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तेजस्वी ने पीएम को फिर घेरा, कहा- नौकरी के नाम पर ठगे जा रहे देश के युवा

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बेराेजगारी से लेकर मेक इन इंडिया समेत अन्य मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी पर कई तरह के आरोप भी लगाए हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 05:38 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 10:44 PM (IST)
तेजस्वी ने पीएम को फिर घेरा, कहा- नौकरी के नाम पर ठगे जा रहे देश के युवा
तेजस्वी ने पीएम को फिर घेरा, कहा- नौकरी के नाम पर ठगे जा रहे देश के युवा

पटना [जेएनएन]। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बेराेजगारी से लेकर मेक इन इंडिया समेत अन्य मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी पर कई तरह के आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा नौकरी के नाम पर देश के युवा ठगे जा रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को जारी प्रेस बयान में कहा है कि किसी भी सरकार की सफलता, गुणवत्ता व दूरदर्शिता का प्रतीक उसकी आर्थिक व सामाजिक नीतियां होती हैं। मोदी सरकार देश के सामाजिक स्वरूप को उधेड़-उधेड़ कर अराजकता की ओर मोड़ रही है, तो दूसरी तरफ सरकार ने अपने स्टंट के जरिए देश के आर्थिक विकास के पहिए को ही उखाड़कर अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है।

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उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन से अर्थव्यवस्था का अंदाजा लग जाता है, लेकिन यहां तो दो करोड़ नौकरी प्रति वर्ष का नारा लगाने वाले पांच साल में उसके 100वें भाग तक भी उस वादे को निभा नहीं पाए। एनएसएसओ (NSSO) की रिपोर्ट के अनुसार इन पांच सालों में 50 साल का रोना रोने वालों के कारण रोजगार की पिछले 45 वर्षों में सबसे बदतर स्थिति रही। 

तेजस्वी ने कहा कि एक अन्य सीएमआईई (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी ने असंगठित क्षेत्र से 11 करोड़ नौकरियां लील कर दी, जिसकी मार देश के सबसे निचले तबके के लोगों पर पड़ी। यही नहीं, मेक इन इंडिया (Make In India) का शेर गुर्राने-दहाड़ने के बजाय पांच साल तक मिमियाते रहा। पूंजी निवेश लाने और रोज़गार सृजन, दोनों ही मामले में इवेंट मैनजमेंट के सहारे कागज पर बनाया गया मेक इन इंडिया का शेर चारों खाने चित्त हो गया। 

उन्‍होंने कहा कि संगठित, असंगठित, निजी व सरकारी क्षेत्र- सभी की स्थिति बद से बदतर है। हर क्षेत्र से रोजगार के अवसर खत्म ही नहीं हो रहे, बल्कि कार्यरत मानव संसाधन की छटनी भी बदस्तूर जारी है। बीएसएनएल, ओएनजीसी जैसी नवरत्न कंपनियों को जानबूझकर नीम-हकीम नीतियों से घाटे में धकेला जा रहा है, विनिवेश की जमीन तैयार की जा रही है।

उन्‍होंने कहा कि युवाओं व बेरोजगारों को अंधेरे में रखने के लिए सरकार ने तीन-तीन बार बेरोजगारी के आंकड़े प्रकाशित होने से रोक दिया। श्रमिक वर्ग का 80 प्रतिशत, कुल मानव संसाधन का एक चौथाई और कौशल प्राप्त कर्मियों का एक तिहाई भाग आज भी निर्धनता से जूझ रहा है। उन्‍होंने पीएम से सवाल दागते हुए कहा कि मोदी जी के आसमानी वादों के मारे करोड़ों युवा नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। वहीं युवाओं का ध्यान भटकाने के लिए सामाजिक सौहार्द के साथ खिलवाड़ हो रहा है। युवाओं को काल्पनिक शत्रु दिखा कर बेरोजगारी के सवाल से दूर किया जा रहा है।


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