहीं है, तो अब सरकार इस पर तत्परता से बिल लाए। हमारे दल का प्रधानमंत्री जी से विनम्र निवेदन है कि तुरंत इस पर अध्यादेश लाए जाए। नहीं तो जुमलों की इस सरकार को बहुजन जनता सत्ता से उतार फेंकेगी। 

हमारा दल सभी न्यायप्रिय साथियों से अपील करता है कि 31 जनवरी को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक विशाल मार्च में शरीक होकर सरकार को अपनी ताक़त का एहसास कराएं। सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के लिए संघर्ष के हर मोर्चे पर हमारी पार्टी हमेशा आपके साथ खड़ी है।

आपका,

तेजस्वी यादव,

नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.