RJD में जान फूंकने को लंबे अरसे बाद तेजस्वी ने संभाली कमान, कसने शुरू किए ढ़ीले पेंच
राष्ट्रीय जनता दल में जान फूंकने की कवायद शुरू हो गई है। लंबे अरसे बाद तेजस्वी यादव ने पार्टी की बैठक में शिरकत की। बैठक में राबड़ी देवी समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।
By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 02:46 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 08:16 PM (IST)
पटना [राज्य ब्यूरो]। पार्टी और परिवार से लगभग तीन महीने अलग रहकर राजनीतिक संन्यास की स्थिति से गुजर चुके नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अब पूर्ण रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कमान थाम ली है। विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले पार्टी के सभी मोर्चे को दुरुस्त करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। तेजस्वी की तैयारी और उनके तेवर बता रहे हैं कि वे संसदीय चुनाव (Lok Sabha Election) की हार के सदमे से पूरी तरह उबर चुके हैं और उन्होंने पार्टी के ढीले पेंच को कसना शुरू कर दिया है।
आरजेडी के सदस्यता अभियान के सिलसिले में रविवार को राबड़ी देवी के आवास पर हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में तेजस्वी ने जिस अंदाज में अपनी बातें रखीं और पार्टी की नीतियों एवं आने वाले कार्यक्रमों की तस्वीर खींची, उनसे साफ हो गया कि वे राजनीतिक उलझनों को सुलझा चुके हैं। तेजस्वी के उद्गार में स्पष्टता थी और आदेश-निर्देश में अधिकार का भाव। इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने की।
पार्टी में पदाधिकारी बनकर महत्वपूर्ण बैठकों से दूर रहने वाले नेताओं को तेजस्वी ने साफ चेताया कि पुरानी शैली नहीं चलेगी। जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं है, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है। लोकसभा चुनाव के दौरान वोटरों को साधने के लिए आरजेडी के संविधान की अवहेलना करते हुए थोक के भाव में पद बांटे गए थे। दर्जनों ऐसे लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण ओहदा दे दिया गया, जिनकी प्रकृति पार्टी से मेल नहीं खाती है। ऐसे लोग बैठकों में भी नहीं आते हैं। तेजस्वी ने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को हिदायत दी कि ऐसे लोगों की सूचना रखें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें।
मां ने बनाया बेटे को सदस्य
राबड़ी देवी ने तेजस्वी यादव को आरजेडी की सदस्यता दिलाई। इसके बाद तेजस्वी ने मौके पर मौजूद 30 लोगों को पार्टी का सदस्य बनाया। इनमें विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन, वीरेंद्र सिन्हा, आभालता, राजनीति प्रसाद, रामबली चंद्रवंशी एवं सतीश गुप्ता शामिल हैं। तेजस्वी ने सभी पदाधिकारियों को 50 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य समय रहते पूरा करने की हिदायत दी। विधायकों को कम से कम 15 हजार सदस्य बनाने हैं। प्रकोष्ठ अध्यक्षों को कम से कम 13-13 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है।
जमशेदपुर जाने के कारण राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी बैठक में नहीं पहुंचे । उन्होंने इसकी सूचना भी मीडिया को दी थी। बैठक पार्टी पदाधिकारियों की थी। फिर भी भोला यादव समेत कुछ विधायक बैठक में सक्रिय देखे गए। भाई वीरेंद्र के नहीं पहुंचने की भी चर्चा हुई।
आरसीपी पर बोला हमला
तेजस्वी यादव बाहुबली विधायक अनंत सिंह से जुड़े सवालों को टाल गए, लेकिन राज्य सरकार के तंत्र पर जबर्दस्त हमला बोला। जदयू राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह के साथ उनकी एएसपी पुत्री लिपि सिंह को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। तेजस्वी ने सीधा आरोप लगाया कि दिल्ली में विधान पार्षद की गाड़ी से लिपि सिंह के घूमने से प्रमाणित हो गया कि आरसीपी सिंह पैसे लेकर लोगों को पद बांट रहे हैं। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि कहां चली गई आपकी जीरो टॉलरेंस वाली नीति? उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी निशाने पर लिया और पूछा कि अब क्यों नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रष्टाचार का खुलासा कर रहे हैं?
पूर्व फौजियों ने किया हंगामा
बैठक के दौरान बक्सर निवासी एक पूर्व फौजी के पुत्र की हत्या के बाद न्याय की फरियाद लेकर पहुंचे लोगों से तेजस्वी की मुलाकात नहीं हो सकी। इसके चलते हंगामा हो गया। मामला बच्चे का अपहरण कर फिरौती नहीं मिलने पर उसकी हत्या का था। पूर्व फौजियों का दल तेजस्वी यादव से न्याय दिलाने की गुहार लगाने पहुंचा था। किंतु मुलाकात नहीं हुई तो फौजी भड़क गए। कहा कि विरोधी दल के नेता होने के चलते तेजस्वी की नैतिक जिम्मेदारी थी कि आम लोगों की समस्याओं का समाधान करते।
आरजेडी के सदस्यता अभियान के सिलसिले में रविवार को राबड़ी देवी के आवास पर हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में तेजस्वी ने जिस अंदाज में अपनी बातें रखीं और पार्टी की नीतियों एवं आने वाले कार्यक्रमों की तस्वीर खींची, उनसे साफ हो गया कि वे राजनीतिक उलझनों को सुलझा चुके हैं। तेजस्वी के उद्गार में स्पष्टता थी और आदेश-निर्देश में अधिकार का भाव। इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने की।
पार्टी में पदाधिकारी बनकर महत्वपूर्ण बैठकों से दूर रहने वाले नेताओं को तेजस्वी ने साफ चेताया कि पुरानी शैली नहीं चलेगी। जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं है, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है। लोकसभा चुनाव के दौरान वोटरों को साधने के लिए आरजेडी के संविधान की अवहेलना करते हुए थोक के भाव में पद बांटे गए थे। दर्जनों ऐसे लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण ओहदा दे दिया गया, जिनकी प्रकृति पार्टी से मेल नहीं खाती है। ऐसे लोग बैठकों में भी नहीं आते हैं। तेजस्वी ने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को हिदायत दी कि ऐसे लोगों की सूचना रखें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें।
मां ने बनाया बेटे को सदस्य
राबड़ी देवी ने तेजस्वी यादव को आरजेडी की सदस्यता दिलाई। इसके बाद तेजस्वी ने मौके पर मौजूद 30 लोगों को पार्टी का सदस्य बनाया। इनमें विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन, वीरेंद्र सिन्हा, आभालता, राजनीति प्रसाद, रामबली चंद्रवंशी एवं सतीश गुप्ता शामिल हैं। तेजस्वी ने सभी पदाधिकारियों को 50 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य समय रहते पूरा करने की हिदायत दी। विधायकों को कम से कम 15 हजार सदस्य बनाने हैं। प्रकोष्ठ अध्यक्षों को कम से कम 13-13 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है।
जमशेदपुर जाने के कारण राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी बैठक में नहीं पहुंचे । उन्होंने इसकी सूचना भी मीडिया को दी थी। बैठक पार्टी पदाधिकारियों की थी। फिर भी भोला यादव समेत कुछ विधायक बैठक में सक्रिय देखे गए। भाई वीरेंद्र के नहीं पहुंचने की भी चर्चा हुई।
आरसीपी पर बोला हमला
तेजस्वी यादव बाहुबली विधायक अनंत सिंह से जुड़े सवालों को टाल गए, लेकिन राज्य सरकार के तंत्र पर जबर्दस्त हमला बोला। जदयू राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह के साथ उनकी एएसपी पुत्री लिपि सिंह को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। तेजस्वी ने सीधा आरोप लगाया कि दिल्ली में विधान पार्षद की गाड़ी से लिपि सिंह के घूमने से प्रमाणित हो गया कि आरसीपी सिंह पैसे लेकर लोगों को पद बांट रहे हैं। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि कहां चली गई आपकी जीरो टॉलरेंस वाली नीति? उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी निशाने पर लिया और पूछा कि अब क्यों नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रष्टाचार का खुलासा कर रहे हैं?
पूर्व फौजियों ने किया हंगामा
बैठक के दौरान बक्सर निवासी एक पूर्व फौजी के पुत्र की हत्या के बाद न्याय की फरियाद लेकर पहुंचे लोगों से तेजस्वी की मुलाकात नहीं हो सकी। इसके चलते हंगामा हो गया। मामला बच्चे का अपहरण कर फिरौती नहीं मिलने पर उसकी हत्या का था। पूर्व फौजियों का दल तेजस्वी यादव से न्याय दिलाने की गुहार लगाने पहुंचा था। किंतु मुलाकात नहीं हुई तो फौजी भड़क गए। कहा कि विरोधी दल के नेता होने के चलते तेजस्वी की नैतिक जिम्मेदारी थी कि आम लोगों की समस्याओं का समाधान करते।
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